Bhima Koregaon Violence Case: एनसीपी प्रमुख शरद पवार को जांच आयोग का समन, 2 अगस्‍त को होगा बयान दर्ज

Bhima Koregaon Violence Case महाराष्‍ट्र सरकार द्वारा गठित जांच आयोग ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) को समन जारी किया है। ये समन 2 अगस्‍त को गवाह के तौर पर बयान दर्ज करने के लिए भेजा गया है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 01:24 PM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 01:33 PM (IST)
Bhima Koregaon Violence Case: एनसीपी प्रमुख शरद पवार को जांच आयोग का समन, 2 अगस्‍त को होगा बयान दर्ज
एनसीपी प्रमुख शरद पवार को जांच आयोग का समन

मुंबई, एएनआइ। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले (Bhima Koregaon violence case) महाराष्‍ट्र सरकार द्वारा गठित जांच आयोग (Maharashtra govt-appointed Inquiry commission) ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) को 2 अगस्‍त को गवाह के तौर पर बयान दर्ज करने के लिए समन जारी किया है। जांच आयोग के वकील आशीष सातपुते के  अनुसार शरद पवार को मुंबई में जांच आयोग के सामने बयान दर्ज करना होगा। शरद पवार के अलावा जांच आयोग ने तत्‍कालीन पुणे ग्रामीण के एसपी सुवेज हक, पुणे तत्‍कालीन कमिश्‍नर रवींद्र सेनगांवकर, तत्‍कालीन एसपी संदीप पखाले और तत्‍कालीन कलेक्‍टर सौरभ राव को भी समन जारी किया है।

गौरतलब है कि 1818 की लड़ाई के द्विशताब्दी समारोह के मौके पर पुणे में स्थित कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के करीब 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गयी थी। इसी को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 8 अक्‍टूबर 2018 को बॉम्‍बे हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएन पटेल की अगुवाई में जांच आयोग के समक्ष 2018 की जातीय हिंसा को लेकर मीडिया के सामने अपने बयानों के मद्देनजर एक एफिडेविट पेश किया था। इसके बाद इस साल फरवरी में, सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे की ओर से जांच आयोग के सामने आवेदन दायर किया गया इसमें 2018 की जाति हिंसा के बारे में मीडिया में उनके द्वारा दिए गए कुछ बयानों को लेकर शरद पवार को तलब करने की मांग की गई थी। शिंदे ने इस मामले में दायर की गई याचिका में पवार की प्रेस कांफ्रेंस का जिक्र किया था।

मिली जानकारी के अनुसार आवेदन में शरद पवार ने आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े ने पुणे शहर के बाहरी इलाके और इसके आसपास के कोरेगांव-भीमा में एक अलग माहौल पैदा किया था। पवार का ये आरोप लगाया था कि पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है और इसकी जांच की जानी चाहिये।

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