महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा की धूम, पारंपरिक वेशभूषा में प्रचार करने निकली अभिनेत्री व लोस उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर

GudiPadwa 2019 महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व हर्षोल्‍लास से मनाया जा रहा है फिल्में सितारे हों या राजनेता हर कोई इसके रंग में डूबा हुआ है।

By BabitaEdited By: Publish:Sat, 06 Apr 2019 12:00 PM (IST) Updated:Sat, 06 Apr 2019 12:00 PM (IST)
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा की धूम, पारंपरिक वेशभूषा में प्रचार करने निकली अभिनेत्री व लोस उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा की धूम, पारंपरिक वेशभूषा में प्रचार करने निकली अभिनेत्री व लोस उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर

मुंबई,एएनआइ। मराठी नव वर्ष के आरंभ होने की खुशी में पूरे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र और कोंकण में इस पर्व को संवत्सर पडवो भी कहा जाता है। चाहे फिल्मी सितारे हों या राजनेता हर कोई गुड़ी पड़वा के खुमार में डूबा हुआ है। 

गुड़ी पड़वा के अवसर पर, अभिनेत्री और कांग्रेस की लोकसभा उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर भी विशेष पारंपरिक वेशभूषा में प्रचार करने के लिए निकलीं। उर्मिला ने चारकोप, मगथाना में लोगों के घर जाकर उनसे मुलाकात की। गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस का हाथ थामने वाली अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को पार्टी ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। उर्मिला उत्तरी मुंबई से कांग्रेस उम्मीदवार होंगी। बता दें कि 27 फरवरी को ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद उर्मिला ने पार्टी की सदस्यता ली थी। बता दें कि मुंबई की 6 लोकसभा सीटों के लिए चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान किया जाएगा। उर्मिला मातोंडकर का मुकाबला भाजपा  के मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी से होगा। 

महिलाओं ने गुड़ी पड़वा के अवसर पर मुंबई में दोपहिया वाहन रैली निकाली।

 क्या है गुड़ी पड़वा का इतिहास और महत्व?

प्राचीन मान्याताओं के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण  किया था और सतयुग का आरम्भ हुआ था। तभी से गुड़ी पड़वा या संवत्सर पडवो को  मराठी और कोंकणी समुदाय के लोग वर्ष के पहले दिन के रूप में मनाते हैं। इस दिन से वे नए संवत्सर का आरंभ मानते हैं। संवत्सर साठ वर्षों का चक्र है,  और सभी की पहचान अलग नाम से की जाती है। गुड़ी पड़वा को कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उगादि के रूप में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा और उगादि सभी एक ही दिन मनाए जाते हैं।

मराठी नववर्ष गुड़ी पड़वा की गणना  लुडी-सौर कैलेंडर के अनुसार होती है। ये कैलेंडर चंद्रमा और सूर्य की  स्थिति को महीने और दिनों में विभाजित करने के लिए जाना जाता है। सौर  कैलेंडर वर्ष को महीनों और दिनों में विभाजित करने के लिए केवल सूर्य की स्थिति को मानता है। इसी कारण हिंदू नव वर्ष को दो बार अलग-अलग नामों से और वर्ष के दो अलग-अलग समय में मनाया जाता है। सौर कैलेंडर पर आधारित हिंदू नववर्ष को तमिलनाडु में पुथांडु, असम में बिहू, पंजाब में वैसाखी, उड़ीसा में पान संक्रांति और पश्चिम बंगाल में नाबा बरसा के नाम से जाना जाता है। 

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