नि:शुल्क रक्तदान से बचा रहे कितनों की जिंदगियां

भाई घनैया जी चैरिटेबल ट्रस्ट ने 17 साल में नि:शुल्क रक्त मुहैया करा हजारों लोगों को दी है नई जिंदगी, रक्त न मिलने से हुई मौत की खबरों ने किया प्रेरित

By Srishti VermaEdited By: Publish:Thu, 10 Aug 2017 10:45 AM (IST) Updated:Wed, 16 Aug 2017 10:12 AM (IST)
नि:शुल्क रक्तदान से बचा रहे कितनों की जिंदगियां
नि:शुल्क रक्तदान से बचा रहे कितनों की जिंदगियां

होशियारपुर (हजारी लाल)। वर्ष 2011 में 11 मई की रात होशियारपुर-जालंधर रोड पर बाइक सवार हरजीत सिंह बस की टक्कर से गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल लाया गया। खून ज्यादा बह गया था, जान बचाने को ओ पॉजिटिव ग्रुप खून की जरूरत थी। खून नहीं मिल रहा था। इसकी सूचना भाई घनैया जी चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रधान भूपिंदर सिंह पाहवा (अब स्व.) को मिली। उन्होंने तत्काल अपनी संस्था के जरिये खून का इंतजाम किया और हरजीत की जान बचाई। यह सिर्फ एक घटना नहीं है, संकट के समय में हर वर्ष सैकड़ों जरूरतमंद मरीजों को नि:शुल्क रक्त उपलब्ध करा ट्रस्ट उनकी जिंदगी बचा रहा है।

संस्था के ऐसे ही प्रयास से 17 वर्षों में 65 हजार लोगों को जीवनदान मिला है। सड़क हादसे में घायल छह हजार लोगों की जान समय पर मिले रक्त से बची है। संस्था ने थैलेसीमिया पीड़ित 34 बच्चों और 40 कैंसर रोगियों को भी गोद लिया है। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के लोग भी यहां से रक्त लेकर जाते हैं। संस्था की प्रेरणा से 95 हजार लोगों ने रक्तदान किया है। इन उपलब्धियों के लिए संस्था के पूर्व प्रधान स्व. भूपिंदर सिंह पाहवा को पंजाब सरकार ने दो बार सम्मानित किया है।

ऐसे हुई शुरुआत
होशियारपुर में वर्ष 1981 में महंत तारा सिंह के आशीर्वाद से भाई घनैया चैरिटेबल डिस्पेंसरी शुरू की गई थी।
उसी समय सड़क हादसों में घायल एकदो लोगों की समय से रक्त न मिलने की वजह से हुई मौत की खबरों ने भूपिंदर सिंह पाहवा को झिंझोड़ दिया। उनके मन में इच्छा जगी कि यहां पर ब्लड बैंक हो। उनकी मेहनत रंग लाई और 30 जनवरी 2000 में डिस्पेंसरी की इमारत में ब्लड बैंक की शुरुआत हुई। 18 यूनिट से शुरू हुए ब्लड बैंक में अब 800 यूनिट रखने की क्षमता है। एक मई 2017 को भूपिंदर सिंह पाहवा का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अब उनके बड़े बेटे जसदीप सिंह पाहवा ने पिता की ‘रक्तदान महादान’ मुहिम को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है।

संस्था का मकसद यही है कि रक्त की कमी के कारण किसी की जान न जाए।- जसदीप पाहवा, भाई घनैया जी चैरिटेबल ट्रस्ट।
वर्ष 2015 में सड़क हादसे में घायल हो गया था। खून की जरूरत थी। भाई घनैया जी चैरिटेबल ट्रस्ट ने खून मुहैया करवाया और मेरी जान बच गई।- जतिंदर सिंह, निवासी दसूहा।

यह भी पढ़ें : शिक्षित बच्चों से जन्म लेगा सशक्त समाज, नईम की पहल ने दिखाई नई दिशा

chat bot
आपका साथी