सरकारी बैंकों में घोटाले रोकने के लिए फिक्‍की ने सुझाया रास्‍ता, सरकार कर रही विचार

यह पहला मौका नहीं है, जब उद्योग चैंबरों की तरफ से सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग की जा रही हो। जब भी एनपीए की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो इस तरह की मांग सामने आती है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Mon, 19 Feb 2018 08:25 PM (IST) Updated:Tue, 20 Feb 2018 06:45 AM (IST)
सरकारी बैंकों में घोटाले रोकने के लिए फिक्‍की ने सुझाया रास्‍ता, सरकार कर रही विचार
सरकारी बैंकों में घोटाले रोकने के लिए फिक्‍की ने सुझाया रास्‍ता, सरकार कर रही विचार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पंजाब नेशनल बैंक में उद्योगपति नीरव मोदी व उनकी कंपनियों की तरफ से किये गये घोटाले के बाद एक बार फिर सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग उद्योग जगत की तरफ से तेज होने लगी है। इस बार उद्योग चैंबर फिक्की ने सीधे तौर पर सरकार से कहा है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के अलावा और कोई बेहतर रास्ता नहीं है। देश को एक मजबूत बैंकिंग सेक्टर की जरूरत है और हमें यह देखने की जरूरत है कि सरकारी नियंत्रण के जरिए इस उद्देश्य को हम पूरा कर सकते हैं या नहीं।

बता दें कि एक दिन पहले एक अन्य उद्योग चैंबर एसोचैम ने इन बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी की सीमा मौजूदा 52 फीसद से घटा कर 33 फीसद से नीचे ले जाने का सुझाव दिया था। वैसे इस विकल्प पर केंद्र सरकार पहले भी भी विचार कर चुकी है।

फिक्की अध्यक्ष राशेष शाह ने कहा है कि पिछले 11 वर्षों में सरकारी बैंकों को 2.6 लाख करोड़ रुपये की मदद पूंजीकरण के जरिए की जा चुकी है। लेकिन इससे इन बैंकों की स्थिति पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है। साथ ही यह कोई स्थाई समाधान भी नहीं है। दूसरी तरफ देश के 70 फीसद बैंकिंग कारोबार पर सरकारी बैंकों का हिस्सा है। लेकिन यह पूरा बैंकिंग ढांचा बढ़ते एनपीए से त्रस्त है। ऐसे में सरकार जिस तरह का आर्थिक समाजिक विकास चाहती है वह एक कमजोर बैंकिंग क्षेत्र की वजह से संभव नहीं हो पा रहा है।

यह पहला मौका नहीं है, जब उद्योग चैंबरों की तरफ से सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग की जा रही हो। जब भी एनपीए की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो इस तरह की मांग सामने आती है। वर्ष 2000 में जब सरकारी बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया तब उद्योग चैंबर सीआइआइ ने उद्योगपति राहुल बजाज की अध्यक्षता वाली एक समिति बनाई थी। उस समिति ने भी बैंकों के निजीकरण की मांग की थी।

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