इट्स टाइम फॉर चेंज

टेक्निकल सेक्टर में ग‌र्ल्स की प्रजेंस अभी भी 25 परसेंट है, जो बिलो द लाइन है। ग‌र्ल्स में टेक्निकल एजुकेशन को प्रमोट करने के लिए हाल ही में देश की पहली वूमन टेक्निकल यूनिवर्सिटी इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन शुरू हुई है। टेक्निकल फील्ड का ग‌र्ल्स कैसे बदल सकती हैं, सिनेरियो बता रही हैं वीसी प्रो. नूपुर प्रकाश..

By Edited By: Publish:Wed, 03 Jul 2013 10:46 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2013 12:00 AM (IST)
इट्स टाइम फॉर चेंज

बदल रही है पिक्चर

वूमन एजुकेशन को लेकर तस्वीर बदल रही है। सिटीज में इसकी स्पीड ज्यादा है। रूरल एरियाज से भी पॉजिटिव सिग्नल मिलने लगे हैं। कुछ समय पहले जॉब के लिए ग‌र्ल्स और पेरेंट्स दोनों ही बैंकिंग इंडस्ट्री, हेल्थ केयर सेक्टर, फाइनेंस इंडस्ट्री और एजुकेशन सेक्टर पर ही फोकस रहते थे। बाकी सेक्टर्स के बारे में जो सोचते थे, उनकी संख्या बहुत कम थी। इसको इसी से समझा जा सकता है कि पहले टेक्निकल फील्ड में ग‌र्ल्स का परसेंटेज केवल 5 से 10 के बीच ही था। लोगों में अवेयरनेस आने से यह परसेंटेज अब बढकर 25 के करीब हो गया है। बडी तेजी से ग‌र्ल्स टेक्निकल एजुकेशन की ओर अट्रैक्ट हो रही हैं, इसे देखते हुए भविष्य में इसके और भी बढने की उम्मीद है।

पेरेंट्स सोच बदलें

कंट्री की टोटल पॉपुलेशन में महिलाओं की संख्या आधे के करीब है, लेकिन वूमन टेक्निकल सेक्टर में केवल 25 परसेंट ही हैं। सिचुएशन अभी भी बिलो द लाइन ही है। इसका मेन रीजन है कि आज भी बहुत से घरों में ग‌र्ल्स को एजुकेशन तो दी जाती है, लेकिन मैथ्स और साइंस सब्जेक्ट्स से गार्जियन्स परहेज करते हैं। पेरेंट्स सोचते हैं कि टेक्निकल फील्ड में ग‌र्ल्स के लिए कुछ नहीं है। इस सीन को बदलने के लिए ग‌र्ल्स के बीच मैथ्स और साइंस सब्जेक्ट को प्रमोट करना होगा। यही सब्जेक्ट्स टेक्निकल एजुकेशन का बेस हैं। ग‌र्ल्स को भी दिखाना होगा कि वे केवल आ‌र्ट्स सब्जेक्ट के लिए नहीं बनी हैं।

बनें रोल मॉडल

टेक्निकल फील्ड में काम कर रही महिलाएं रोल मॉडल बनकर सामने आएं और इस सेक्टर को ग‌र्ल्स के बीच प्रमोट करें। उन्हें बताएं कि यदि ये काम मैं कर सकती हूं, तो तुम क्यों नहीं कर सकती। एक बार इस तरह की धारा ग‌र्ल्स के बीच बह गई, तो इस फील्ड में महिलाओं की कमी खुद ब खुद दूर हो जाएगी। इसका असर इंडिया की ग्रोथ में भी दिखाई देगा। टेक्निकल फील्ड में टीमवर्क की डिमांड किसी भी दूसरे सेक्टर से अधिक है। ग‌र्ल्स स्वाभाविक रूप से टीमवर्क में काम करना जानती हैं। वे इस फील्ड में आएं और अपना और देश का नाम आगे बढाएं।

नॉलेज से कॉन्फिडेंस

जो ग‌र्ल्स टेक्निकल इंडस्ट्री में टेक्निकल ट्रेनिंग लेकर आना चाहती हैं, उन्हें एक चैलेंज लेकर इस फील्ड में आना होगा। देश में टेक्निकल जॉब बहुत हैं, लेकिन कॉम्पिटिशन भी कम नहीं है। वे खुद में कॉन्फिडेंस जगाएं कि वे परफेक्ट नॉलेज लेकर इंडस्ट्री में कदम रखेंगी और जॉब करने के साथ ही इंडस्ट्री की बारीकियों को सीखती रहेंगी। जितनी नॉलेज गेन करेंगी, टेक्निकल फील्ड में आगे बढने के उतने ही चांस होंगे।

इंस्टीट्यूट्स की डिमांड

टेक्निकल एजुकेशन में ग‌र्ल्स अभी इसलिए पीछे थीं कि उन्हें टेक्निकल ट्रेनिंग देने वाले इंस्टीट्यूट्स कम थे। संकीर्ण सोच के चलते बहुत से लोग अपनी लडकियों को एजुकेशन के लिए दूर भेजने से भी कतराते थे। सीन चेंज हो रहा है, उसका कारण है कि कई वूमन टेक्निकल इंस्टीट्यूट शुरू किए जा चुके हैं। इस तरह के इंस्टीट्यूट्स की संख्या बढाने की जरूरत है। खुशी की बात है कि यह काम शुरू हो गया है। गवर्नमेंट अगर रूरल एरियाज में भी ग‌र्ल्स के लिए टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर खोलने के काम में तेजी लाए, तो शहरों की तरह वहां के हालात बदलने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

एक्सप्लोर योर सेल्फ

ग‌र्ल्स के लिए टेक्निकल इंडस्ट्री में बहुत से ऑप्शन हैं। हालांकि आईटी इंडस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट डिजाइन इंडस्ट्री में उनकी परसेंटेज अधिक है। ग‌र्ल्स खुद को एक सीमित दायरे में न बांधें। टेक्निकल फील्ड में बहुत से ऐसे एरियाज हैं, जहां सक्सेस की शानदार इबारत लिखी जा सकती है। जॉब सभी फील्ड्स में हैं। अपना इंट्रेस्ट जानें और सक्सेस के लिए कदम बढा दें।

थिंक इन राइट डायरेक्शन

हमें अपनी सोच राइट डायरेक्शन में रखनी होगी। जो ग‌र्ल्स टेक्निकल फील्ड में आना चाहती हैं या इस फील्ड में जॉब कर रही हैं उन्हें हमेशा नई नॉलेज गेन करनी होगी। अपने सब्जेक्ट से रिलेटेड स्किल्स को डेवलप करना होगा। इस तरह की अप्रोच के साथ टेक्निकल फील्ड में जाएंगी, तो भला सक्सेस क्यों नहीं मिलेगी।

इंटरैक्शन : शरद अग्निहोत्री

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