मौत के तांडव के बीच इटली में कायम है इन भारतीयों का हौसला, जानें क्‍यों नहीं लौटे वतन

इटली... जहां इन दिनों मौत का तांडव हो रहा है। वहीं पर तीन भारतीय युवा पूरी शिद्दत के साथ अपना शोध कार्य पूरा करने और नया सीखने में लगे हैं। जानें पूरी कहानी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 02 Apr 2020 11:34 PM (IST) Updated:Thu, 02 Apr 2020 11:34 PM (IST)
मौत के तांडव के बीच इटली में कायम है इन भारतीयों का हौसला, जानें क्‍यों नहीं लौटे वतन
मौत के तांडव के बीच इटली में कायम है इन भारतीयों का हौसला, जानें क्‍यों नहीं लौटे वतन

नई दिल्ली, पीटीआइ। इटली, जहां इन दिनों मौत का तांडव हो रहा है। कोरोना वायरस पूरी बेरहमी के साथ कहर बरपा रहा है। वहीं पर तीन भारतीय युवा पूरी शिद्दत के साथ अपना शोध कार्य पूरा करने और नया सीखने में लगे हैं। पहला अपनी पीएचडी पूरी करने में लगा है, दूसरा कोरोना वायरस पर शोध कर रहा है और तीसरा युवा यह देख रहा है कि दुनिया में स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाली सूची में दूसरे नंबर का देश किस तरह से कोविड-19 महामारी से निपट रहा है। तीनों युवा असम के हैं और चार साल से इटली में ही रह रहे हैं।

ये तीनों उन कुछ भारतीयों में से हैं जो भारत सरकार द्वारा वतन वापसी की सुविधा दिए जाने के बावजूद नहीं लौटे। इटली में कोरोना वायरस से हो चुकी 13 हजार से ज्यादा मौतों से भी इनका हौसला नहीं डिगा है। बीती 24 मार्च को प्रबीन उपाध्याय की जीव विज्ञान में पीएचडी पूरी हुई और उन्हें डॉक्टर की उपाधि मिली। अब वह पोस्ट डॉक्टोरल स्टडी के विकल्प देख रहे हैं। न्यूरो साइंसेज में वह और आगे का शोध करना चाहते हैं। असम के तिनसुकिया जिले के प्रबीन 20 दिन से चीएटी में होम क्वारंटाइन में हैं।

इसी प्रकार से आकाशदीप बिस्वास भी शोध छात्र हैं। वह भी जीव विज्ञान में ही शोध कर रहे हैं। वह इन दिनों कोरोना वायरस की आणविक बनावट पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने इस पर फरवरी के मध्य से कार्य शुरू किया था, तब इटली के हालात इतने बुरे नहीं थे। अब जबकि कोरोना वायरस का कहर देश पर टूट रहा है-तब वह इटली को नहीं छोड़ना चाहते। आकाशदीप के अनुसार अब उनका शोध कार्य यहीं पर रहकर अध्ययन और अनुभव को बढ़ा सकता है, तब इसे छोड़कर भारत जाने का कोई मतलब नहीं बनता है। तेजपुर जिले के आकाशदीप इस समय इटली के पीसा में हैं। वह इतालवी लोगों के भीतर के सकारात्मकता और उम्मीद न छोड़ने वाले व्यवहार से प्रभावित हैं।

सिलचर के रहने वाले प्रोमित चौधरी लॉम्बार्डी प्रांत में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। इटली जाने से पहले उन्होंने भारत में महिंद्रा एंड महिंद्रा में दो साल तक काम किया। इटली में अब वह मेक्सिको की चिकित्सा उपकरण मुहैया कराने वाली कंपनी में सीनियर कंसल्टेंट के रूप में काम करते हुए पढ़ाई कर रहे हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते उनका काम बढ़ गया है। ऐसे में वह उसे छोड़कर भारत नहीं लौटना चाहते। 

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