पिछले 5 सालों में पुलिस हिरासत में 669 लोगों की मौत, NHRC के हवाले से नित्यानंद राय ने दी जानकारी

गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एनएचआरसी के आंकड़ों के हवाले से यह जानकारी दी।

By AgencyEdited By: Publish:Wed, 08 Feb 2023 08:12 PM (IST) Updated:Wed, 08 Feb 2023 08:12 PM (IST)
पिछले 5 सालों में पुलिस हिरासत में 669 लोगों की मौत, NHRC के हवाले से नित्यानंद राय ने दी जानकारी
पिछले 5 सालों में पुलिस हिरासत में 669 लोगों की मौत, NHRC के हवाले से नित्यानंद राय ने दी जानकारी

नई दिल्ली, एएनआई। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखित उत्तर में सदन को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए। ऐसे में 1 अप्रैल, 2017 से लेकर 31 मार्च, 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।

पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय

नित्यानंद राय ने एनएचआरसी के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं।

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नित्यानंद राय ने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि, केंद्र सरकार समय-समय पर एडवाइजरी जारी करती है और मानवाधिकार अधिनियम (PHR), 1993 का संरक्षण भी करती है।

NHRC सेमिनारों का करता है आयोजन

उन्होंने कहा कि जब एनएचआरसी को कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें मिलती हैं तो आयोग निर्धारित प्रावधानों के तहत कार्रवाई करता है। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी मानव अधिकारों की बेहतर समझ और विशेष रूप से हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लोकसेवकों को संवेदनशील बनाने के लिए समय-समय पर कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन भी करता है।

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