भारी बर्फबारी से उच्च हिमालयी क्षेत्र के 30 गांवों में बिजली-पानी ठप, दस हजार की आबादी संकट में

जिले के करीब 30 गांव बर्फबारी से ढके हुए हैं। इन गांवों में अधिकतम तापमान भी माइनस में ही चल रहा है। स्थिति यह है कि इन गांवों को आने वाली पेयजल लाइनों में पानी जम गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 10 Jan 2019 10:24 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jan 2019 10:25 AM (IST)
भारी बर्फबारी से उच्च हिमालयी क्षेत्र के 30 गांवों में बिजली-पानी ठप, दस हजार की आबादी संकट में
भारी बर्फबारी से उच्च हिमालयी क्षेत्र के 30 गांवों में बिजली-पानी ठप, दस हजार की आबादी संकट में

उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। सीमांत उत्तरकाशी जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र से लगे 30 गांवों की करीब दस हजार की आबादी का जीवन संकट में है। गांव ही नहीं, गांवों तक जाने वाले रास्ते भी बर्फ से ढके हुए हैं। गांवों में न बिजली है, न पानी। यहां तक कि खाद्यान्न भी पूरा नहीं है। सबसे बड़ी मुश्किल तो संचार सुविधा न होने से पेश आ रही है। ऐसी स्थित में ग्रामीण किसी को अपनी परेशानी बताएं भी तो कैसे।

बीते शनिवार और रविवार को भारी बर्फबारी होने के कारण इन गांवों को जोडऩे वाले दस सड़क मार्ग बंद हो गए थे। हालांकि, लोनिवि (लोक निर्माण विभाग), एनएच (नेशनल हाइवे) व बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने सड़क से बर्फ तो हटा दी है। लेकिन, सड़क पर बर्फ की परत के ऊपर जमे पाले के कारण फिसलन बनी हुई है। ऐसे में इन मार्गों पर पैदल चलना भी जोखिमभरा है। जिससे ग्रामीण निकटवर्ती बाजारों तक आवाजाही भी नहीं कर पा रहे। आपदा प्रबंधन और प्रशासन ने भी इस तरह के जोखिम वाले मार्गों पर सुरक्षा की दृष्टि से वाहन न चलाने की अपील की है।

इन गांवों के विषम भूगोल को देखते हुए प्रशासन की ओर से जनवरी व फरवरी का चावल तो दिसंबर में ही यहां भेज दिया गया था। लेकिन, गेहूं और कैरोसिन आज तक नहीं पहुंचा। जबकि, भारी बर्फबारी के कारण विद्युत आपूर्ति ठप पड़ने से मोरी क्षेत्र के इन सुदूरवर्ती गांवों में अंधेरा पसरा हुआ है। सड़क से 25 किमी की पैदल दूरी पर स्थित ओसला गांव के रणवीर ङ्क्षसह बताते हैं कि ग्रामीणों के पास न तो खाने के लिए आटा बचा है और न लैम्प-लालटेन जलाने के लिए कैरोसिन ही। यह परेशानी कम-से-कम फरवरी तक रहनी है। इसके बाद ही इन गांवों को जोड़ने वाले पैदल मार्ग और सड़कें सुचारु हो पाएंगी।

इन गांवों में है संकट मोरी ब्लॉक में: ओसला, पवांणी, गंगाण, ढाटमीरा, सिरगा, सांवणी, सटूड़ी, लिवाड़ी, कासला, राला, फिताड़ी, हरीपुर, नुराणु, हड़वाड़ी, सेवा, बरी, खाना, ग्वलागांव, किराणु, माकुड़ी व रेक्चा। पुरोला ब्लॉक में: सर, पोंटी, चिमडार, लेवटाड़ी, छानिका, गौल, सर व डिंगाड़ी। नौगांव ब्लॉक में: खरसाली, बीफ, फूलचट्टी, जानकीचट्टी, कुठार, निसणी, पिंडकी व मदेश। भटवाड़ी ब्लॉक में: मुखबा, हर्षिल व धराली।

(नोट: इन गांवों में 15 गांव तो ऐसे हैं जिनकी सड़क से पैदल दूरी दस किमी से अधिक है।)

बर्फ पिघलाकर कर रहे पानी का जुगाड़
जिले के करीब 30 गांव बर्फबारी से ढके हुए हैं। इन गांवों में अधिकतम तापमान भी माइनस में ही चल रहा है। स्थिति यह है कि इन गांवों को आने वाली पेयजल लाइनों में पानी जम गया है। इससे लाइनें कई स्थानों पर फट भी गई हैं। यहां तक की इन गांवों में धारे-नौलों (प्राकृतिक जलस्रोत) ने भी बर्फ का रूप ले लिया है। ऐसे में पानी का इंतजाम करने के लिए बर्फ को पिघलाया जा रहा है। हर्षिल निवासी माधवेंद्र रावत कहते हैं कि पानी की आपूर्ति ठप होने से गांवों में सबसे अधिक परेशानी पशुओं के लिए पानी जुटाने में हो रही है। उन्हें पानी पिलाने के लिए भी बर्फ पिघलानी पड़ रही है।

'ठंड के कारण जब पानी बर्फ बन जाता है तो पाइप फट जाते हैं। इस तरह की परेशानी हर साल आती है। अभी हमारे पास ऐसी तकनीक नहीं है, जिससे न तो पानी जमे और पाइप ही फटें। जिन स्रोतों से पानी टेप किया जाता है, वे भी जम जाते हैं। जो गांव सड़क से जुड़े हैं, उनमें हैंडपंप लगाए गए हैं।'
-बीएस डोगरा, ईई, जल संस्थान, उत्तरकाशी

'मोरी, पुरोला, नौगांव व भटवाड़ी ब्लॉक के करीब 30 गांवों के लिए गेहूं का कोटा जल्द ही भेजा जाएगा। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। जबकि, कैरोसिन का कोटा पिछले एक वर्ष से स्वीकृत नहीं हुआ।'
-गोपाल मटूड़ा, जिला पूर्ति अधिकारी, उत्तरकाशी

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