मीनिंगफुल करने को बना आइएएस

सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 में ओवरऑल नंबर-1 पोजीशन हासिल करने वाले जयपुर के गौरव अग्रवाल से जानें उनकी कामयाबी की कहानी.. सिविल सर्विसेज एग्जाम में पिछले तीन साल से लड़कियां टॉप कर रही थीं, लेकिन 2013 के एग्जाम में जयपुर के गौरव अग्रवाल ने इस सिलसिले को तोड़ा है। ऐसा नहीं है कि गौरव के पास गॉडगिफ्टेड परफेक्शन था, पर

By Edited By: Publish:Tue, 01 Jul 2014 03:11 PM (IST) Updated:Tue, 01 Jul 2014 03:11 PM (IST)
मीनिंगफुल करने को बना आइएएस

सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 में ओवरऑल नंबर-1 पोजीशन हासिल करने वाले जयपुर के गौरव अग्रवाल से जानें उनकी कामयाबी की कहानी..

सिविल सर्विसेज एग्जाम में पिछले तीन साल से लड़कियां टॉप कर रही थीं, लेकिन 2013 के एग्जाम में जयपुर के गौरव अग्रवाल ने इस सिलसिले को तोड़ा है। ऐसा नहीं है कि गौरव के पास गॉडगिफ्टेड परफेक्शन था, पर उन्होंने अपने टैलेंट को पहचान कर खुद को सिविल सर्विस के लिए परफेक्ट बनाया और आइएएस में नंबर वन पोजीशन हासिल करने में सफल रहे।

टॉप करूंगा, सोचा न था

मुझे यह जरूर लगता था कि मैं अंडर हंड्रेड में आ सकता हूं, लेकिन टॉप करूंगा, ऐसा सोचा भी नहीं था। इससे पहले मैं अपने फ‌र्स्ट अटेम्प्ट में 2012 के एग्जाम के जरिए आइपीएस चुना गया था और इन दिनों हैदराबाद में आइपीएस की ट्रेनिंग कर रहा हूं। कुछ दोस्तों ने मुझे खबर दी कि मैंने सिविल सर्विस एग्जाम में टॉप किया है। यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन जब हर ओर से फोन आने लगे, तो लगा कि यह कन्फ्यूजन नहींहो सकता।

मीनिंगफुल करने की थी चाहत

सिविल सेवा की तैयारी करने से पहले मैंने चार साल तक हांगकांग स्थित सिटी बैंक में बतौर इन्वेस्टमेंट बैंकर काम किया। सैलरी अच्छी थी, लेकिन मुझे कुछ मीनिंगफुल करना था, जिससे मुझे आत्मसंतुष्टि मिल सके। मैं सिविल सर्वेट बनना चाहता था। इसमें लोगों के बीच जाने और उनकी समस्याओं को करीब से सुनने-समझने का मौका मिलता है।

आइएएस थी फ‌र्स्ट च्वाइस

मैं सिविल सर्विस की तैयारी के लिए तीन-चार महीने की लीव लेकर इंडिया आया था, क्योंकि नौकरी करते हुए तैयारी नहीं कर सकता था। यहां रोज 8 से 10 घंटे पढ़ाई करता। 2012 में पहले अटेम्प्ट में 244वीं रैंक मिली थी और मैं आइपीएस की ट्रेनिंग करने चला गया था, लेकिन आइएएस मेरी फ‌र्स्ट च्वाइस थी, इसलिए फिर से तैयारी की।

बेसिक्स रखे क्लियर

प्रिलिम्स की कुछ खास तैयारी नहीं करनी पड़ी थी। मेन्स में जीएस की तैयारी के लिए बेसिक बुक्स पर फोकस किया, क्योंकि अगर बेसिक नॉलेज क्लियर रहेगा, तो आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी। इंटरनेट बेस्ड स्टडी की, ताकि तमाम इश्यूज को बेहतर तरीके से समझ सकूं। इंटरव्यू की तैयारी के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिला, क्योंकि मैं आइपीएस की ट्रेनिंग कर रहा था। फिर भी खुद को अपडेट रखने की पूरी कोशिश करता था।

सिलेबस में बदलाव का असर नहीं

सिविल सर्विस के सिलेबस में बदलाव सबके लिए हुए थे। मेरी तैयारी पर इसका कुछ खास असर नहीं हुआ, क्योंकि जब आपकी तैयारी का लेवल बेस्ट रहेगा, तो चेंजेज से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। बदलाव भी कोई ज्यादा नहीं हुए हैं। अगर कुछेक प्वाइंट्स को छोड़ दें या कुछेक टॉपिक्स आपको एक्स्ट्रा पढ़ने पड़ें, तो उससे तैयारी प्रभावित नहीं होती है।

सिविल सर्र्वेट्स में ऑनेस्टी जरूरी

सिविल सवर्ेंट्स को ऑनेस्ट और करेजियस होना चाहिए। समस्याओं को पेशेंस के साथ टैकल करना आना चाहिए। साथ ही, डिसीजन मेकिंग कैपेसिटी स्ट्रॉन्ग होनी चाहिए। शॉर्ट टर्म को छोड़, लॉन्ग टर्म की ओर देखना चाहिए। क्योंकि शॉर्ट टर्म के फायदे के चक्कर में पड़ने से करियर खराब हो सकता है।

गौरव अग्रवाल (जयपुर)

आइएएस टॉपर, रैंक-1

क्कह्मश्रद्घद्बद्यद्ग @ द्दद्यड्डठ्ठष्द्ग

4एडमंड्स स्कूल, जयपुर से

स्कूली पढ़ाई

4आइआइटी कानपुर से कंप्यूटर

साइंस में बीटेक

4आइआइटी एंट्रेंस एग्जाम में ऑल

इंडिया 45वीं रैंक

4 आइआइएम लखनऊ के गोल्ड

मेडलिस्ट

4 पिता जयपुर डेयरी केंद्र में

मैनेजर और मां हाउस वाइफ

4 बड़ी बहन अमेरिका में रहती हैं

44 जून, 2014 को शादी हुई, पत्नी

डॉक्टर हैं।

इंटरैक्शन : राजीव रंजन

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