सक्‍सेस मंत्रा: नवाचार से ला रहे जीवन में बदलाव

नवाचार को बढ़ावा देने में स्टार्टअप अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे न केवल नई नौकरियां पैदा कर रहे हैं बल्कि सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय ताने-बाने पर भी प्रभाव डाल रहे हैं। साथ ही युवाओं को आत्‍मनिर्भर बनने के लिए यह कल्‍चर उन्‍हें लगातार प्रेरित भी कर रहा है।

By Dheerendra PathakEdited By: Publish:Fri, 23 Sep 2022 06:30 PM (IST) Updated:Fri, 23 Sep 2022 06:30 PM (IST)
सक्‍सेस मंत्रा: नवाचार से ला रहे जीवन में बदलाव
‘इकोजेन’ कंपनी क्लीनटेक के उपयोग के जरिये इनोवेटिव एवं पथ-प्रदर्शक समाधान देने की कोशिश कर रही है।

अंशु सिंह। नवाचार को बढ़ावा देने में स्टार्टअप अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे न केवल नई नौकरियां पैदा कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय ताने-बाने पर भी प्रभाव डाल रहे हैं। दीर्घकालिक स्थिरता हासिल करने के लिए आज कई भारतीय उद्यमी प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। चाहे वह आटोमोबाइल के लिए अत्याधुनिक बैटरी प्रौद्योगिकी, अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी या नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना हो, युवाओं के नेतृत्व वाली भारतीय कंपनियां जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। इसी का एक बेहतरीन उदाहरण है ‘इकोजेन’। यह कंपनी क्लीनटेक के उपयोग के जरिये इनोवेटिव एवं पथ-प्रदर्शक समाधान देने की कोशिश कर रही है। कंपनी के सीईओ एवं सह-संस्थापक देवेंद्र गुप्ता कहते हैं कि प्रौद्योगिकी और नवाचार में परिवर्तन लाने की शक्ति है। हमने इसे ‘इकोट्रान’ और ‘इकोफ्रोस्ट’ के विकास के साथ साबित किया है। आगे भी हम इस शक्ति का उपयोग उन समाधानों के निर्माण के लिए करेंगे, जो हमारे ग्राहकों, लोगों और हमारे ग्रह को प्रभावित कर सकते हैं।

देवेंद्र ने प्रतिष्ठित आइआइटी खड़गपुर से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। कृषि क्षेत्र के साथ क्लीनटेक की अच्छी समझ रखते हैं। इसी आकांक्षा के साथ वह जल्दी खराब होने वाली चीजों को संभालने का प्रयास करना चाहते हैं। वह कंपनी के उत्पाद प्रबंधन, रणनीति और वित्त के लिए जवाबदेह हैं। इससे पहले इन्होंने उत्पाद विकास अभियानों के साथ-साथ उत्पाद लांच के लिए उत्पाद डिजाइन और बाजार अनुसंधान जैसे कार्यों को बखूबी संभाला है। इसके अतिरिक्त, वह ‘इकोजेन’ की टीम के विकास, रणनीतिक साझेदारी और फंड रेजिंग के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उद्यमिता की शुरुआत को लेकर देवेंद्र बताते हैं, ‘आइआइटी खड़गपुर में पढ़ाई के दौरान अपने साथियों के साथ परिचर्चा के दौरान ही ‘इकोजेन’ की कल्पना की गई थी। मैं अपने दोस्तों प्रतीक सिंघल एवं विवेक पांडे (दोनों आज कंपनी के सह-संस्थापक हैं) के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। उससे हमें भारत के कृषि क्षेत्र में ऊर्जा उद्योग और स्वच्छ ऊर्जा के प्रभाव को जानने का अवसर मिला। इसके अलावा, ग्रामीण भारत की यात्राओं ने हमें इस प्रभाव को समझने और उसका आकलन करने में मदद की। ‘इकोजेन’ के पहले उत्पाद ‘इकोट्रान’ का विचार भी तभी आया।’

