कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल ने सौंपा खिलाड़ी का शव

राष्ट्रीय स्तर पर तलवारबाजी व कुश्ती में प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ी जिंदगी के मैदान में हार गई। छत्तीसगढ़ स्थित बिलासपुर के अपोलो चिकित्सालय में 14 दिन तक चले उपचार के बाद उन्होंने शनिवार देर रात अंतिम सांसें ली। किडनी में इंफेक्शन की शिकायत पर उपचार के लिए दाखिल कराया गया

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 30 Mar 2016 12:56 AM (IST) Updated:Wed, 30 Mar 2016 02:39 AM (IST)
कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल ने सौंपा खिलाड़ी का शव

कोरबा। राष्ट्रीय स्तर पर तलवारबाजी व कुश्ती में प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ी जिंदगी के मैदान में हार गई। छत्तीसगढ़ स्थित बिलासपुर के अपोलो चिकित्सालय में 14 दिन तक चले उपचार के बाद उन्होंने शनिवार देर रात अंतिम सांसें ली। किडनी में इंफेक्शन की शिकायत पर उपचार के लिए दाखिल कराया गया था। परिजनों ने अपोलो प्रबंधन पर बिल का भुगतान नहीं करने पर शव नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि कोरबा कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद शव सौंपा गया।

वहीं दूसरी ओर अपोलो के पीआरओ देवेश गोपाल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि 14 मार्च को शांति धांधी को उपचार के लिए दाखिल कराया गया था। करीब चार लाख रुपये का बिल था, जिसमें दो लाख रुपये जमा करना था। अस्पताल प्रबंधन की ओर से राशि जमा करने का किसी तरह का दबाव नहीं बनाया गया था।

मुडापार बस्ती में रहने वाले एसईसीएल के सेवानिवृत्त कर्मी गंगाराम धांधी की आठ पुत्रियों में सबसे छोटी शांति धांधी मिनीमाता कन्या महाविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी। स्कूल जीवन से ही खेल व पढ़ाई के प्रति लगाव होने की वजह से कॉलेज में उसकी प्रतिभा निखरने लगी थी। वह न सिर्फ तलवारबाजी में बल्कि कुश्ती व जूडो जैसे खेलों में भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर जिले का नाम रोशन कर रही थी। इससे परिवार के सदस्य भी खुश थे, लेकिन उनकी खुशी को तब नजर लग गई, जब 14 मार्च को अचानक शांति के पेट में तेज दर्द शुरू हो गया।

स्थानीय चिकित्सकों से सलाह मशविरा के बाद उसे उपचार के लिए बिलासपुर स्थित अपोलो चिकित्सालय ले जाया गया। यहां चिकित्सकों ने कई तरह की जांच प्रक्रिया पूरी करने के बाद किडनी में इंफेक्शन होने की जानकारी दी। लिहाजा उसे इलाज के लिए अपोलो में दाखिल कराया गया। 14 दिनों तक लगातार चले उपचार के बाद शांति ने शनिवार की देर रात अंतिम सांसें ली। परिजनों का आरोप है कि रविवार की सुबह अस्पताल प्रबंधन ने साफ तौर पर कह दिया कि पहले दो लाख 19 हजार रुपये बकाया बिल जमा कराएं, उसके बाद ही शव सौंपा जाएगा। इसे लेकर परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा भी किया। इस बीच इसकी जानकारी कलेक्टर पी दयानंद तक पहुंची और उन्होंने पहल की। दोपहर करीब 12 बजे शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।

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