देश के संसद भवन से कनॉट प्‍लेस तक जाती ये सड़क इसलिए है बेहद खास

ये शायद दुनिया की एकमात्र सड़क होगी जिसके दो नाम हैं। दोनों नाम प्रचलित भी हैं और डाक-तार विभाग में स्वीकार्य भी। हम बात कर रहे संसद मार्ग या पार्लियामेंट स्ट्रीट की।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Sat, 04 Feb 2017 11:13 AM (IST) Updated:Sun, 05 Feb 2017 12:57 PM (IST)
देश के संसद भवन से कनॉट प्‍लेस तक जाती ये सड़क इसलिए है बेहद खास
देश के संसद भवन से कनॉट प्‍लेस तक जाती ये सड़क इसलिए है बेहद खास

सड़कों के नाम बनते-बदलते रहेंगे पर इसका नाम शायद कभी न बदले। ये लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क देश के संसद भवन से शुरू होकर कनॉट प्लेस तक जाती है। ये खास इसलिए भी है क्योंकि इसके दोनों तरफ खासमखास सरकारी विभागों और बैंकों की भव्य इमारत हैं। अगर हम संसद मार्ग से इसके दूसरे कोने कनॉट प्लेस की तरफ पैदल ही चलें तो दाईं तरफ पीटीआइ, रिजर्व बैंक, योजना आयोग (अब नीति आयोग), डाक भवन, परिवहन भवन, बैंक आफ बड़ौदा और जीवन भारती जैसी अहम इमारतों को देखतें हैं।

अब हम वापस संसद मार्ग की तरफ चलें तो हमें दाईं तरफ रीगल, इलाहाबाद बैंक, स्टेट बैंक, थाना पार्लियामेंट स्ट्रीट, पंजाब नेशनल बैंक, आकाशवाणी भवन, संसदीय सौध वगैरह की इमारत मिलती हैं। इधर साठ के दशक के शुरुआती सालों में रिजर्व बैंक आफ इंडिया की इमारत बनकर तैयार हुई। उसके बाद तो इधर बड़ी विशाल इमारतों के बनने का सिलसिला शुरू हो गया। आकाशवाणी की इमारत पहले से ही बहुमंजिला थी। ये 1927 के आसपास बन गई थी। यहां पार्लियामेंट थाने का जिक्र किए बगैर भी हम आगे नहीं बढ़ सकते। इस थाने का महान स्वाधीनता सेनानी शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त से भी गहरा संबंध रहा है। इन दोनों ने 8 अप्रैल, 1929 को सेंट्रल एसेंबली (अब संसद भवन) में बम फोड़ा और गिरफ्तारी दी। इन दोनों को बम फेंकने के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। फिर दोनों को साल 1913 में बने पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में लाया गया। यहां पर उस मामले की एफआइआर लिखी गई थी। तब एफआइआर उर्दू में ही लिखे जाते थे। उसे बाद में हिंदी में लिखा गया।

पार्लियामेंट थाने में आप अब भी वह यादगार तस्वीर देख सकते हैं, जब भगत सिंह यहां पर थे। दरअसल इस सड़क पर पहले सरकारी बंगले थे। उन्हें तोड़कर ही इमारत बनीं। संसदीय सौध जिधर है, वहां पर पहले केंद्रीय मंत्री का बंगला होता था। इसी सड़क पर एतिहासिक स्थल जंतर-मंतर और चर्च आफ नार्थ इंडिया भी है। एक दौर में पार्लियामेंट स्ट्रीट में रहे वरिष्ठ लेखक जेसी वर्मा कहते हैं कि नई दिल्ली के निर्माण के वक्त अंग्रेजों ने कनॉट प्लेस के इर्द-गिर्द कुछ चर्च बनाए थे। इन सभी का डिजाइन हेनरी मेड ने तैयार किया था। वे एडवर्ड लुटियन की टीम के जूनियर मेंबर थे जो नई दिल्ली में विभिन्न सरकारी इमारतों के काम में जुटी हुई थी। और एक बात अब जिधर जीवन भारती बिल्डिंग खड़ी है, वहां पर पहले छोटा सा मैदान था। उधर पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी वगैरह रैलियों को संबोधित करने आते थे।

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