‘इकोट्रान’ से निकला किसानों की समस्याओं का हल: भारत के किसानों के सामने दो प्रमुख समस्याएं हैं, अपर्याप्त बिजली आपूर्ति एवं सिंचाई की ऊंची लागत। इन दोनों के कारण देश की केवल 34.3 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि ही सिंचित हो पा रही है। लेकिन ‘इकोट्रान’ ने इन दोनों समस्याओं का हल निकाला है। देवेंद्र बताते हैं कि सौर पंप को ‘इकोट्रान’ द्वारा एक विकेंद्रित बिजली स्रोत में परिवर्तित किया गया, जिससे उन क्षेत्रों में भी सिंचाई करना संभव हो सका है जहां बिजली की आपूर्ति नहीं होती है। इसके लिए बाकायदा स्थानीय किसानों के साथ एक परीक्षण अभ्यास किया गया। किसानों को उसका काफी लाभ मिला। फसलों की संख्या में दोगुना वृद्धि के अलावा प्रति एकड़ उपज में तीन गुना वृद्धि के साथ प्रत्येक मौसम में किसानों का राजस्व पांच गुना तक बढ़ गया। यह सब अक्षय ऊर्जा के उपयोग से संभव हो पाया। आज यह कंपनी भारत के एक लाख से अधिक किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल रही है। इन निष्कर्षों ने यह भी साबित किया कि उनकी परिकल्पना सही थी और यदि इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाता है, तो देश की कृषि और किसानों के जीवन की दक्षता में सुधार हो सकता है।

क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में सार्थक पहल: ‘इकोजेन’ की शुरुआत कृषि क्षेत्र में लक्षित उत्पादों से हुई थी। लेकिन आज ये मोटर नियंत्रण, एनर्जी स्टोरेज, प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स, एआइ और आइओटी माड्यूल के इस्तेमाल से कोर टेक्नोलाजी स्टैक्स विकसित करने में सफल रही है। देवेंद्र कहते हैं, ‘इंजीनियर्स और तकनीशियन के टीम के रूप में हम ऐसे समाधान विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो स्मार्ट और टिकाऊ भविष्य के विकास में सहायक

होंगे यानी ‘इकोजेन’ उस अभियान की भौतिक अभिव्यक्ति है, जो जलवायु-स्मार्ट डीप टेक कंपनी के रूप में विकसित हुई है। अपने उत्पादों और आपरेशंस के माध्यम से कंपनी एक अरब केडब्ल्यूएच स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम है। इसने देश में दस लाख टन ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने में मदद की है।’

विदेश में विस्तार की योजना : देवेंद्र का मानना है कि आज जलवायु प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले लोगों और

निवेशकों की संख्या पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। यही वजह है कि हाल ही में ‘इकोजेन’ को भी सीरीज-सी राउंड की पहली किश्त के तहत फंडिंग मिली है, जिससे कंपनी घरेलू मांग को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा करने का प्रयास करेगी। वह बताते हैं, ‘हम अफ्रीकी और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों में अपनी उपस्थिति का विस्तार

करने पर भी विचार कर रहे हैं। कृषि के अलावा, हमारे मुख्य प्रौद्योगिकी स्टैक में अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला है, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन। इकोजेन आने वाले वर्षों में कई उत्पाद लांच करने की दिशा में काम कर रहा है। थर्मल ऊर्जा भंडारण, मोटर नियंत्रण, आइओटी और एनालिटिक्स में गहरी तकनीकी विशेषज्ञता के जरिये हम इस लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।’ इकोजेन ने अपनी कोल्ड चेन और सिंचाई उत्पादों की मजबूत मांग के कारण 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व कमा लिया है। कंपनी ने अन्य देशों में भी सफल पायलट प्रोजेक्ट्स का संचालन किया है, जिससे अफ्रीकी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में मजबूत मांग पैदा हुई है। इस वित्तीय वर्ष (2022-23) में कंपनी के उत्पादों की बिक्री दोगुने से अधिक होने की संभावना है, जिससे यह लाभदायक स्थिति में आ जाएगी। देवेंद्र की मानें, तो भारतीय बाजार से परे विस्तार और मौजूदा कारोबार को

बढ़ाने से ही कंपनी का विकास होगा। उन्हें उम्मीद है कि वर्ष 2025 तक भारत में उसकी इनोवेटिव टेक्नोलोजी (स्टैक्स) का बाजार 25 अरब डालर तक पहुंच जाएगा।

देवेंद्र गुप्ता

सीईओ एवं सह-संस्थापक

‘इकोजेन’

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