भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की राजनीतिक कारणों वाले तर्क को कोर्ट ने नकारा, जानें क्‍या कहा

विजय माल्या की ओर से उसके अधिवक्ता ने अदालत में आरोप लगाया था कि भारत सरकार उनके मुवक्किल के खिलाफ राजनीतिक कारणों से बयान दे रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 12:06 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 12:20 AM (IST)
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की राजनीतिक कारणों वाले तर्क को कोर्ट ने नकारा, जानें क्‍या कहा
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की राजनीतिक कारणों वाले तर्क को कोर्ट ने नकारा, जानें क्‍या कहा

मुंबई, प्रेट्र। शराब कारोबारी विजय माल्या का दावा कि ब्रिटेन से उसके प्रत्यर्पण के मामले को भारत सरकार राजनीतिक कारणों से उछाल रही है, एक कपोल कल्पित बयान है-इसका कोई आधार नहीं है। यह बात मनी लांड्रिंग एक्ट से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने अपने आदेश में कही है।

माल्या पर विभिन्न बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपये चुकाए बगैर विदेश भाग जाने का आरोप है। उसके प्रत्यर्पण की सीबीआइ की याचिका के पक्ष में ब्रिटिश कोर्ट ने फैसला दिया है।

विशेष न्यायाधीश एमएस आजमी की इसी अदालत ने पांच जनवरी को विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है। माल्या की ओर से उसके अधिवक्ता ने अदालत में आरोप लगाया था कि भारत सरकार उनके मुवक्किल के खिलाफ राजनीतिक कारणों से बयान दे रही है। साथ ही आपराधिक मामलों की जांच करा रही है। लेकिन अदालत ने इस बयान को खारिज कर दिया।

विशेष न्यायाधीश ने कहा, इस तरह के बयानों की पुष्टि के लिए विजय माल्या की ओर से कोई सुबूत पेश नहीं किया गया। नहीं बताया गया कि उस पर आरोप लगाकर कौन सा राजनीतिक फायदा हो रहा है या उसे क्यों अपराधी आरोपित किया गया है। यह बयान बेवजह की कल्पना पर दिया गया था। इसका मकसद माल्या को कानून का सम्मान करने वाले नागरिक के तौर पर प्रस्तुत करना था।

अदालत ने कहा, सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय ने दो मार्च, 2016 को माल्या के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए, उसी दिन उसने देश छोड़ दिया। इसके लिए उसने जिनेवा में होने वाली मोटर स्पोर्ट्स कौंसिल की बैठक में शामिल होने का कारण बताया था।

अगर वह वास्तव में कानून का सम्मान करने वाला नागरिक होता तो उसे देश छोड़ने से पहले अधिकारियों को बताना चाहिए था कि वह विदेश जा रहा है और बैठक के बाद आरोपों का सामना करने के लिए उनके सामने पेश होगा। बावजूद इसके माल्या लगातार समन भेजे जाने, जमानती और गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी वह अदालत या अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुआ। इसलिए उसके तर्क मायने नहीं रखते।

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