नमक के बिना सिर्फ स्वाद ही नहीं जीवन भी नहीं

नमक सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि बेहतरीन कुदरती संरक्षक भी है- चीनी की ही तरह। यहां तक कि आयुर्वेद में तो मसाले मिलाकर नमक को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 10:28 AM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 10:28 AM (IST)
नमक के बिना सिर्फ स्वाद ही नहीं जीवन भी नहीं
नमक के बिना सिर्फ स्वाद ही नहीं जीवन भी नहीं

पुष्पेश पंत

नानी की सुनाई कहानी में एक राजकुमारी का बखान था, जिसके पिता ने एक बार उससे पूछा कि दुनिया में उसे सबसे प्यारा कौन है? जाहिर है पिता लाडली के मुख से अपना नाम सुनना चाहता था। जब बिटिया ने जवाब दिया नमक, तो राजा नाराज हो गया और उसने बेटी को नजरों से दूर रहने का हुक्म सुना दिया। बरसों बाद जब वैध के आदेशानुसार उसे बिना नकम का फीका खाना खाने को मजबूर होना पड़ा, तब उसे नमक की कीमत समझ आई। बहरहाल बोलचाल की भाषा में नमकहलाली और नमकहरामी जैसे मुहावरे खान-पान में नमक का महत्व स्वीकार करते हैं। नमक के साथ सौंदर्य का अंतरंग संबंध सूरत के नमकीन होने जैसे प्रचलित मुहावरों से स्पष्ट होता है। यही बात लवण और लावण्य जैसे शब्दों से भी झलकती है।

नमक का जीवन में महत्व

नमक न केवल बुनियादी स्वाद है, बल्कि मीठे की तरह हमारे जीवित रहने के लिए भी जरूरी है। इसका रासायनिक नाम है सोडियम क्लोराइड है, जो हमारे मस्तिष्क में अति सूक्ष्म विद्युत प्रक्रियाओं को संचालित करता है। इसके अलावा, हमारे शरीर में जल संचय-संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर जीवन नमकीन जल वाले महासागर में ही प्रकट हुआ था, इसीलिए हमारे जीवन का आधार नमक है। बाइबिल की एक विचारोत्तेजक पंक्ति है- यदि धरती ही अपना नमक गंवा दे तब फिर बचता ही क्या है? गरमी के मौसम में जब पसीने के साथ हमारे शरीर से नमक बह निकलता है तो जीवन संकटग्रस्त हो जाता है। यही स्थिति पेचिश के रोग में जलाभाव से या आंव में उत्पन्न होती है। इसका उपचार सलाइन यानि नमक का घोल चढ़ाकर या नमक-चीनी के मिश्रण से ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के जरिए तत्काल किया जाता है। रक्तचाप के रोगियों या क्षतिग्रस्त गुर्दे वालों को नमक से परहेज करना पड़ता है पर फिर भी कम सोडियम वाले नमक का नुस्खा अपनाना पड़ता है।

नमक सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि बेहतरीन कुदरती संरक्षक भी है- चीनी की ही तरह। दुनियाभर में हजारों साल से मनुष्य सब्जियों को ही नहीं, मांस-मछली को भी नमक से पका कर बेमौसम इसका आनंद लेता रहा है। नमक सागर के जल के वाष्पीकरण से प्राप्त होता है और जहां इसे चट्टान काटकर निकाला जाता है, वहां भी कभी समुद्र या खारे जल की बड़ी झील सागर के अवशेष में ही इसका स्त्रोत रहा होगा। सदियों से नमक का व्यापार अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रेरित करता रहा है और निर्मम शाकर पराजित विपक्षियों को नमक खदानों में नारकीय जीवन बिताने के लिए निर्वासित करते रहे हैं।

नमक का कई तरीकों से इस्तेमाल

जख्मों पर नमक छिड़कने वाली लोकोक्ति यह दर्शाती है कि नमक का दुरुपयोग भी संभव है। व्रत उपवास के दिन नमक से परहेज करने का विधान है पर सेंधा नमक समुद्री नक से फर्क रखता है और शाकाहार के लिए उपयुक्त समझा जाता है। गंधक की गंध वाले काले नमक का इस्तेमाल वह लोग भी बेहिचक कर सकते हैं, जो लहसुन को तामसिक पदार्थ मान इसे वर्जित समझते हैं। आयुर्वेद में मसाले मिलाकर इसका औषधीय प्रयोग किया जाता रहा है- मिसाल के तौर पर लवण भास्कर जैसे नुस्खों में। दाडिमाष्टक और हिंगाष्टक जैसे चूर्ण भी नमक आधारित हैं। आम आदमी के लिए नमक की अहमियत को जानकर ही बापू ने अंग्रेजों को अहिंसक ढंग से ललकारने के लिए नमक सत्याग्रह शुरू किया था।

chat bot
आपका साथी