विकास कार्यो में तुष्टीकरण से खफा हैं लोग: अमित शाह

जितना तय कर रखा है सिर्फ उतना बोलना और फिर खामोशी। न एक शब्द कम-न अधिक। प्रश्न टेढ़ा हो तो भी चेहरे के भाव नहीं बदलते। यह हैं उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रभारी अमित शाह। बिल्कुल शुरुआती दौर में पाइप के व्यापारी रहे लेकिन जब विधायक हुए तो फिर राजनीति के ही हो गए। जिस समय उनकी पार्टी के दूसरे नेता राजग की 300 सीटें त

By Edited By: Publish:Fri, 18 Apr 2014 09:29 PM (IST) Updated:Fri, 18 Apr 2014 09:52 PM (IST)
विकास कार्यो में तुष्टीकरण से खफा हैं लोग: अमित शाह
विकास कार्यो में तुष्टीकरण से खफा हैं लोग: अमित शाह

लखनऊ। जितना तय कर रखा है सिर्फ उतना बोलना और फिर खामोशी। न एक शब्द कम-न अधिक। प्रश्न टेढ़ा हो तो भी चेहरे के भाव नहीं बदलते। यह हैं उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रभारी अमित शाह। बिल्कुल शुरुआती दौर में पाइप के व्यापारी रहे लेकिन जब विधायक हुए तो फिर राजनीति के ही हो गए। जिस समय उनकी पार्टी के दूसरे नेता राजग की 300 सीटें तक आने की घोषणा कर रहे हैं, शाह संख्या नहीं बताते। बस इतना कहते हैं कि परिणाम आश्चर्यजनक होंगे। उनका कहना है कि केंद्र सरकार से जनता बहुत ऊब चुकी है। विकास कार्यो में तुष्टीकरण हो तो खुश नहीं होते लोग। चुनाव आयोग द्वारा पाबंदी हटाए जाने के बाद शुक्रवार को वह लखनऊ आए तो दैनिक जागरण, यूपी के एसोसिएट एडीटर आशुतोष शुक्ल ने उनसे बात की-

-चुनाव आयोग ने आप पर लगा प्रतिबंध कैसे हटा लिया।मेरा जवाब पहले आयोग तक नहीं पहुंचा था। उसमें आयोग से प्रार्थना की गई थी कि मेरा आचरण या भाषण गलत नहीं था और मैंने आचार संहिता का सम्मान किया है। मेरे बयान को संदर्भ से जोड़कर देखा जाए। पाबंदी के बाद मैंने आयोग के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। आयोग से प्रतिबंध पर पुनर्विचार का आग्रह किया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

उत्तर प्रदेश भाजपा में टिकटों को लेकर इतना विरोध क्यों हुआ। दूसरे राज्यों में भी प्रदर्शन हुए।भाजपा इस बार सरकार बनाने जा रही है। इस कारण टिकटों की मांग अधिक थी। यह स्वाभाविक है। वैसे विरोध मीडिया में अधिक दिख रहा था। तीन-चार दिन बाद सब शांत हो गए और अब भाजपा की जीत के लिए हर कार्यकर्ता जुटा हुआ है।

अधिसूचना जारी होने से पूर्व आपने कहा था कि भाजपा को किसी से समझौते की जरूरत नहीं। फिर भी अपना दल से समझौता किया। हम छोटे दलों को संदेश देना चाहते थे कि भाजपा उनके लिए बड़े भाई जैसी है।

अपना दल का सिर्फ एक विधायक है लेकिन दो सीटों पर उससे समझौता किया। प्रतापगढ़ तो भाजपा की मजबूत सीट थी। क्या वाराणसी में पटेल वोट इस फैसले की वजह थे।नहीं। हम पिछड़े वोटों में बंटवारा नहीं चाह रहे थे।

कितनी सीटें जीत सकता है राजग।एक चरण और हो जाए तो तस्वीर बिल्कुल साफ होगी। संख्या बताने का अभी कोई अर्थ नहीं लेकिन ये जरूर है कि बहुत आश्चर्यजनक परिणाम आने वाले हैं। बहुत ऊबे हुए हैं लोग केंद्र सरकार से।

पर भाजपा को ही क्यों चुनें लोग।बहुत से कारण है। लोग हमारी अलग सोच और नीतियों के कारण हम पर भरोसा करते हैं जबकि केंद्र सरकार से उनका विश्वास हट गया है। यही हाल उत्तर प्रदेश, बिहार का है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का जो हाल है उसमें कौन सपा सरकार को वोट देगा। इतना तुष्टीकरण करती है सरकार कि जनता परेशान हो गई है। विकास कायरें तक में जब तुष्टीकरण दिखने लगे तो बहुत बड़ा तबका खुश नहीं होता। आप सरकार हैं तो सरकार की तरह निष्पक्ष रहिए।

क्या अंतर लगा आपको गुजरात और उत्तर प्रदेश में।केवल भाजपा की बात करूंगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा का इतिहास बहुत समृद्ध है। यहां शायद देश के सबसे अधिक कार्यकर्ता हैं। बहुत जागरूक कार्यकर्ता हैं। उनकी राजनीतिक समझ को मैं सलाम करता हूं। इस कार्यकर्ता को मैं बताना चाहता हूं कि भाजपा भविष्य में हर चुनाव लड़ेगी। पंचायत स्तर तक के चुनाव पार्टी लड़ने जा रही है। हम बहुत ध्यान देने जा रहे हैं संगठन पर और अगले विधानसभा चुनावों तक पार्टी तन कर खड़ी दिखेगी।

उत्तर प्रदेश में अवध और काशी क्षेत्र भाजपा के लिए कठिन हैं। नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह दोनों यहीं से क्या इसीलिए उतरे।हां, थोड़े मुश्किल हैं ये इलाके पर इस बार हम यहां बढि़या प्रदर्शन करने वाले हैं। नरेंद्र भाई के वाराणसी से लड़ने का लाभ सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही नहीं, उससे सटी बिहार की आठ सीटों पर भी भाजपा को मिलेगा। वाराणसी देश की सांस्कृतिक राजधानी है और पूरे भोजपुरी भाषी क्षेत्र में इस बार नरेंद्र भाई का असर दिखेगा। इसी तरह राजनाथ जी के लखनऊ से लड़ने का लाभ पड़ोसी सीटों पर होना ही है।

आप कह रहे हैं कि आपकी सरकार बनेगी लेकिन बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि सरकार भले राजग की हो लेकिन भाजपा के नेता ही नरेंद्र मोदी के रास्ते की रुकावट बनेंगे।ऐसा नहीं है। भाजपा के सभी बड़े नेताओं ने एकमत से नरेंद्र भाई को अपना नेता माना है। भाजपा में इस मुद्दे पर कहीं कोई मतभेद नहीं है।

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