भीमा कोरेगांव घटना के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार

भीमा कोरेगांव की पंचायत ने आज एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर उनके गांव में हुई अशांति के लिए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।

By BabitaEdited By: Publish:Sat, 06 Jan 2018 09:31 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jan 2018 12:48 PM (IST)
भीमा कोरेगांव घटना के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार
भीमा कोरेगांव घटना के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार

मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र में करीब एक सप्ताह छाई रही अशांति का केंद्र रहे भीमा कोरेगांव और वढ़ू बुदरक गांव के लोग अपने गांव में हुई अप्रिय घटनाओं के लिए बाहरी शक्तियों को जिम्मेदार मान रहे हैं। इन गांवों के लोग नहीं चाहते कि भविष्य में कोई बाहरी व्यक्ति इनके गांव में हस्तक्षेप करे। 

सरकार की लापरवाही 

भीमा कोरेगांव की पंचायत ने आज एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर उनके गांव में हुई अशांति के लिए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। ग्रामवासियों का कहना है कि यहां वर्षों से दलित और मराठा समाज के लोग एक साथ रहते आए हैं। कभी एक-दूसरे के प्रति वैमनस्य की भावना सामने नहीं आई। यहां के युद्ध स्मारक पर भी हर साल लोग आते हैं। लेकिन कभी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। हम पहले भी एक थे, और आगे भी एक रहेंगे। गांव में जो कुछ भी हुआ, बाहरी लोगों के कारण हुआ।

 

ग्रामवासियों के अनुसार अशांति पैदा होने में सरकार की लापरवाही भी कम जिम्मेदार नहीं है। गांववालों की मांग है कि एक जनवरी को उनके गांव में तोडफ़ोड़ हुई। वाहन जलाए गए। दुकानें लूटी गईं। पुलिस को इस प्रकरण की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही स्थानीय लोगों को हुए नुकसान का पंचनामा कर उनके नुकसान की भरपाई भी होनी चाहिए। बता दें कि भीमा कोरेगांव में अंग्रेजों द्वारा स्थापित युद्ध स्मारक की 200वीं बरसी पर एक जनवरी को कई लाख दलितों के जमाव के बाद शुरू हुए उपद्रव ने ही महाराष्ट्र को तीन दिन तक बंधक बनाए रखा। 

अब नही होगा बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप

दूसरी ओर वढ़ू बुदरक गांव में भी दोनों समाजों के लोगों ने एकत्र आकर तय किया कि बाहर के किसी व्यक्ति का हस्तक्षेप वह अपने गांव के मसलों में नहीं होने देंगे। एक जनवरी, 2018 को शुरू भीमा कोरेगांव से शुरू हुई अशांति में कुछ भूमिका 29 दिसंबर की रात इस गांव में हुई एक घटना को माना जा रहा है। इसी गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजी राजे एवं उनका अंतिम संस्कार करने वाले दलित वर्ग के गोविंद महाराज की समाधि भी है। कहा जाता है कि गोविंद महाराज की समाधि पर लगाए गए छत्र को 29 दिसंबर की रात कुछ अज्ञात लोगों ने तोड़कर समाधि पर लगे नामपट को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था।

 

31 दिसंबर की शाम शनिवार वाड़ा पर जिग्नेश मेवाणी एवं उमर खालिद की उपस्थिति में हुई यलगार परिषद के साथ इस घटना को भी एक जनवरी के उपद्रव की पृष्ठभूमि माना जा रहा है। इस गांव के मराठा और दलित दोनों समुदायों ने एक साथ आकर गोविंद महाराज की क्षतिग्रस्त समाधि को ठीक कराने एवं मराठा समाज पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज मामला वापस लेने का निर्णय किया। 

भिड़े के समर्थन में उतरे शिवाजी के वंशज 

छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज एवं राष्टï्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद उदयनराजे भोसले ने श्री शिव प्रतिष्ठान के संस्थापक संभाजी भिड़े का खुलकर समर्थन किया है। पुणे विश्वविद्यालय के 80 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रोफेसर संभाजी भिड़े के विरुद्ध भीमा कोरेगांव के लिए उकसाने का आरोप है। उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। 

 

पूरी घटना की गहराई से जांच की मांग 

सातारा के सांसद उदयनराजे भोसले ने भिड़े गुरु जी को पितातुल्य बताते हुए कहा कि उनके प्रति हमारे मन में आदर है, और रहेगा। उनके जैसे व्यक्ति के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने से पहले थोड़ा विचार किया जाना चाहिए था। स्वयं संभाजी भिड़े ने भी एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर द्वारा उन पर लगाए जा रहे आरोपों को गलत बताया है। भिड़े के अनुसार आंबेडकर एक जनवरी को भीमा कोरेगांव में उनके उपस्थित रहने एवं लोगों का भड़काने का आरोप लगाया है। वह मेरी तुलना याकूब मेमन से करते हुए मेरी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। मैं महाराष्ट्र शासन से मांग करता हूं कि पूरी घटना की गहराई से जांच कर, जो भी दोषी पाया जाए, उसके विरुद्ध उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

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