लाइफ का गुड मैनेजमेंट

सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता, बस जरूरत है तो गुड मैनेजमेंट की। यही गुरुमंत्र दे रहे हैं वॉकहार्ट ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन और दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द के नए चांसलर डा.ॅ हाबिल खोराकीवाला...

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 26 Dec 2014 12:56 PM (IST) Updated:Fri, 26 Dec 2014 01:03 PM (IST)
लाइफ का गुड मैनेजमेंट

सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता, बस जरूरत है तो गुड मैनेजमेंट की। यही गुरुमंत्र दे रहे हैं वॉकहार्ट ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन और दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द के नए चांसलर डा.ॅ हाबिल खोराकीवाला...

जब मैं परड्यू यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए गया, तो वहां के माहौल से मुझे काफी कु छ सीखने को मिला। वहां क्लासेज में बोरिंग लेक्चर्स की बजाय सेल्फ लर्निंग पर ज्यादा जोर दिया जाता था। हम स्टूडेंट्स को एक्सपेरिमेंट्स करने की पूरी फ्रीडम थी। इसलिए हमारी थिंकिंग डेवलप होती चली गई। आगे चलकर शायद इसी वजह से मैं कुछ नया कर पाया।

गुड मैनेजमेंट का जादू

परड्यू के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में गुड मैनेजमेंट के गुर सीखे, जो मैं आज भी आजमाता हूं। गुड मैनेजमेंट, ऐसा मैनेजमेंट है जो पॉजिटिव रिजल्ट दे। मेरा मानना है कि जो यूनिवर्सिटी गुड मैनेजमेंट से काम करती है, वही गुड रिजल्ट भी देती है। यही लाइफ पर भी इम्प्लीमेंट होता है। आप लाइफ को अगर गुड मैनेजमेंट से जीते हैं, तो वह बड़ी स्मूथ हो जाती है और रिजल्ट्स भी पॉजिटिव आते हैं।

सेल्फ लर्निंग की फ्रीडम हो

हमारी यूनिवर्सिटीज में ढेर सारे रूल्स हैं। स्टूडेंट्स या टीचर्स को फ्रीडम नहीं है कि वे नॉलेज और टैलेंट एनहैंस करने के लिए अपने मन से कुछ नया कर सकें। यहां हमें पढ़ाया जाता है, जबकि वहां लर्निंग का माहौल तैयार किया जाता है। स्टूडेंट्स सेल्फ लर्निंग से ही सीखते जाते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं। हर यूनिवर्सिटी में इसी एटीट्यूड की जरूरत है। क्लास में बोरिंग लेक्चर्स से कहीं बेहतर है कि स्टूडेंट्स खुद सीखें, क्योंकि फिर वे भूलेंगे नहीं। यहां कॉम्पिटिटिवनेस नहीं है। यहां की यूनिवर्सिटीज को वल्र्डवाइड कॉम्पिटिटिव होना होगा, तभी स्टूडेंट्स वाकई आगे बढ़ पाएंगे।

अच्छा करेंगे, अच्छा होगा

इंडिया आकर मैंने 20 लोगों के साथ एक छोटी-सी फर्म शुरू की। शुरुआत काफी मुश्किल भरी थी। औरंगाबाद में फैक्ट्री लगानी थी। उसके लिए मैंने लोन लिए। मुंबई का होकर कहीं बाहर जाकर बिजनेस एस्टैब्लिश करना अपने आप में उन दिनों बहुत बड़ा और रिस्की काम था। यही नहीं, उस समय बॉयो-टेक्नोलॉजी के बारे में ज्यादा लोग जानते भी नहीं थे। इसलिए भी मुश्किलें आईं। हर मुश्किल आपके लिए मौका और चुनौती लेकर आती है। इससे आपको खुद को प्रूव करने का मौका मिलता है और आपकी स्ट्रेन्थ बढ़ती है, आप मजबूत होते जाते हैं। अगर हर समय अच्छे तरीके से काम करते रहेंगे, चाहे आपके अच्छे दिन हों या बुरे, तो निश्चित तौर पर आपके साथ भी अच्छा होता रहेगा।

गुड मैनेजमेंट का गुड रिजल्ट

शुरू-शुरू में मैंने लॉस वाली कंपनी खरीदी। ऐसे में आप पर बहुत ज्यादा प्रेशर होता है। आपको पैसे इन्वेस्ट भी करने हैं। लॉस का डर भी है। आगे बढऩे के लिए नई स्ट्रेटेजी भी बनानी है। काफी लंबे वक्त तक आपको लॉस सहना होगा। ऐसे समय में ही मुझे गुड मैनेजमेंट की इंपॉर्टेंस बेहतर तरीके से समझ में आई और महसूस हुआ कि गुड मैनेजमेंट तो गुड मैनेजमेंट है, यह हर जगह काम करता है। यही मैंने हर जगह किया। मैंने ज्यादा सपने नहीं देखे, लेकिन जो भी देखे, उन्हें अच्छी तरह से पूरा करने की कोशिश की, ताकि वह पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल बन सके।

शॉर्टकट कतई नहीं

आजकल लोग, खास तौर से यूथ बड़ी जल्दबाजी में रहते हैं। सारे काम फटाफट करने होते हैं, तुरंत रिजल्ट चाहते हैं। काफी एंबिशस हैं, इसलिए शॉर्टकट का सहारा लेने लगते हैं। उन्हें समझना होगा कि सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता। हो सकता है कि शॉर्टकट के सहारे आप कुछ समय के लिए कामयाब हो भी जाएं, लेकिन आगे आप फेल हो जाएंगे। इसलिए लंबी रेस का घोड़ा बनें। सही रास्ते पर मेहनत करके आगे बढ़ें, सफलता जरूर मिलेगी।

प्रोफाइल

जन्म: 1942, मुंबई

पिता: फखरुद्दीन खोराकीवाला, फॉर्मर चेयरमैन, अकबरालीज चेन ऑफ डिपार्टमेंटल स्टोर्स

एजुकेशन

-ग्रेजुएशन: एलएम कॉलेज, अहमदाबाद

-पोस्ट ग्रेजुएशन इन फॉर्मास्युटिकल साइंस, परड्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए

-एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम, हार्वर्ड स्कूल ऑफ बिजनेस, बोस्टन, यूएसए

रिस्पॉन्सिबिलिटी

-फॉर्मर प्रेसिडेंट, FICCI

-फॉर्मर चेयरमैन, इंडियन फार्मास्युटिकल्स एलायंस (IPA)

-फॉर्मर ऑनरेरी काउंसेल जनरल, स्वीडन

-चेयरमैन, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, सेंटर ऑफ ऑर्गेनाइजेशन ऐंड डेवलपमेंट, हैदराबाद

-मुंबई में 20 लोगों की मदद से छोटी फर्म खोली जिसकी एनुअल रेवेन्यू 4 लाख रुपये थी

-1960 में वॉकहार्ट की स्थापना की, जो आज एक बिलियन डॉलर से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनी बन गई है।

अवॉड्र्स

-डिस्टिंगिस्ड एलुमिनी फॉर्मेसी अवॉर्ड, परड्यू यूनिवर्सिटी

-परड्यू यूनिवर्सिटी का हाइएस्ट अवॉर्ड ऑनरेरी डॉक्टरेट,

-शिरोमणि विकास अवॉर्ड

इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव

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