Anil Deshmukh Case: अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से भी तगड़ा झटका, याचिकाएं खारिज

Anil Deshmukh Case सुप्रीम कोर्ट ने अनिल देशमुख व महाराष्ट्र सरकार की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा जिस तरह के आरोप व लोग शामिल हैं मामले में स्वतंत्र जांच की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 04:28 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 04:40 PM (IST)
Anil Deshmukh Case: अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से भी तगड़ा झटका, याचिकाएं खारिज
सुप्रीम कोर्ट से अनिल देशमुख व महाराष्ट्र सरकार को झटका, याचिका खारिज। फाइल फोटो

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सौ करोड़ की उगाही के मामले में सीबीआइ जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और महाराष्ट्र सरकार को गुरुवार को बड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने अनिल देशमुख और महाराष्ट्र सरकार की याचिकाएं खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इन्कार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि मामले की गंभीरता, लगाए गए आरोपों और शामिल व्यक्तियों को देखते हुए, जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी के करने की जरूरत है। तथ्यों को देखते हुए लोगों के भरोसे का सवाल है। यह आदेश जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने सिर्फ एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को मामले की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है।

महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु ¨सघवी की यह दलील स्वीकार करने योग्य नहीं है कि सिर्फ इसलिए स्वतंत्र एजेंसी से जांच का आदेश न दिया जाए क्योंकि गृह मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है।कोर्ट ने कहा कि दो व्यक्ति हैं एक गृहमंत्री के पद पर था और दूसरा पुलिस कमिश्नर के पद पर। दोनों ने लंबे समय साथ काम किया। पुलिस कमिश्नर, गृहमंत्री के भरोसे के तहत काम करता है। कोर्ट ने अनिल देशमुख के वकील कपिल सिब्बल की भी यह दलील ठुकरा दी कि सीबीआइ को प्रारंभिक जांच का आदेश दिए जाने से पहले अनिल देशमुख का पक्ष सुना जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का पक्ष सुना था और देशमुख उस वक्त मंत्री थे।कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बार बार कहा कि लगाए गए आरोप गंभीर हैं। ये ऐसे दो लोगों से जुड़ा मामला है जो पहले साथ काम कर रहे थे बाद में अलग हुए। इसलिए इसमें सीबीआइ जैसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच करनी चाहिए।

कोर्ट ने ¨सघवी से कहा कि आपका कहना है कि गृह मंत्री ने हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद इस्तीफा दे दिया इसलिए सीबीआइ जांच नहीं होनी चाहिए। लेकिन इससे हाईकोर्ट का फैसला कैसे गलत हो जाता है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से हाई कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि हाई कोर्ट ने सिर्फ इस पर बहस सुनी थी कि याचिका सुनवाई योग्य हैं कि नहीं और बाद में फैसला केस की मेरिट पर सुना दिया। हाई कोर्ट ने मेरिट पर फैसला देने से पहले प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने और अपनी दलीलें रखने का मौका नहीं दिया।

पीठ के जस्टिस संजय किशन कौल ने टिप्पणी की कि ये सारी समस्याएं इसलिए हैं कि पुलिस सुधार के बारे में दिया गया प्रकाश ¨सह का फैसला लागू नहीं किया गया। इस मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर पुलिस के जरिये सौ करोड़ की उगाही कराने का आरोप लगाया था। जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया। परमबीर ¨सह ने पहले सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच की मांगी की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट जाने को कहा। इसके बाद परमबीर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। परमबीर के अलावा तीन और याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं जिसमें अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने एडवोकेट जयश्री पाटिल की आपराधिक याचिका पर 5 अप्रैल को सीबीआइ को प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था।

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