महाराष्ट्र में हिंदीभाषी जनाधार संभालने में जुटी कांग्रेस

By Edited By: Publish:Sat, 19 Jul 2014 04:19 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jul 2014 04:19 AM (IST)
महाराष्ट्र में हिंदीभाषी जनाधार संभालने में जुटी कांग्रेस

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। लोकसभा चुनावों के दौरान महाराष्ट्र में ¨हदीभाषी जनाधार खिसकने से हुई फजीहत से बचने को कांग्रेस फिर से इस वोट बैंक को अपने पाले में करने में जुट गई है। मुंबई और ठाणे की 17 विधानसभा सीटों पर हिंदीभाषी निर्णायक माने जाते हैं।

महाराष्ट्र के इन दो प्रमुख शहरों में बसे हिंदीभाषी एवं गैर मराठीभाषी कांग्रेस का वोट बैंक माने जाते हैं, क्योंकि क्षेत्रीय राजनीति के चलते शिवसेना, मनसे व राकांपा से उन्हें उपेक्षा और प्रताड़ना ही मिलती रही है। दो दशक पूर्व रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान हिंदीभाषी कुछ हद तक भाजपा संग आए, लेकिन शिवसेना से दूरी तब भी बनी रही। बीते लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में हिंदीभाषियों ने शिवसेना का भी जमकर साथ दिया। हालांकि शिवसेना इसे खुलकर नहीं स्वीकारती,लेकिन उसकी सहोदर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना एवं नारायण राणे जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बात को स्वीकार करते हैं। पहले भी जब कभी हिंदीभाषियों ने साथ छोड़ा,मुंबई में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी।

पार्टी लोकसभा चुनाव के बुरे अनुभव की तीन माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पुनरावृत्ति नहीं चाहती। यही कारण है कि पार्टी के हिंदीभाषी नेताओं ने मुंबई और ठाणे में सक्रियता बढ़ा दी है। कांग्रेस की मुंबई इकाई के अध्यक्ष रह चुके कृपाशंकर सिंह के अनुसार, इन क्षेत्रों में प्रमुख हिंदीभाषियों के सम्मेलन किए जा रहे हैं। उन्हें प्रत्याशी बनाने की मांग भी उठाई जा रही है। ताकि उनमें कांग्रेस के प्रति पहले जैसा अपनत्व दर्शाया जा सके। सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने 2009 के लोस एवं विस चुनावों में हिंदीभाषियों को पर्याप्त टिकट दिए, इसी के चलते संजय निरुपम सांसद बने। रमेश सिंह,राजहंस सिंह, असलम शेख, नसीम खान और वह खुद चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। नसीम को तो कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था।

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