Maharashtra: अनिल देशमुख ने दिया इस्तीफा, दिलीप वालसे पाटिल बने महाराष्ट्र के नए गृहमंत्री

Anil Deshmukh Résignation महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। देशमुख के इस्तीफे के बाद भाजपा और आक्रामक हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की नैतिकता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 02:56 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 09:01 PM (IST)
Maharashtra: अनिल देशमुख ने दिया इस्तीफा, दिलीप वालसे पाटिल बने महाराष्ट्र के नए गृहमंत्री
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दिया इस्तीफा। फाइल फोटो

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Anil Deshmukh Résignation: मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा 100 करोड़ रुपये के वसूली प्रकरण में सीबीआइ जांच का आदेश दिए जाने के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के मुताबिक, सीएम उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेज दिया गया है। इधर, दिलीप वालसे पाटिल प्रदेश के नए गृहमंत्री बने हैं। दिलीप वालसे पाटिल के श्रम विभाग का प्रभार हसन मुश्रीफ को अतिरिक्त प्रभार के रूप में दिया है। राज्य के आबकारी विभाग की देखरेख डिप्टी सीएम अजीत पवार करेंगे। इस बीच, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अनिल देशमुख का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। उन्होंने दिलीप वालसे पाटिल को गृह विभाग का प्रभार देने की सीएम की सिफारिश को स्वीकार कर ली है। साथ ही, हसन मुश्रीफ और अजीत पवार को श्रम विभाग और राज्य उत्पाद शुल्क का अतिरिक्त प्रभार दे दिया है।

आक्रामक हुई भाजपा

इस बीच, देशमुख के इस्तीफे के बाद भाजपा और आक्रामक हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की नैतिकता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। मुंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर पूर्व पुलिस आयुक्त द्वारा लगाए गए 100 करोड़ रुपयों की वसूली के आरोपों पर सीबीआइ से प्राथमिक जांच कराने के आदेश दिए। यह फैसला आने के कुछ ही देर बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार से मिलने गए और उनसे कहा कि सीबीआइ जांच जारी रहने तक उन्हें पद पर बने रहना उचित नहीं लगता, इसलिए अब वह मंत्री नहीं बने रहना चाहते।

पवार की सहमति मिलते ही देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा भेज दिया। देशमुख ने इस्तीफे में लिखा कि एडवोकेट डॉ. जयश्री पाटिल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआइ से प्राथमिक जांच कराने के आदेश दिए हैं। इसलिए नैतिक दृष्टि से मेरा पद पर बने रहना उचित नहीं लगता। अतः मैं पद से हटने का निर्णय कर रहा हूं। मुझे गृहमंत्री पद से मुक्त किया जाए। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि गृहमंत्री देशमुख पुलिस अधिकारियों से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपयों की वसूली करवाना चाहते हैं। इस प्रकरण की जांच के लिए परमबीर सहित कुछ और याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई थीं। इन्हीं में से एक पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता व न्यामूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने सीबीआई को इस मामले की प्राथमिक जांच के निर्देश दिए हैं। यदि प्राथमिक जांच में सीबीआइ को महत्त्वपूर्ण तथ्य मिलते हैं, तो सीबीआई बाकायदा केस दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू करेगी। देशमुख के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर विपक्षी दल भाजपा का दबाव और बढ़ गया है। अनिल देशमुख पिछले डेढ़ माह के अंदर ही भाजपा के दबाव में इस्तीफा देनेवाले उद्धव सरकार के दूसरे मंत्री हैं। इससे पहले पूजा चव्हाण आत्महत्या प्रकरण में वनमंत्री संजय राठोड़ भी इस्तीफा दे चुके हैं।

देशमुख के इस्तीफे के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शिवसेनानीत महाविकास अघाड़ी सरकार को वसूली अघाड़ी सरकार बताते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से पूछा है कि अनिल देशमुख ने तो नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया है, आपकी नैतिकता कहां है। उन्होंने उद्धव को संबोधित करते हुए कहा कि अब आप शासन करने के नैतिक अधिकार से वंचित हो गए हैं।

महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने भी उद्धव सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इंटेलीजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट सामने आने के बाद ही पता चल गया था कि महाराष्ट्र में एक प्रकार का सिंडीकेट राज चल रहा था। ये सारी चीजें बाहर आने के बाद तुरंत देशमुख का इस्तीफा ले लेना चाहिए थे। लेकिन वह नहीं लिया गया। आखिरकार उच्चन्यायालय के हस्तक्षेप के कारण यह इस्तीफा देना पड़ा है। फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर भी हमला बोलते हुए सवाल किया कि मुख्यमंत्री मौन क्यों हैं ? यह पूरा प्रकरण बढ़ता गया, जटिल होता गया, परत दर परत खुलता गया, कई आश्चर्यचकित करने वाली चीजें बाहर आईं, लेकिन इस सारे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मौन रहे।

मुख्यमंत्री का पिछला बयान सचिन वाझे के बचाव में ही आया था, जब उन्होंने कहा था कि वाझे कोई लादेन थोड़ी है। तब से आज तक एक भी आधिकारिक बयान मुख्यमंत्री ने नहीं दिया है। फड़नवीस के अनुसार मुख्यमंत्री अपनी सरकार बचाने के लिए अलग-अलग तरह के समझौते लगातार करते जा रहे हैं। लेकिन ये समझौते एक तरह से महाराष्ट्र की इज्जत और अस्मिता के साथ हो रहे हैं। इस पर मुख्यमंत्री को जवाब देना पड़ेगा। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में पुलिस बल का उपयोग जिस प्रकार से निजी कामों व हफ्तावसूली के लिए होने लगा था, उसका हश्र इसी रूप में सामने आना था।

इस तरह चला घटनाक्रम

- 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी की कर्माइकल रोड स्थित इमारत के निकट एक स्काíपयो कार खड़ी पाई गई थी। इस कार में विस्फोटक जिलेटिन की 20 छड़ें, एवं मुकेश अंबानी के नाम रोमन में लिखा एक धमकी भरा पत्र पाया गया।

- इस मामले में स्थानीय गांव देवी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया। लेकिन जांच का दायित्व क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट (सीआइयू) के प्रभारी एपीआइ सचिन वाझे को दे दिया गया।

- वाझे जांच कर ही रहे थे कि केंद्र सरकार ने अंटीलिया प्रकरण की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी एनआइए को सौंप दी।

- एनआइए ने सचिन वाझे को ही इस मामले में मुख्य संदिग्ध मानते हुए गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान सीएम उद्धव ठाकरे एवं गृह मंत्री अनिल देशमुख सचिन वाझे के बचाव में खुलकर बयान देते दिखाई दिए।- सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद जब सरकार कटघरे में आती दिखाई दी तो सरकार ने आनन-फानन में मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का स्थानांतरण अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण समझे जानेवाले पद महानिदेशक होमगार्ड के रूप में कर दिया।

- दो दिन बाद ही गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में यह कहकर परमबीर के जख्मों को हरा कर दिया कि उनका स्थानांतरण सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था। उनका स्थानांतरण उनके काम में पाई गई लापरवाही के कारण किया गया।- देशमुख के इस बयान के बाद परमबीर ने आठ पेज का एक पत्र मुख्यमंत्री को लिखा, जिसमें देशमुख पर पुलिस अधिकारियों से 100 करोड़ रुपए महीने की वसूली का आरोप लगाया गया।

- फिर परमबीर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर करने गए, जिसमें उन्होंने एक साल पहले इंटेलीजेंस कमिश्नर द्वारा मुख्यमंत्री को भेजी गई एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार के स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच कराने की मांग की।- सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार नहीं किया और उन्हें हाई कोर्ट में जाने को कहा।

- इसके बाद परमबीर ने बांबे हाई कोर्ट में अपनी याचिका दायर की। लेकिन वहां इस पूरे प्रकरण की जांच करवाने के लिए उनके अलावा कुछ और लोग भी याचिकाएं दायर कर चुके थे।

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