सैन्य अधिकारी आठ साल में एक बार खरीद सकेंगे सीएसडी कैंटीन से कार

नए नियम के अनुसार अधिकारियों को आठ साल में एक बार सस्ती कार खरीदने की अनुमति दी जाएगी। इसके तहत वे 2500 सीसी क्षमता तक की कार खरीद सकेंगे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Mon, 27 May 2019 01:14 AM (IST) Updated:Mon, 27 May 2019 01:14 AM (IST)
सैन्य अधिकारी आठ साल में एक बार खरीद सकेंगे सीएसडी कैंटीन से कार
सैन्य अधिकारी आठ साल में एक बार खरीद सकेंगे सीएसडी कैंटीन से कार

नई दिल्ली, एएनआइ। सेना ने सीएसडी कैंटीन से रक्षा बलों के कर्मचारियों द्वारा सस्ती कारों की खरीद पर सशर्त प्रतिबंध लगा दिया है। कैंटीन के खर्च में कटौती के मद्देनजर उठाए गए कदम के तहत अधिकारियों को आठ साल में एक बार सस्ती कार खरीदने की अनुमति दी जाएगी। इसके तहत वे 2500 सीसी क्षमता तक की कार खरीद सकेंगे।

एक जून से लागू होने वाले नए नियमों के तहत अधिकारी जीएसटी को छोड़कर 12 लाख रुपये तक के मूल्य के वाहन खरीद सकेंगे। नए आदेशों के तहत जवान को अपनी नियमित सेवा के दौरान एक बार और सेवानिवृत्ति के बाद एक बार जीएसटी सहित 6.5 लाख रुपये मूल्य की कार खरीदने की अनुमति होगी। बता दें कि सीएसडी कैंटीन में वहां काम करने वाले नागरिकों सहित रक्षा कर्मियों को बाजार मूल्य की तुलना में कारों की खरीद पर लगभग 75,000 रुपये की बचत होती है।

इन नए नियमों की वजह बताते हुए सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सरकार विभिन्न मदों में सीएसडी कैंटीन के लिए लगभग 17000 करोड़ रुपये सालाना स्वीकृत करती है। सीएसडी कैंटीन में जो जरूरी वस्तुएं रखी जाती हैं, उनका पहले मूल्य तय होता है और फिर सरकार उसकी कीमत पर 50 प्रतिशत जीएसटी की छूट देती है। उन्होंने कहा कि यह बात ठीक है कि सीएसडी सालाना सीटीएस के तौर पर लगभग 500 करोड़ रुपये का लाभ कमाती है और केंद्रीय फंड में लगभग 150 करोड़ रुपये जमा कराती है, लेकिन जीएसटी में छूट दिए जाने से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है।

उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षो में बाजार और सीएसडी कैंटीन में बहुत सारी कारों के वैरियंट आए हैं। आसानी से लोन और खरीद क्षमता बढ़ने के चलते कैंटीन से कारों की बिक्री में 200 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ पिछले वर्ष की बात करें तो 6,000 करोड़ से ज्यादा की कारें बिकीं, जो निर्धारित बजट की तुलना में बहुत अधिक है। इस तरह सरकार को 4500 करोड़ रुपये का बजट के अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा।

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