ओटीटी मामले में शीर्ष अदालत ने सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देशों को दंतविहीन बताया

अपर्णा को अमेजन प्राइम की तांडव वेब सीरीज के आपत्तिजनक कंटेंट के मामले में अभियुक्त बनाया गया है। इस वेब सीरीज में देवी-देवताओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए अपर्णा व वेब सीरीज के निर्माता निर्देशक और अभिनेताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश में केस दर्ज हुए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 09:41 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 09:41 PM (IST)
ओटीटी मामले में शीर्ष अदालत ने सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देशों को दंतविहीन बताया
इंटरनेट मीडिया व ओटीटी मामले में सुप्रीम कोर्ट की हिदायत।

नई दिल्ली, ब्यूरो। इंटरनेट मीडिया, ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म व डिजिटल मीडिया को लेकर सरकार के हालिया दिशानिर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट ने निराशा जताई है। शीर्ष अदालत ने इन निर्देशों को एंटी सोशल कंटेंट पर लगाम लगाने में नाकाफी मानते हुए कहा कि इनमें उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कोई प्रभावी तंत्र नहीं है। नियम-कायदे बनाने से काम नहीं चलेगा। बिना उचित कानून के इन पर नियंत्रण संभव नहीं है।

सरकार कानून का मसौदा तैयार करके कोर्ट के समक्ष पेश करेगी

कोर्ट की टिप्पणी पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस बारे में कानून का मसौदा तैयार करके कोर्ट के समक्ष पेश करेगी। अमेजन प्राइम वीडियो से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने सरकार के नए दिशानिर्देशों पर सख्त टिप्पणी की। गुरवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कुछ ओटीटी प्लेटफार्म पर अश्लीलता परोसी जाती है, इन्हें रेगुलेट किए जाने की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में जारी दिशानिर्देश अदालत में पेश करने को कहा था।

पीठ ने कहा- पेश किए गए रूल्स दंतहीन हैं, नियंत्रण का कोई तंत्र नहीं

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन्होंने पेश किए गए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 देखे, लेकिन ये दंतहीन हैं। इनमें अभियोजन का कोई अधिकार ही नहीं है। इनमें नियंत्रण का कोई तंत्र नहीं है। न ही कंटेंट की स्क्रीनिंग और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का कोई प्रविधान है। बिना कानून के इन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी। इस बारे में उचित कानून या रेगुलेशन का मसौदा तैयार करके कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। कोर्ट ने मेहता का बयान आदेश में दर्ज किया।

अमेजन की अपर्णा पुरोहित को राहत

शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान भारत में अमेजन प्राइम वीडियोज की प्रमुख अपर्णा पुरोहित की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। अपर्णा को जांच में सहयोग करने और जांच अधिकारियों के बुलाने पर पेश होने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की इजाजत दे दी। अपर्णा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अपर्णा का वेब सीरीज में कोई योगदान नहीं है, फिर भी उन्हें अभियुक्त बनाया गया। रोहतगी ने जांच में सहयोग का भरोसा दिलाते हुए गिरफ्तारी से संरक्षण मांगा। उन्होंने बताया कि लखनऊ में ऐसे ही मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपर्णा की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है और वह जांच में पूरा सहयोग कर रही हैं।

ग्रेटर नोएडा में दर्ज है एफआइआर

अपर्णा को अमेजन प्राइम की तांडव वेब सीरीज के आपत्तिजनक कंटेंट के मामले में अभियुक्त बनाया गया है। इस वेब सीरीज में देवी-देवताओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए अपर्णा व वेब सीरीज के निर्माता, निर्देशक और अभिनेताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश में केस दर्ज हुए हैं। मौजूदा मामला ग्रेटर नोएडा में दर्ज एफआइआर का है, जिसमें हाई कोर्ट ने अपर्णा को अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया था।

कोई पोर्नोग्राफिक कंटेंट नहीं : रोहतगी 

अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने ओटीटी प्लेटफार्म पर अश्लीलता परोसने के मामले में भी बचाव किया। उन्होंने कहा, 'अमेजन प्राइम वीडियोज या नेटफ्लिक्स पर कोई पोर्नोग्राफिक कंटेंट नहीं है। मैं हर शाम देखता हूं और ऐसा कुछ नहीं मिला।' जवाब में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, 'पोर्नोग्राफिक का अब वह अर्थ नहीं रहा, जैसा हम सोचते हैं।' इस पर रोहतगी बोले, 'मेरे घर चलिए। सैकड़ों मूवी हैं, लेकिन उनमें ऐसा कोई कंटेंट नहीं।'

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