Doctors Strike: हड़ताल ने ली पांच मरीजों की जान, सैकड़ों डॉक्टरों के इस्तीफे

बंगाल में डॉक्टरों से मारपीट के बाद कई राज्यों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इससे इन राज्यों में ओपीडी सेवाएं ठप पड़ गईं हैं। आईएमए ने 17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

By TaniskEdited By: Publish:Fri, 14 Jun 2019 11:25 PM (IST) Updated:Sat, 15 Jun 2019 12:17 AM (IST)
Doctors Strike: हड़ताल ने ली पांच मरीजों की जान, सैकड़ों डॉक्टरों के इस्तीफे
Doctors Strike: हड़ताल ने ली पांच मरीजों की जान, सैकड़ों डॉक्टरों के इस्तीफे

नई दिल्ली, जेएनएन। कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट के बाद बंगाल से शुरू हुई डॉक्टरों की हड़ताल में, शुक्रवार को देश भर के डॉक्टरों के शामिल हो जाने से मरीजों की जान पर बन आई है। इलाज नहीं मिलने से बंगाल में ही पांच मरीजों की मौत हो गई है। बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़, तेलंगाना व राजस्थान सहित कई राज्यों में ओपीडी सुविधाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं।

विरोध में सैकड़ों डॉक्टरों ने इस्तीफे दे दिए हैं। अकेले बंगाल में ही करीब 700 डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी है। कुछ राज्यों में काली पट्टी बांध तो कुछ में विरोध स्वरूप हेलमेट पहनकर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते नजर आए। कुछ डॉक्टरों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षव‌र्द्धन से मुलाकात की है।

इसके बाद उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। बंगाल के राज्यपाल ने ममता बनर्जी को बातचीत के लिए बुलाया है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने 17 जून से राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

इस मामले में हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इन्कार करते हुए कोर्ट ने ममता सरकार से कार्रवाई की जानकारी मांगी है। डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। उधर, टोक्यो स्थित व‌र्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन ने भी डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन किया है।

गौरतलब है कि कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में बीते सोमवार एक मरीज की मौत के बाद उनके तीमारदारों ने डॉक्टरों से मारपीट की थी। इसमें कुछ डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। चार दिन से हड़ताल जारी है।

बंगाल से शुरू हुई हड़ताल की आग शुक्रवार को देशभर में फैल गई। कई राज्यों में डॉक्टर शुक्रवार को एक दिन के सांकेतिक हड़ताल पर रहे। इससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गईं। ओपीडी की सेवाएं तो प्रभावित हुई ही हैं, अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। शुक्रवार को कोलकाता के आरजी अस्पताल में इलाज के अभाव में दो बच्चों की मौत हो गई। हड़ताल के बाद बंगाल में अब तक पांच लोगों की जान जा चुकी है।

सीएम के सामने रखीं छह शर्ते
हड़ताली डॉक्टरों को चेतावनी देने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखकर डॉक्टरों को मनाने की कोशिश की, मगर वे हड़ताल पर अडिग हैं। उन्होंने हड़ताल खत्म करने के लिए ममता बनर्जी के सामने माफी मांगने समेत छह शर्तें रखी हैं। इनमें ममता का एनआरएस अस्पताल आकर उनसे मिलना, हमले में जख्मी डॉक्टर परिबाह मुखर्जी को देखने जाना, एसएसकेएम अस्पताल में दिए गए बयान को वापस लेना एवं अस्पतालों में डॉक्टरोंकी पर्याप्त सुरक्षा का लिखित रूप से आश्वासन देना प्रमुख हैं। इसबीच राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मसले पर विचार-विमर्श करने के लिए शुक्रवार देर शाम राजभवन बुलाया।

डॉक्टरों के समर्थन में आया बुद्धिजीवी वर्ग
जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में बुद्धिजीवी वर्ग भी आगे आया है। बुद्धिजीवियों ने आंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को कोलकाता में जुलूस निकाला। इस दौरान चर्चित फिल्म निर्देशक अपर्णा सेन, अभिनेता कौशिक सेन, संगीतकार देवज्योति मिश्रा समेत समाज के विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट लोगों ने एनआरएस अस्पताल जाकर आंदोलनकारी डॉक्टरों से मुलाकात की।

ममता ने लगाया सांप्रदायकि रंग देने का आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर विरोधी दल भाजपा और माकपा पर फिर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दोनों दल डॉक्टरों को भड़का कर मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं।

भाजपा ने भी ममता पर बोला हमला
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा, ममता बनर्जी, आप प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। आपके अहंकार के कारण पिछले चार दिनों में कितने लोगों ने मौत का दरवाजा खटखटाया है..। कुछ तो शर्म करो..।

इस्तीफे नहीं होंगे मंजूर
पश्चिम बंगाल प्रशासन से संकेत मिले हैं कि सरकारी डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे मंजूर नहीं किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सामूहिक रूप से इस्तीफा देना वैध नहीं है। किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति के समय व्यक्तिगत रूप से नियुक्ति पत्र दिया जाता है, इसलिए उनका व्यक्तिगत इस्तीफा ही वैध होगा।

हर्षव‌र्द्धन ने डॉक्टरों को दिया सुरक्षा का भरोसा
डॉक्टरों पर हुए हमले की निंदा करते हुए हर्षव‌र्द्धन ने मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए विरोध को साधारण व सांकेतिक स्तर तक सीमित रखना चाहिए। खासतौर पर पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों से उन्होंने कहा कि एक पेशेवर चिकित्सक के रूप में उनका कर्तव्य मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना है। हड़ताल विरोध का बेहतर तरीका नहीं है। मरीजों को तत्काल और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही हर्षव‌र्द्धन ने मरीजों तथा उनके परिवार के सदस्यों से भी संयम बरतने का आग्रह किया।

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