अब यहां खुले आसमान में नहीं ले सकेंगे कॉफी की चुस्कियों के साथ सीपी का दिलकश नजारा

आज भी यह 60 साल पुराना कॉफी हाउस दिल्ली के साहित्य जगत, छात्र, समाजसेवियों व कलाकारों के बीच काफी लोकप्रिय है।

By Pratibha Kumari Edited By: Publish:Thu, 23 Mar 2017 01:52 PM (IST) Updated:Thu, 23 Mar 2017 02:26 PM (IST)
अब यहां खुले आसमान में नहीं ले सकेंगे कॉफी की चुस्कियों के साथ सीपी का दिलकश नजारा
अब यहां खुले आसमान में नहीं ले सकेंगे कॉफी की चुस्कियों के साथ सीपी का दिलकश नजारा

मोहन सिंह प्लेस की छत पर बैठकर कॉफी के साथ कनॉट प्लेस के दिलकश नजारे का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो अब यह अरमान अधूरे रह जाऐंगे। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा नोटिस मिलने के बाद कॉफी हाउस ने छत पर अपनी सेवाएं स्थगित कर दी हैं। साथ ही कुर्सी मेज हटा ली हैं, जिसके कारण यहां आने वाले लोगों को मायूसी हाथ लग रही है।

आपको बता दें कि कनॉट प्लेस में छतों के गिरने की घटनाओं के बाद एनडीएमसी ने कनॉट प्लेस में मौजूद 25 से अधिक रेस्टोरेंट का टैरेस व्यू बंद करा दिया है। इसकी जद में 60 साल पुराना इंडियन कॉफी हाउस भी आ गया है। इसके पहले एनडीएमसी द्वारा लाइसेंस का नवीनीकरण न करने से 2009 से 2015 के बीच इसके बंद होने का संकट भी पैदा हो गया था। खास बात कि इस कॉफी हाउस से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, इंद्र कुमार गुजराल, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी व पूर्व केंद्रीय मंत्री आस्कर फर्नाडिस समेत कई राजनेताओं की यादें जुड़ी है।

मोहन सिंह पैलेस में इंडियन कॉफी हाउस 41 वर्षो से चल रहा है। इसके पहले यह कनॉट प्लेस के पालिका पार्किंग में चलता था। इसका संचालन द इंडियन कॉफी वर्कर्स कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड, नई दिल्ली के तहत किया जाता है। जब यह इस इमारत में आया तब से इसकी खुली छत पर कॉफी की चुस्कियों के साथ कनॉट प्लेस का नजारा देखने का आनन्द ही दूसरा था। अब छत पर सेवाएं बंद करने का नुकसान कॉफी हाउस को उठाना पड़ रहा है। इसके संचालकों के मुताबिक रोजाना करीब 15 हजार रुपये की बिक्री कम हो रही है, क्योंकि अंदर बैठने की जगह कम है। ऊपर से लोगों की पहली पसंद खुले आसमान के नीचे साथ काफी के दोस्तों के साथ बातचीत ज्यादा पसंद है। वह वहां ज्यादा आरामदेह महसूस करते थे।

आज भी यह दिल्ली के साहित्य जगत, छात्र, समाजसेवियों व कलाकारों के बीच कॉफी हाउस काफी लोकप्रिय है। एक तो सस्ती कॉफी दूसरे यहां खाली घंटों बैठे लोगों को नहीं उठाया जाता है। हालांकि अब शायद यह परंपरा भी आने वाले समय में टूट जाएगी।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली

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