स्कॉर्पिन क्लास की तीसरी पनडुब्बी करंज का जलावतरण
यह मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लि. द्वारा निर्मित पूर्णतया स्वदेशी पनडुब्बी है। इसके निर्माण में फ्रांस के मेसर्स डीसीएनएस से तकनीकी सहयोग लिया गया है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। अथर्ववेद की ऋचाओं एवं शंखध्वनि के बीच स्कॉर्पिन क्लास की तीसरी पनडुब्बी करंज का बुधवार को अरब सागर में जलावतरण हुआ। कुछ माह गहन परीक्षण के बाद इसे विधिवत नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। करंज के शामिल होने से जहां नौसेना की ताकत बढ़ेगी, वहीं भारत अपने पड़ोसी देशों पर बढ़त बनाने में कामयाब हो सकेगा। यह मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लि. द्वारा निर्मित पूर्णतया स्वदेशी पनडुब्बी है। इसके निर्माण में फ्रांस के मेसर्स डीसीएनएस से तकनीकी सहयोग लिया गया है।
करंज का जलावतरण परंपरानुसार नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की पत्नी रीना लांबा के हाथों संपन्न हुआ। जलावतरण के बाद करंज को मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ले जाया गया। वहां निर्माण के दौरान लगाया जानेवाला आधार (पॉनटून) उससे अलग करने के बाद पनडुब्बी का परीक्षण शुरू होगा। परीक्षण का काम 9 से 12 माह तक चलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत तैयार यह स्वदेशी पनडुब्बी भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 का हिस्सा रही है। इससे पहले स्कॉर्पिन क्लास की दो पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की जा चुकी हैं। इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी आइएनएस कलवरी प्रधानमंत्री मोदी के हाथों 14 दिसंबर, 2017 को नौसेना में शामिल की जा चुकी है। इस श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खांदेरी का जलावतरण 12 दिसंबर, 2017 को हो चुका है। खांदेरी अभी परीक्षण के दौर में है। जल्द ही इसे भी नौसेना में शामिल किया जाएगा। मझगांव डॉक लि. द्वारा स्कॉर्पिन क्लास की कुल छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है। इनमें तीन तैयार हो चुकी हैं और तीन तैयार की जानी शेष हैं। इस अवसर पर प्रेस से बात करते हुए एडमिरल लांबा ने कहा कि हालांकि अब तक इस परियोजना में कुछ देरी जरूर हुई है, लेकिन इनसे मिले अनुभव का लाभ अगली तीन पनडुब्बियों के निर्माण में मिलेगा। शेष बची पनडुब्बियों का निर्माण जल्द और बेहतर तकनीक के साथ किया जाएगा। लांबा का मानना है कि करंज का निर्माण भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
करंज की विशेषताएं
-पनडुब्बी करंज अपनी बनावट के कारण राडार की पकड़ से बच सकती है।
-यह पानी के अंदर से सतह पर भी हमला करने में सक्षम है।
-यह एंटी शिप मिसाइलों एवं टॉरपीडो से भी हमला कर सकती है।
-पनडुब्बी के अंदर ऑक्सीजन खत्म होने पर ऑक्सीजन बनाने में भी सक्षम है।
-लंबे समय तक पानी में रहने की क्षमता के कारण दुश्मन की मुश्किलें बढ़ा सकती है।