Air Pollution: भारत में 48 करोड़ से अधिक आबादी को जहरीली हवा का खतरा, लगातार घट रही उम्र
1998-2016 के बीच हुए शोध में बताया गया है कि उत्तर भारत में प्रदूषण बाकी भारत के मुकाबले तीन गुना अधिक जानलेवा है।
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। वायु प्रदूषण यानी जहरीली हवा अब लोगों के जीवन पर भारी पड़ रही है। एक अध्ययन ने बताया है कि उत्तर भारत में जहरीली हवा के कारण गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले भारतीयों की आयु सात साल तक कम हो गई है। 1998-2016 के बीच हुए शोध में बताया गया है कि उत्तर भारत में प्रदूषण बाकी भारत के मुकाबले तीन गुना अधिक जानलेवा है। इस अध्ययन में सबसे अधिक प्रदूषित दिल्ली को बताया गया है। राष्ट्रीय राजधानी में 2016 के दौरान पीएम 2.5 का स्तर 114 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर रहा।
48 करोड़ की आबाद ज्यादा प्रभावित
उत्तर भारत में 48 करोड़ से अधिक आबादी या कह लें कि भारत की करीब 40 फीसद जनसंख्या गंगा नदी के किनारे इन्हीं मैदानी इलाकों में रहती है। अत्यधिक दूषित हवा वाले अधिकांशत: हिंदी भाषी यह राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ हैं।
72 फीसद बढ़ा प्रदूषण
द एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआइ) के मुताबिक 2016 आते-आते क्षेत्र में वायु प्रदूषण 72 फीसद तक बढ़ गया। इसके चलते उत्तर भारत में रहने वाले लोगों का जीवन 3.4 साल था, जो अब 7.1 साल तक कम होने लगा है।
इस तरह कम होता 25 फीसद प्रदूषण
शोध में बताया गया कि गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की आयु भारत के अन्य इलाकों में रहने वाले लोगों की आयु की अपेक्षा तीन गुना कम हो रही है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआइ) के अनुसार भारत अगर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लक्ष्यों को हासिल कर लेता है और मौजूदा प्रदूषण में 25 फीसद की कटौती कर लेता है तो वायु की गुणवत्ता में इस कदर सुधार होगा कि भारतीयों का औसत जीवन करीब 1.3 साल बढ़ जाएगा। यह लक्ष्य हासिल करने पर गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वालों की आयु में दो साल का इजाफा हो जाएगा।
दिल्ली में जनस्वास्थ्य की आपात स्थिति
हिंदी बेल्ट के एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के एक कार्यक्रम में असम के सांसद गौरव गोगोई ने बताया कि वह इस विषय में एक प्राइवेट मेंबर बिल संसद में पेश करेंगे। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उनका यह नया स्वच्छ वायु (संशोधन) अधिनियम उनकी सर्वोच्च वरीयता होगा। इसी कार्यक्रम में दिल्ली के अस्पताल गंगाराम के लंग्स स्पेशलिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि दिल्ली में जनस्वास्थ्य की आपात स्थिति है। अब समय आ गया है कि प्रदूषण को रोकने के लिए कार्रवाई की जाए।