संसद में उठा UPSC परीक्षा के प्रश्‍नपत्र में 'स्टील प्लांट' को 'इस्पात का पौधा' लिखने का मुद्दा

यूपीएससी की परीक्षा में अंग्रेजी में लिखे शब्दों स्टील प्लांट का हिन्दी का अनुवाद इस्पात का पौधा लिखा गया। इस मामले को भाजपा सदस्य ने संसद के उच्‍च सदन राज्यसभा में उठाया।

By Rajat SinghEdited By: Publish:Thu, 01 Aug 2019 03:59 PM (IST) Updated:Thu, 01 Aug 2019 04:11 PM (IST)
संसद में उठा UPSC परीक्षा के प्रश्‍नपत्र में 'स्टील प्लांट' को  'इस्पात का पौधा'  लिखने का मुद्दा
संसद में उठा UPSC परीक्षा के प्रश्‍नपत्र में 'स्टील प्लांट' को 'इस्पात का पौधा' लिखने का मुद्दा

नई दिल्ली, जेएनएन। संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में हिंदी और अन्य भाषाओं के गलत अनुवाद का मामला संसद में भी उठाया गया। गलत अनुवाद से परेशान छात्रों की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने गूलग से अनुवाद का आरोप लगाया। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से यूपीएससी की परीक्षा में अबूझ, क्लिष्ट एवं अव्यावहारिक हिंदी को लेकर छात्रों ने सवाल खड़े किए हैं।

शून्यकाल में भाजपा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, 'अंग्रेजी के पेपर का अनुवाद गूगल से किया जाता है। यह सामान्यत: गलत और न समझ में आने वाला होता है। इससे हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के मेधावी छात्र उसे समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में जब सवाल ही गलत होंगे, तो उत्तर किसी भी प्रकार से सही नहीं हो सकते।' इस दौरान उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए और कुछ वाक्य भी बताए। जैसे- ‘वार्महोल’ से होते हुए अंतरा-मंदाकनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई। वहीं उन्होंने बताया कि अंग्रेजी में लिखे शब्दों 'स्टील प्लांट' का हिन्दी में अनुवाद 'इस्पात का पौधा' लिखा गया। उन्होंने आगे कहा कि इन वाक्यों का अर्थ केवल गूगल या यूपीएससी के अधिकारी ही बता सकते हैं।

प्रदर्शन में आई गिरावट
यादव ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों केे गिरते प्रदर्शन का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि साल 2000 में भारतीय भाषाओं के छात्रों की सफलता का प्रतिशत 20 था, जो सीसैट लागू होने के बाद से 2008 में 2 फीसद हो गया। उन्होंने बताया कि पिछले साल 1222 उम्मीदवारों का चयन हुआ था, जिनमें से हिंदी भाषी केवल 26 और अन्य भारतीय भाषाओं के केवल 27 छात्रों का चयन हुआ था।

देश में हिन्दी उपेक्षित
यादव ने देश में हिंदी को उपेक्षा का शिकार बताया। उन्होंने कहा 'जब प्रधानमंत्री दूसरे देशों की यात्रा पर जाते हैं और वहां पर हिंदी में बोलते हैं या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में भाषण देते हैं तो पूरा देश गौरवान्वित होता है। लेकिन हमारे ही देश में हिंदी किस कदर उपेक्षित है, उसका पता संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सवालों के हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में गलत अनुवाद से चल जाता है।' 

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