SC Decision on Final Year Exams 2020: राज्य यूजीसी से परामर्श कर अंतिम वर्ष की परीक्षा स्थगित कर सकते हैं, लेकिन रद्द नहीं कर सकते- सुप्रीम कोर्ट

SC Decision on Final Year Exams 2020 कोर्ट ने कहा कि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बिना छात्रों को बढ़ावा नहीं दे सकते। सभी छात्रों को अंतिम परीक्षा देनी होगी।

By Rishi SonwalEdited By: Publish:Fri, 28 Aug 2020 12:27 PM (IST) Updated:Fri, 28 Aug 2020 12:27 PM (IST)
SC Decision on Final Year Exams 2020: राज्य यूजीसी से परामर्श कर अंतिम वर्ष की परीक्षा स्थगित कर सकते हैं, लेकिन रद्द नहीं कर सकते- सुप्रीम कोर्ट
SC Decision on Final Year Exams 2020: राज्य यूजीसी से परामर्श कर अंतिम वर्ष की परीक्षा स्थगित कर सकते हैं, लेकिन रद्द नहीं कर सकते- सुप्रीम कोर्ट

SC Decision on Final Year Exams 2020: देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना अंतिम निर्णय सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूजीसी की अनुमति के बिना राज्य परीक्षा रद्द नहीं कर सकते। अंतिम वर्ष की परीक्षाएं लिए बिना छात्रों को उत्तीर्ण नहीं किया जा सकता है। राज्यों को 30 सितंबर तक परीक्षा कराने होंगे। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि जो राज्य 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें यूजीसी को इसकी जानकारी देनी होगी। बता दें कि जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना अंतिम फैसला सुनाया।

कोर्ट ने कहा है कि राज्यों को परीक्षा रद्द करने का अधिकार है, लेकिन बिना परीक्षा के छात्रों को बढ़ावा नहीं दे सकते। उस विशेष राज्यों में परीक्षा रद्द करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निर्देश यूजीसी के निर्देशों पर लागू होंगे। परीक्षा आयोजित किए बिना छात्र पदोन्नति नहीं कर सकते। यदि किसी राज्य ने यह निर्णय लिया है कि परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है, तो हम समय सीमा बढ़ाने के लिए यूजीसी से संपर्क करने की स्वतंत्रता देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 6 जुलाई के सर्कुलर को उचित ठहराते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य महामारी के कारण परीक्षा स्थगित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें यूजीसी के परामर्श पर नई तिथियां जारी करनी होंगी। कोर्ट ने कहा कि राज्य अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बिना छात्रों को बढ़ावा नहीं दे सकते। सभी छात्रों को अंतिम परीक्षा देनी होगी। अदालत के अनुसार राज्य केवल उन्हें स्थगित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें रद्द नहीं कर सकते।

बता दें कि छात्रों सहित महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे की युवा सेना द्वारा समेत कई याचिकाओं में महामारी के कारण परीक्षा रद्द करने की मांग की गई थी। एक समय में सभी शैक्षणिक संस्थानों को वायरस के संकट के कारण बंद कर दिया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि छात्रों ने पांच सेमेस्टर पूरे किए हैं और उनके पास संचयी ग्रेड प्वाइंट औसत या सीजीपीए था, जो अंतिम परीक्षाओं के बिना परिणामों का आधार हो सकता है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि आंतरिक आकलन पर्याप्त नहीं होगा। यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह फैसला 'छात्रों के लाभ' के लिए था, क्योंकि विश्वविद्यालयों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश शुरू करना है।

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