सदाबहार है आभूषण

माना जाता है आभूषण और औरत का रिश्ता आर्यो के समय से चला आ रहा है। आभूषण पहनना श्रृंगार रस का ही एक हिस्सा है। दुलहन को चूंकि लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसलिए उसके लिए उस दिन आभूषणों को धारण करना अनिवार्य माना जाता है।

By Edited By: Publish:Thu, 31 Jan 2013 02:33 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सदाबहार है आभूषण
सदाबहार है आभूषण

माना जाता है आभूषण और औरत का रिश्ता आर्यो के समय से चला आ रहा है। आभूषण पहनना श्रृंगार रस का ही एक हिस्सा है। दुलहन को चूंकि लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसलिए उसके लिए उस दिन आभूषणों को धारण करना अनिवार्य माना जाता है।
   आजकल हलकी, महीन कारीगरी और देखने में उत्कृष्ट आभूषण चलन में है। फिर चाहे वे प्लैटिनम के हों या एंटीक लुक वाले, बस उनकी फिनिशिंग अच्छी होनी चाहिए। इसी के साथ डिजाइनयुक्त आभूषण चलन में है। अधिकतर दुलहन बिलकुल अलग हटकर डिजाइन मांगती है जिनकी फिनिशिंग में कोई कमी न हो। सोने के गहनों की हमेशा मांग रहती है पर आजकल सोने से ज्यादा हीरे की ज्यादा मांग है। हालांकि खास मौकों पर पहनने के लिए हलकी मीनाकारी वाले भारी सेट या कुंदन के सेट चलन में है। पश्चिमी परिधानों के साथ मोती के नेकलेस अच्छे लगते है। हीरे के आभूषण विभिन्न फिनिशिंग जैसे फ्रॉस्टिंग, साटन, मैट आदि के साथ बन रहे है। तड़क-भड़कदार गहनों की अपेक्षा डल, एंटीक लुक ने ले ली है। सोने के गहने पारंपरिक परिधानों के साथ अच्छे लगते है पर डायमंड ट्रेडिंग कंपनी की डायरेक्टर देविका गिडवानी कहती है, 'हीरे में पारंपरिक भारतीय फूलों के डिजाइन आजकल लोकप्रिय हो रहे है क्योंकि इन्हे भारतीय या पश्चिमी किसी भी तरह के परिधानों के साथ पहना जा सकता है। शादी के लिए लड़कियां व्हाइट और येलो गोल्ड के सम्मिश्रिण से बने सेट खरीदना पसंद कर रही है।'
   व्हाइट चाहे वह व्हाइट गोल्ड हो या प्लैटिनम इनका चलन कभी खत्म नहीं होता है। वैसे ही हीरे की मांग सदा बनी रहती है। पारंपरिक गोल, अंडाकार, पान के आकार, चौकोर और एमरल्ड कट हमेशा की तरह फैशन में हैं।
   लक्ष्मी डायमंड के चैयरमेन वसंत भाई गजेरा ने सिग्नस नाम से एक रेज पेश की है जो स्टाइल, और डिजाइन के हिसाब से एकदम अनूठी है। वह कहते है, 'आभूषण एक आर्ट वर्क की तरह होते है जिनमें अच्छी फिनिशिंग के साथ डिजाइन का भी बहुत महत्व होता है। चूंकि आज कामकाजी स्त्रियों की संख्या बढ़ गई है इसलिए विवाह के बाद भी वे ज्यादा आभूषण नहीं पहनना चाहती है। हीरे के आभूषणों की मांग सदैव रहती है और खासकर फैंसी कट के आभूषण चाहे वे अंगूठी हों, पेंडेट, नेकलेस, चूड़ियां या कंगन हों, ज्यादा बिक रहे हैं। इन हीरों के आभूषणों में वे चाहती है कि विभिन्न रंगों के नग लगे हों ताकि वे अपने परिधानों के साथ उन्हे मैच कर पहन सकें।'
