नौकरी छोड़ शुरू किया घड़ियों का कारोबार, अब विदेशों से भी मिल रहे ऑर्डर; पढ़ें- अब्दुल की कहानी

टी-सार कंपनी के सह-संस्थापक अब्दुल कहते हैं कि अगर भय या डर को सकारात्मक रूप से लिया जाए तो वह एक ड्राइविंग फोर्स बन सकता है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Tue, 17 Sep 2019 02:28 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 02:31 PM (IST)
नौकरी छोड़ शुरू किया घड़ियों का कारोबार, अब विदेशों से भी मिल रहे ऑर्डर; पढ़ें- अब्दुल की कहानी
नौकरी छोड़ शुरू किया घड़ियों का कारोबार, अब विदेशों से भी मिल रहे ऑर्डर; पढ़ें- अब्दुल की कहानी

नई दिल्ली [अंशु सिंह]। इंदौर के अब्दुल कादिर भंडारी, मुंबई के हैदर अली लश्करी और चेन्नई के अब्बास अकबरी की डिजाइनर वुडन घड़ियां आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब रही हैं। लेकिन इनका यह सफर कहीं से आसान नहीं रहा। टी-सार कंपनी के सह-संस्थापक अब्दुल कहते हैं कि अगर भय या डर को सकारात्मक रूप से लिया जाए, तो वह एक ड्राइविंग फोर्स बन सकता है।

डर से हम बेहतर और प्रभावशाली तरीके से सोच पाते हैं। यह नतीजों को बेहतर रूप से समझने में मदद करता है। सोचने की प्रक्रिया को व्यापक बनाता है। हम भी शुरू में डरे हुए थे, लेकिन उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और छोटे-छोटे कदमों के साथ आगे बढ़ते गए। अब्दुल की मानें, तो सफलता कभी आसानी से नहीं मिलती। हमें हर नाकामी के लिए तैयार रहना होता है।

मैं, हैदर और अब्बास मुंबई में पढ़ाई के दौरान मिले थे। वैसे तो तीनों अलग-अलग विषयों की पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन हॉस्टल में सब साथ ही रहते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद सभी अपने-अपने शहरों में काम करने लगे। मैं ईजी बाजार नामक एक ऑनलाइन पोर्टल में डिप्टी मैनेजर का काम देखने लगा, अब्बास फोर्ड कंपनी में चले गए और हैदर कुवैत। लेकिन हम तीनों ही अपनी नौकरियों में खुश नहीं थे। कुछ अपना करना चाहते थे। हमने कई आइडियाज पर काम किया। तभी ख्याल आया कि क्यों न ऐसी घड़ियों का निर्माण किया जाए, जिसमें धातु की जगह लकड़ी हो। मैंने हैदर से लकड़ी की डिजाइनर रिस्ट वॉच के निर्माण का आइडिया शेयर किया। सभी जोखिम उठाना चाहते थे, लेकिन नौकरी खोने का डर भी समाया हुआ था। आखिर में सबने अपनी बचत राशि लगाकर टी-सार ब्रांड से वुडन घड़ियों का कलेक्शन लॉन्च किया।

गैरेज से हुई थी शुरुआत

दुनिया की कई बड़ी कंपनियों की शुरुआत गैरेज से हुई थी, इसलिए हमने अपनी कंपनी भी अपने घर के गैरेज से ही शुरू की। यहां तक कि कॉलोनी के लोगों को भी पता नहीं चला कि हम क्या कर रहे हैं। मार्च 2016 में हमने चंदन, अखरोट और अमेरिका में मिलने वाली एक खास प्रकार की लकड़ी कोया से बनी घड़ियों पर काम शुरू किया। बाद में अब्बास भी फोर्ड की नौकरी छोड़कर हमारे साथ आ गए। वह हमारे लिए खुशी का सबसे बड़ा पल था, जब पांच महीने के छोटे से समय में हमें सिंगापुर, कुवैत, दुबई, केन्या, युगांडा, मोजांबिक और घाना से कई ऑर्डर मिले।

आइडिया को लागू करने की चुनौती

जब भी कोई नई शुरुआत होती है, तो हर तरफ से चुनौतियां सामने आती हैं। बेशक आइडिया आपका होता है, लेकिन उसे लागू करना कहीं से आसान नहीं होता। हमारे सामने पहला चैलेंज घड़ियों की बिक्री को लेकर आया। दरअसल, लोग चमड़े और मेटल की घड़ियां पहनने के इतने आदि हो चुके हैं कि उन्हें हमारे प्रोडक्ट को स्वीकार करने में समय लगा।

टेक्नोलॉजी की रही बड़ी भूमिका

टेक्नोलॉजी की ही बात करें, तो शुरुआत में हमारे सामने अपने प्रोडक्ट की देश के स्थापित बाजार में मार्केटिंग करने और उसे मान्यता दिलाने का चैलेंज रहा। हमारे पास डिजिटल मार्केटिंग का भी कम ही अनुभव था। इसी क्रम में हमें गूगल के डिजिटल मार्केटिंग टूल प्राइमर की जानकारी मिली। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां डिजिटल मार्केटिंग से संबंधित काफी जानकारियां हैं। इस एप की मदद से हमें अपने अलावा दूसरे सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉम्र्स के लिए बिजनेस स्ट्रेटेजी बनाने में आसानी हुई। इसके जरिए हमें नए कॉन्सेप्ट्स एवं आइडियाज के बारे में जानने को मिला, जिससे हम अपने कस्टमर बेस को बढ़ा सके। कंपनी के विस्तार की योजना बना सके।

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