बीजापुर के सिद्धेश्वर फेस्टिवल में शामिल होकर देखें मकर संक्राति की अलग रौनक

बीजापुर में जनवरी महीने में सिद्धेश्र्वर टेंपल में फेस्टिवल का आयोजन होता है। इस समय पूरे शहर में उत्सव का माहौल बन जाता है। यहां घूमने के लिए सितंबर से फरवरी का महीना है बेस्ट।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Wed, 15 Jan 2020 12:56 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jan 2020 12:56 PM (IST)
बीजापुर के सिद्धेश्वर फेस्टिवल में शामिल होकर देखें मकर संक्राति की अलग रौनक
बीजापुर के सिद्धेश्वर फेस्टिवल में शामिल होकर देखें मकर संक्राति की अलग रौनक

बीजापुर में मकर संक्रांति के अवसर पर भारी भीड़ जुटती है, क्योंकि यहां उस दौरान सिद्धेश्वर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। जानेंगे इसके बारे में...

बीजापुर शहर के मध्यभाग में श्री सिद्धेश्र्वर मंदिर स्थित है। इसका निर्माण काल बारहवीं शताब्दी का माना जाता है। हालांकि इस बारे में अलग-अलग मत हैं। इसकी स्थापना सोलापुर के भक्तों और व्यापारियों ने मिलकर की थी। वे व्यापारी और भक्त श्री सिद्धेश्र्वर मंदिर के दर्शन करने के बाद ही अपना कोई अन्य कार्य प्रारंभ करते थे।संक्रांति उत्सव या सिद्धेश्र्वर फेस्टिवल 

सिद्धेश्र्वर मंदिर को श्री सिद्धरामेश्र्वर मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर में जनवरी माह में संक्रांति उत्सव के दौरान लगातार पांच दिन आरती होती है। साल के इन पांच दिनों का इंतजार कर्नाटक को साल भर रहता है। इन दिनों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। नाटक व संगीत के आयोजन होते हैं। कर्नाटक संगीत सुनने के लिए सारा शहर उपस्थित रहता है। कुछ लोग इस उत्सव को म्यूजिक फेस्टिवल भी कहते हैं। संक्रांति उत्सव को ही 'सिद्धेश्र्वर फेस्टिवल' कहते हैं। इसका आयोजन धूमधाम से किया जाता है। इस दौरान यहां कैटल फेस्टिवल भी लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में गाय, बैल, भैंस आदि पशु लाए जाते हैं। पशु बिक्री भी इस मेले की खासियत है। यह किसानों का भी मेला है। खेती से संबंधित औजार भी इस मेले में बिकते हैं। पशुओं की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। बैलगाडिय़ों की साज-सज्जा देखने लायक होती है। मेले में दंगल भी आयोजित होते हैं।रथ-यात्रा जुलूस

सिद्धेश्र्वर मंदिर से रथ-यात्रा का जुलूस निकाला जाता है, जो गाजे-बाजे के साथ पूरे शहर से होकर गुजरता है। इसमें सजे हुए बैल और सजी बैलगाडिय़ां जुलूस का हिस्सा होती हैं। रथ-यात्रा का मुख्य आकर्षण पचास फीट लंबा बांस होता है, जिसे नंदी कहते हैं। उस पर कलश रखा होता है। भक्त उस नंदी को उठाकर साथ-साथ चलते हैं।उर्स की रंगतबीजापुर के असर महल में सितंबर के महीने में हर साल उर्स मनाया जाता है, जिसकी अपनी शान-ओ-शौकत होती है। 

कैसे और कब जाएं

सोलापुर एयरपोर्ट बीजापुर से 98 किलोमीटर की दूरी पर है। रेल और सड़क मार्ग से यह पूरे देश से जुड़ा हुआ है। शहर में घूमने के लिए ऑटो, रिक्शा, बस, टैक्सी, तांगा हर तरह के यातायात के साधन मिलते हैं। यूं तो पूरे साल यह शहर पर्यटकों का स्वागत करता है, लेकिन यहां आने का सबसे सही समय सितंबर से फरवरी महीने के मध्य है, जब शहर का पारा 20 से 30 डिग्री के बीच रहता है। 

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