   तनिष्क की मार्केटिंग और डिजाइनर अध्यक्ष वाई एल सरोजा के अनुसार, 'दुलहन के लिए तैयार जोया नामक कलेक्शन में हीरों के साथ रूबी, नीलम, पन्ने जैसे बेशकीमती नगों का सुंदर प्रयोग किया गया है। आज की स्त्री विशिष्टता औैर नफासत की मांग करती है।'
   तनिष्क की डिजाइनर पल्लवी डुडेजा कहती है,'आज की दुलहन अगर एक तरफ हलके डिजाइन पसंद करती है तो दूसरी तरफ वह उसमें पारंपरिकता का मिश्रण भी चाहती है। सोने और हीरे का मिश्रण चलन में है। वे ऐसे आभूषण चाहती है जो भारतीय और पश्चिमी दोनों तरह के परिधानों के साथ पहने जा सकें। आम के मोटिफ या पैसले डिजाइन के आभूषण इसलिए ज्यादा फैशन में है क्योंकि भारी या हलके दोनों तरह के डिजाइन इसमें मिल जाते है।'
   तनिष्क की डिजाइनर एलिजाबेथ माथन का मानना है कि विवाह के दिन पहने जाने वाले आभूषण ऐसे होने चाहिए जिन्हे पहनने के बाद दुलहन असुविधा न महसूस करे। हीरे के साथ रंगीन पत्थरों की मांग बेहद बढ़ गई है। इनमें पारदर्शी इनैमल का भी प्रयोग किया जा रहा है।
   डिजाइनर अंजलि लाल मानती है कि सोना भारतीय वर्ण पर ज्यादा जंचता है। पर विवाह में पहनने के लिए मीनाकारी किए आभूषणों का चलन हो गया है। नारंगी, बैगनी, मैरून, हरा और ब्रौंज लुक की मीनाकारी एथनिक लगती है। प्लैटिनम गिल्ड इंडिया की मैनेजर वैशाली बैनर्जी महसूस करती है कि बतौर ब्राइडल ज्वेलरी प्लैटिनम के आभूषणों की जगह कोई नहीं ले पाया है। इसके बने आभूषणों को संजोकर रखा जाता है और पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलते है। इसलिए न तो कभी ये किसी ट्रेंड में आते है न ही कभी इनका फैशन खत्म होता है। विवाह के लिए ज्यादातर लड़कियां अंगूठी, कानों के टॉप्स, हीरे जड़ित पेंडेट और प्लैटिनम की चेन खरीदती है। चूड़ी, वैडिंग बैंड और ब्रेसलेट की भी मांग है।
   हजूरीलाल ज्वेलर्स के रमेश नारंग के अनुसार, 'विवाह के मौके पर पहनने के लिए भारी जेवरातों की ही मांग है। व्हाइट गोल्ड में जड़े हीरे और सेमी प्रेशियस स्टोंस के आभूषणों का चलन बढ़ गया है। कुंदन की पुरानी चीजें जैसे बाजूबंद, टीका, माथापट्टी, चोकर आदि फिर से फैशन में है। निजाम के समय के बड़े-बड़े लालड़ी और पन्ने की मणियों के सेट चलन में हैं।
   ज्वेलरी डिजाइनर अनुराधा छाबड़ा कहती है कि कुंदन में डायमंड पोल्की के सेट फैशन में है। मोतियों की विभिन्न वर्णी लड़ियों में कुंदन के पेंडेट पहने जा रहे है।
   सिया आर्ट ज्वेलर्स के कमल कामरा के अनुसार, 'कुंदन के गहनों ने सबसे ज्यादा जगह ले ली है। हमने पूरे ब्राइडल सेट बनाए है जिसमें चोकर, हाथपंजा, मांग टीका, पायल सभी कुछ है। इसमें 49 रंग है पर ज्यादातर मैरून और हरा रंग चलता है। सामान्यतया कुंदन के जेवर सोने में बनते है पर हमने चूंकि इन्हे चांदी और सेमी प्रेशियस स्टोन में जड़ा है इसलिए न सिर्फ इन्हे किसी भी मौके पर पहना जा सकता है बल्कि इनकी कीमत भी कम है।'
   जागरण सखी

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