अमित शाह सहकारी डाटाबेस का आज करेंगे लोकार्पण, समारोह में केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव समेत राज्यों के प्रतिनिधि भी रहेंगे मौजूद

समारोह में करीब 14 सौ प्रतिभागी भाग लेंगेजिनमें केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के सचिव समेत राज्यों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। प्रतिभागियों को डाटाबेस के उपयोग की जानकारी देने के लिए कार्यशाला का भी आयोजन होगा। सहकारी डाटाबेस वेब आधारित एक डिजिटल डैशबोर्ड हैजिसमें केंद्र एवं राज्यों की समितियों के आंकड़े एकत्र किए गए हैं।यह केंद्र सरकार के मंत्रालयोंराज्यों एवं सहकारी समितियों के आपसी संवाद का महत्वपूर्ण माध्यम साबित होगा।

By Jagran NewsEdited By: Babli Kumari Publish:Fri, 08 Mar 2024 12:05 AM (IST) Updated:Fri, 08 Mar 2024 12:05 AM (IST)
अमित शाह सहकारी डाटाबेस का आज करेंगे लोकार्पण, समारोह में केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव समेत राज्यों के प्रतिनिधि भी रहेंगे मौजूद
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस का लोकार्पण एवं इसपर आधारित रिपोर्ट का विमोचन करेंगे। इसे सहकारिता के आर्थिक माडल को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों, राष्ट्रीय संघों और हितधारकों के सौजन्य-सहयोग से तैयार किया गया है। यह केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्यों एवं सहकारी समितियों के आपसी संवाद का महत्वपूर्ण माध्यम साबित होगा।

समारोह में करीब 14 सौ प्रतिभागी भाग लेंगे, जिनमें केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के सचिव समेत राज्यों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। प्रतिभागियों को डाटाबेस के उपयोग की जानकारी देने के लिए कार्यशाला का भी आयोजन होगा। सहकारी डाटाबेस वेब आधारित एक डिजिटल डैशबोर्ड है, जिसमें केंद्र एवं राज्यों की समितियों के आंकड़े एकत्र किए गए हैं।

इस डाटाबेस में 29 करोड़ से भी अधिक सूचनाओं की है मैपिंग

इसमें विभिन्न सेक्टरों की लगभग आठ लाख सहकारी समितियों के साथ ही उनकी 29 करोड़ से भी अधिक सूचनाओं की मैपिंग है, जिसमें पंजीकृत समितियों का संपर्क विवरण मिलेगा। इससे हितधारकों को आसानी होगी और सहकारिता के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों का विकास, आर्थिक-सामाजिक समस्याओं के समाधान, व्यक्तियों के सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन में सहायक होगा। यह पहल जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है जो समृद्ध और 'आत्मनिर्भर' भारत की परिकल्पना के अनुरूप है।

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