शिंदे को बचाने के लिए नहीं पेश हुई आदर्श जांच रिपोर्ट

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट पेश न किए जाने के पीछे एक कारण केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को बचाना भी माना जा रहा है।

By Edited By: Publish:Sat, 10 Aug 2013 09:25 PM (IST) Updated:Sat, 10 Aug 2013 09:29 PM (IST)
शिंदे को बचाने के लिए नहीं पेश हुई आदर्श जांच रिपोर्ट

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट पेश न किए जाने के पीछे एक कारण केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को बचाना भी माना जा रहा है।

महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र दो अगस्त को समाप्त हुआ है। विपक्ष अंतिम दिन तक आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट पेश होने का इंतजार कर रहा था। अंतिम दिन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण विधान परिषद में यह कहते हुए रिपोर्ट पेश करने से कतरा गए कि अभी इस रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट [एटीआर] तैयार नहीं है। लेकिन कांग्रेस सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के इशारे पर यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई । क्योंकि केंद्र की संप्रग सरकार दो दिन बाद ही पांच अगस्त से शुरू होनेवाले संसद के मानसून सत्र में इस रिपोर्ट के कारण होनेवाले हंगामे से बचना चाहती थी।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आदर्श सोसायटी की इमारत बनने में हुई अनियमितताओं में कांग्रेस के जिन तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम शामिल है, उनमें एक वर्तमान गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी हैं। शिंदे के मुख्यमंत्रित्वकाल में ही आदर्श सोसायटी को भूमि आवंटित की गई थी। सोसायटी को भूमि देने के कागजों पर हस्ताक्षर भी शिंदे के ही हैं। शिंदे इस समय न सिर्फ देश के गृहमंत्री हैं, बल्कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता भी हैं। महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार द्वारा ही बनाए गए जांच आयोग द्वारा उनकी भूमिका पर उंगली उठाए जाने से विपक्ष को उन्हें घेरने का अच्छा मौका मिल सकता था। इसलिए दिल्ली के इशारे पर मुख्यमंत्री चह्वाण रिपोर्ट पेश करने से कतरा गए।

ज्ञात हो कि आदर्श घोटाला सामने आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण को इसी कारण अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। अशोक चह्वाण के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बने पृथ्वीराज चह्वाण ने जनवरी, 2011 में दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर आदर्श घोटाले की जांच का जिम्मा उसे सौंपा था। इस आयोग ने अपनी 700 पृष्ठों की रिपोर्ट बजट सत्र के अंतिम दिन मुख्यसचिव को सौंपी थी। इसलिए उस समय रिपोर्ट सदन में नहीं रखी जा सकी। मानसून सत्र में यह रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने का इंतजार विपक्ष कर रहा था। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस बात का आश्वासन भी दिया था। लेकिन केंद्र के इशारे पर जांच रिपोर्ट मानसून सत्र में भी नहीं पेश की जा सकी।

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