ख्वाहिशों में रंग भरती हूं- माही गिल

संजीदा किरदारों के लिए चर्चित माही गिल को पसंद हैं डांस कॉमेडी और एक्शन किरदार। फिल्म ‘वेडिंग एनिवर्सरी’ में वह नजर आएंगी नाना पाटेकर के साथ रोमांस करते हुए।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Thu, 23 Feb 2017 12:52 PM (IST) Updated:Thu, 23 Feb 2017 01:07 PM (IST)
ख्वाहिशों में रंग भरती हूं- माही गिल
ख्वाहिशों में रंग भरती हूं- माही गिल

माही गिल हिंदी के अलावा पंजाबी फिल्मों में सक्रिय हैं। दो साल पहले वह फिल्म ‘बुद्धा इन ट्रैफिक जाम’ में नजर आई थीं। अब वह ‘वेडिंग एनिवर्सरी’ में नाना पाटेकर साथ रोमांस करती दिखेंगी। माही से इस फिल्म, उनके कॅरियर और अन्य पहलुओं पर बातचीत के अंश:
-दो साल के अंतराल के दौरान आपने सिल्वर स्क्रीन को मिस नहीं किया?

मैंने अपना प्रोडक्शन हाउस खोला है। उसके तहत मैंने पंजाबी फिल्म बनाई। वह एक रोमांटिक थ्रिलर थी। वह तीन खिलाड़ियों की कहानी थी। मैंने उसमें हॉकी कोच की भूमिका अदा की थी। उसे पिछले साल अक्टूबर में रिलीज किया गया था। दरअसल मैं काम को लेकर काफी चूजी हूं। स्क्रीन पर सिर्फ दिखना मेरा मकसद नहीं। मुझे अगर दमदार स्क्रिप्ट मिलती है, तभी फिल्म करती हूं।

-‘वेडिंग एनिवर्सरी’ से जुड़ने की क्या वजह रही?

यह रोमांटिक ड्रामा फिल्म है। इसमें मेरे किरदार का नाम कहानी है। उसमें कहानी की दास्तान है। वह अपनी पहली वेडिंग एनिवर्सरी मनाने के लिए गोवा आती है। यह कहानी महज एक दिन की है। यानी कुछ घंटों की है। मैंने ऐसी फिल्म अभी तक नहींकी है। मैं लंबे समय से दिग्गज कलाकार नाना पाटेकर साथ काम करने की ख्वाहिशमंद थी। गोवा में फिल्म की शूटिंग हुई। वहां पर मेरा अपना घर भी है। ये सब भी फिल्म से जुड़ने की वजहें रहीं।
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-ट्रेलर में एक डायलॉग है कि जिंदगी का हर पल अंतिम समझ कर जीना चाहिए। उसके बारे में आपकी क्या सोच है?

मैं उसमें पूर्ण रूप से यकीन रखती हूं। मुझे अपना हर काम परफेक्ट चाहिए। हालांकि परफेक्शन की चाह रखने वालों को काफी तनाव भी होता है। अक्सर लगता है कि कल का पता नहीं, इसलिए जिंदगी की ख्वाहिशों को आज पूरा कर लो। मैं फिल्म बनाना चाहती थी। वह कर चुकी हूं। मैं ट्रैवलिंग का शौक रखती हूं। उसके लिए समय निकालती हूं। खुलकर जीना पसंद है मुझे।

-प्यार में उम्र के अंतर को देखती हैं?

मेरे लिए वह महज आंकड़ा है। अगर आप किसी को पसंद करते हैं तो उम्र आड़े नहीं आनी चाहिए। कई बार कम उम्र के लोग ज्यादा परिपक्व होते हैं।
-किरदारों को लेकर आपने शुरू से ही प्राथमिकताएं तय की थी?

मैं हर प्रकार के किरदार निभाना चाहती थी। ‘देव डी’ ने मेरे लिए बेंचमार्क स्थापित कर दिया था। संयोग से उसके बाद मेरी फिल्म ‘गुलाल’ आई। फिर ‘साहब बीबी और गैंगस्टर’ आई। फिर लगा कि दर्शकों को मेरी उस मिजाज की फिल्में पसंद है। मुझे भी उस किस्म के किरदारों को तरजीह देना चाहिए। मैं भले ही गंभीर किस्म के किरदारों में ही नजर आती हूं, मगर मुझे नाचना-गाना और एक्शन करना बेहद पसंद है। कॉमेडी करना भाता है। अफसोस ये सब मुझसे कोई नहीं करवाता। मैं श्रीदेवी की बड़ी फैन रही हूं। उनकी डांस की दीवानी हुआ करती थी। हालांकि अब सिनेमा बदल रहा है। मैं खुशकिस्मत हूं कि उसका हिस्सा हूं।
-फिल्मी दुनिया में आप ज्यादा घुलती-मिलती नहीं। क्या आपको लगता है कि उसकी वजह से आपका कॅरियर प्रभावित हुआ?

मैं ऐसा नहीं सोचती। मैं बहुत इंट्रोवर्ट हूं। मैं पार्टियों में नहीं जाती। ज्यादा लोगों से मेल-मुलाकात नहीं करती। उसका दोषारोपण किसी और पर नहीं कर सकती। मैं किसी निर्देशक को फोन नहीं करती। बतौर कलाकार मुझे ऐसी झिझक नहीं रखनी चाहिए। काम मांगने में शर्म नहीं होनी चाहिए। पता नहीं क्यों मैं यह सब कर नहीं पाती हूं। इन सब बातों के बावजूद मैं अपने कॅरियर से खुश और संतुष्ट हूं। ईश्वर की अनुकंपा रही और इंडस्ट्री से मुझे बेशुमार प्यार और सम्मान मिला।
-क्या हिंदी फिल्म बनाने की भी तैयारी है?

अभी कुछ कह नहीं सकती। मेरे पास कुछ आइडिया हैं। मैं उन्हें कागज पर उतारना चाहती हूं। इस साल फिल्म निर्माण की कोई योजना नहीं है। मार्च में मेरी फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी, तो उसमें व्यस्त हो जाऊंगी।
प्रस्तुति- स्मिता श्रीवास्तव
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