बच्चों को आंगनवाड़ी, मदरसों व स्‍कूलों में पांच फ्लेवर में मिलेगा सांची दूध

आंगनबाड़ी, प्राइमरी स्कूल और मदरसों के 85 लाख बच्चों को 15 जुलाई से स्कूल में दूध मिलेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से आर्डर मिलने के बाद एमपी डेयरी फेडरेशन ने दूध पावडर की सप्लाई की तैयारी शुरू कर दी है।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2015 05:40 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2015 05:47 AM (IST)
बच्चों को आंगनवाड़ी, मदरसों व स्‍कूलों में पांच फ्लेवर में मिलेगा सांची दूध

भोपाल। आंगनबाड़ी, प्राइमरी स्कूल और मदरसों के 85 लाख बच्चों को 15 जुलाई से स्कूल में दूध मिलेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से आर्डर मिलने के बाद एमपी डेयरी फेडरेशन ने दूध पावडर की सप्लाई की तैयारी शुरू कर दी है। फेडरेशन ने दूध की चोरी रोकने का भी इंतजाम किया है। स्कूलों में पहुंचने वाला दूध पांच फ्लेवर में होगा और पानी में मिलते ही दूध का कलर फ्लेवर के अनुसार हो जाएगा।


प्रदेश में कुपोषण की स्थिति से निपटने राज्य सरकार ने स्कूल और आंगनबाड़ियों में हफ्ते में तीन दिन दूध बंटवाने का निर्णय लिया है। फेडरेशन पावडर उपलब्ध कराएगा। जिसे गर्म पानी में मिक्स कर दूध तैयार किया जाएगा। शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है। पावडर पानी में अच्छे से मिक्स होने के बाद यह दूध बच्चों को दिया जाएगा। फेडरेशन ने पिछले साल विदिशा जिले की आंगनबाड़ियों में दूध का वितरण किया था। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
दूध में कंटेंट
फेडरेशन के मुताबिक सांची ब्रांड दूध से बच्चे को विटामिन ए, डी, केल्सियम, प्रोटीन और कार्बोहाइट्रेड पर्याप्त मात्रा में मिलेगा। इससे कुपोषण की स्थिति से निपटा जा सकता है।
ऐसे रुकेगी चोरी
स्कूल में पहुंचने वाला दूध पावडर बाजार में न पहुंचे। इसके लिए फेडरेशन ने पहले से इंतजाम किया है। फेडरेशन पाइनेपल, रोज, स्ट्रॉबैरी, चॉकलेट और इलायची फ्लेवर में दूध पावडर देगा। पावडर की खासियत यह रहेगी कि पानी में घुलते ही उसका कलर फ्लेवर के मुताबिक हो जाएगा। इसलिए इस दूध का चाय या अन्य किसी भी दुग्ध उत्पाद में उपयोग नहीं हो सकेगा।
वित्त विभाग लेगा निर्णय
स्कूलों में पहुंचने वाला दूध किस दाम पर खरीदा जाएगा। इसका निर्णय होना अभी शेष है। फेडरेशन ने अपने रेट पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को भेज दिए हैं। विभाग ने वित्तीय अनुमति के लिए वित्त विभाग फाइल भेज दी है। इस संबंध में अंतिम निर्णय अभी बाकी है।
9 हजार मेट्रिक टन की मांग
आंगनबाड़ी के 50 लाख और प्राइमरी स्कूलों के 35 लाख बच्चों को सालभर दूध उपलब्ध कराने के लिए 9 हजार मेट्रिक टन दूध पावडर की जरूरत है। वर्तमान में फेडरेशन 4.50 हजार मेट्रिक टन दूध पावडर तैयार कर रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आर्डर के बाद दूध पावडर का उत्पादन दो गुना करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। पावडर बनाने के प्लांट ग्वालियर और इंदौर में हैं, जो प्रतिदिन 20 मेट्रिक टन पावडर तैयार करते हैं।
एक साल में बढ़ा दुग्ध उत्पादन
दूध का उत्पादन पिछले एक साल में 34 फीसदी बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2013-14 में फेडरेशन के सभी दुग्ध संघों का कलेक्शन 8.25 लाख लीटर प्रतिदिन था, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 11.02 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है। इसे अच्छा लक्षण माना जा रहा है। दूध की आवक बढ़ने के साथ फेडरेशन ने घी का उत्पादन 200 फीसदी और बटर का उत्पादन 300 फीसदी बढ़ा दिया है।
स्कूलों में एक जुलाई से तैयारी
फेडरेशन 15 जुलाई से दूध वितरण की बात कर रहा है और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक जुलाई से स्कूलों में दूध देने की तैयारी किए बैठा है। फेडरेशन और विभाग में समन्वय की कमी के चलते सभी जिलों में सीईओ जिला पंचायत ने एक जुलाई से बच्चों को दूध देने के निर्देश जारी कर दिए हैं। राजधानी के स्कूलों में एक दिन पहले ही आदेश आए हैं, लेकिन शिक्षक इसे लेकर परेशान हैं कि दूध पावडर कैसे आएगा और कौन लाएगा।
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15 जुलाई से स्कूल और आंगनबाड़ियों में दूध पावडर पहुंचाएंगे। पावडर से तैयार दूध कुपोषण को दूर करने में कामयाब है। इसका परीक्षण विदिशा में किया जा चुका है। स्कूलों से आने वाली मांग के मुताबिक प्लांट की क्षमता बढ़ाई जाएगी।
शोभित जैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, एमपी डेयरी फेडरेशन

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