एग्रीकल्चर में करियर

कृषि से आपको लगाव है लेकिन किसी वजह से इस क्षेत्र में आने से संकोच कर रहे हैं, तो आप नए व आधुनिक तरीके से नकदी फसलों की खेती कर कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग व निर्यात करते हुए आकर्षक मुनाफे के साथ-साथ कृषि क्षेत्र और अपने करियर को एक

By deepali groverEdited By: Publish:Fri, 26 Dec 2014 10:11 AM (IST) Updated:Fri, 26 Dec 2014 03:35 PM (IST)
एग्रीकल्चर में करियर

कृषि से आपको लगाव है लेकिन किसी वजह से इस क्षेत्र में आने से संकोच कर रहे हैं, तो आप नए व आधुनिक तरीके से नकदी फसलों की खेती कर कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग व निर्यात करते हुए आकर्षक मुनाफे के साथ-साथ कृषि क्षेत्र और अपने करियर को एक बेहतर आयाम दे सकते हैं...

भारत आज भी एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कृषि केवल पारंपरिक किसानों के लिए ही है। आज के युवा भी आधुनिक तरीके से खेती करके या एग्रीकल्चर से जुड़े काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। वैज्ञानिक तरीके से ऐसी खेती करने से आत्म-सम्मान के साथ-साथ समाज में एक अलग पहचान और बेहतर मुनाफे के रास्ते भी खुले हैं। देश की काफी बड़ी आबादी आज भी कृषि क्षेत्र से ही रोजगार पाती है। कृषि क्षेत्र में मौजूद विकास की व्यापक संभावनाओं को भांपते हुए आईटीसी, मोनसेंटो और रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं। फसलों से जुड़े शोध कार्यक्रमों में भी कृषि विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में इस कृषि क्षेत्र को अपना करियर विकल्प चुनकर मित्र्ी की खुशबू के साथ रहते हुए अपने करियर को सुगंधित कर सकते हैं।

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आधुनिक तरीकों से खेती

मशरूम : इसे सफेद सोना कहा जाता है। मशरूम का सफल उत्पादन दो से तीन महीने में आसानी से हो जाता है। मशरूम की बुआई से लेकर कटाई तक में लगभग दो-तीन महीने का समय लगता है। इतने समय में इसका अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम के कई प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड है। मशरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में आसानी से शुरू किया जा सकता है और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।

फूलों की खेती : फूलों के बगैर कोई भी पार्टी या फंक्शन अधूरा-सा लगता है। फूलों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। फूलों की बढ़ती मांग ने फूलों के कारोबार को काफी विकसित किया है। बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। खुद की नर्सरी खोल कर अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थेरेपिस्ट, फार्म या स्टेट मैनेजर, प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के साथ आप रिसर्च और टीचिंग भी कर सकते हैं।

ऑर्गेनिक खेती : पिछले कुछ समय में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की काफी डिमांड बढ़ी है। डिमांड के मुकाबले काफी कम उत्पादन हो रहा है। ऐसे में इस कार्य को करके आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।

आयुर्वेदिक औषधि : लोगों का रुझान एक बार फिर से आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है। नित नई आयुर्वेदिक दवा कंपनियां खुल रही हैं, जिन्हें आयुर्वेदिक औषधियों की हमेशा जरूरत रहती है। आप चाहें तो नीम, तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, मुलेठी जैसे कई आयुर्वेदिक औषधियों की पैदावार कर बेहतर कमाई कर सकते हैं।

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प्रोडक्ट करें एक्सपोर्ट

पारंपरिक फसलों की जगह अगर नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं तो उसे आसानी से देश-विदेश में एक्सपोर्ट कर सकते हैं। सरकार द्वारा इसके लिए कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं। जरूरत है तो सिर्फ सही तरीके से उत्पादन और उसे सही बाजार तक पहुंचाने की। एक बार सही मार्केट का रास्ता मिल जाने के बाद उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाएगा।

आकार लेतीं संभावनाएं

शोध : वैश्विक समस्या का रूप ले रहे खाद्यान्न संकट ने इस क्षेत्र को शोध संस्थाओं की प्राथमिकता का केंद्र बना दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सहित देश की तमाम कृषि शोध संस्थाएं कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाली तकनीकें और फसलों की ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित करने में जुटी हैं।

फूड प्रोसेसिंग : निजी क्षेत्र की कई कंपनियां कृषि उत्पादों का ज्यादा समय तक उपभोग सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग शुरू कर चुकी हैं। डिब्बाबंद जूस, आइसक्रीम, दुग्ध उत्पाद और चिप्स जैसे उत्पाद प्रोसेस्ड फूड के उदाहरण हैं।

संगठित खुदरा बाजार

रिलायंस फ्रेश, फूड बाजार, बिग एप्पल आदि कंपनियां अपने हजारों केंद्रों के माध्यम से फल, सब्जियों, अनाज और ढेरों अन्य खाद्य वस्तुओं की बिक्री करती हैं। इसके लिए कंपनियों को थोक में खाद्य उत्पादों की खरीद करनी पड़ती है। इस कार्य में मदद के लिए ये कंपनियां कृषि विशेषज्ञों और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग से जुड़े विशेषज्ञों की नियुक्ति करती हैं।

कोर्स

-बीएससी एग्रीकल्चर

-बीएससी क्रॉप फिजियोलॉजी

-एमएससी एग्रीकल्चर

-एमएससी (एग्रीकल्चर बॉटनी/ बायोलॉजिकल साइंसेज)

-एमबीए इन एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट

-डिप्लोमा इन फूड प्रोसेसिंग

-डिप्लोमा कोर्स इन एग्रीकल्चर एंड एलाइड प्रैक्टिसेज

एलिजिबिलिटी

एग्रीकल्चर से संबंधित डिप्लोमा व बैचलर पाठ्यक्रम में दाखिले की न्यूनतम योग्यता विज्ञान विषयों (बायोलॉजी जरूरी) के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन के बाद एमएससी में दाखिला लिया जा सकता है। स्पेशलाइजेशन के लिए एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर, प्लांट ब्रीडिंग, एग्रीकल्चर जेनेटिक्स, एग्रीकल्चर एंटोमोलॉजी आदि विकल्प मौजूद हैं। ग्रेजुएशन के बाद एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए किया जा सकता है।

संभावनाएं

-शुगर मिल

-फूड कॉर्पोरशन ऑफ इंडिया

-बैंक

-कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी

-नेशनल सीड कॉर्पोरेशन

-रिसर्च इंस्टीट्यूट

-चाय बागान

-यूनिवर्सिटी/ कॉलेज

-एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

(जागरण फीचर)

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