कॉरपोरेट कम्युनिकेशन बनें कंपनी का फेस

किसी कंपनी को अगर सीइओ आगे बढ़ाता है, तो मार्केट में कंपनी की रेप्यूटेशन और ब्रांडिंग क्रिएट करता है कॉरपोरेट कम्युनिकेटर...

By Babita kashyapEdited By: Publish:Wed, 13 May 2015 11:54 AM (IST) Updated:Wed, 13 May 2015 12:00 PM (IST)
कॉरपोरेट कम्युनिकेशन बनें कंपनी का फेस

आज अगर हम एप्पल, आइबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, रिलायंस, टाटा ग्रुप, बायोकॉन, पेप्सी आदि कंपनियों, उनके फाउंडर्स और सीईओ के बारे में इतना कुछ जानते हैं, उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी की जानकारी रखते हैं, तो यह कहींन कहींस्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन पॉलिसी की वजह से संभव होता है। असल में कॉरपोरेट कम्युनिकेशन यह सुनिश्चित करता है कि ऑर्गेनाइजेशन और उसके स्टेकहोल्डर्स या कंज्यूमर्स के बीच सीधा संवाद हो, मार्केट में कंपनी की गुडविल क्रिएट हो। कुछ साल पहले तक कंपनीज प्रेस रिलीज और इंटरनल बुलेटिन्स के जरिये यह काम करती थीं, लेकिन आज इसके लिए बाकायदा कम्युनिकेशन प्रोफेशनल्स हायर किए जाने लगे हैं। अगर आप भी ऐसी दिलचस्पी रखते हैं, तो कॉरपोरेट कम्युनिकेशन एक बढिय़ा करियर विकल्प हो सकता है।

क्या है कॉरपोरेट कम्युनिकेशन ?

किसी भी कंपनी के स्टेकहोल्डर्स से बेहतर रिलेशन बनाने में कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की बड़ी भूमिका होती है। ग्लोबलाइजेशन के दौर में किसी बिजनेस को सक्सेसफुल बनाने के लिए भी कॉरपोरेट कम्युनिकेशन बेहद जरूरी है। इसके अंतर्गत एडवर्टाइजिंग, पब्लिक रिलेशन, इंटरनल कम्युनिकेशन, इनवेस्टर रिलेशन, क्राइसिस मैनेजमेंट, ब्रांड मैनेजमेंट आदि आते हैं।?

वर्क प्रोफाइल

एक कॉरपोरेट कम्युनिकेटर कंपनी का चेहरा माना जाता है। वह पब्लिक व्यूज से कंपनी को अवगत कराता है। साथ ही, प्रेस रिलीज, इवेंट या प्रोग्राम ऑर्गेनाइज कर मीडिया के जरिये लोगों को कंपनी और उसकी कॉरपोरेट एक्टिविटीज की जानकारी उपलब्ध कराता है। कंपनी के लिए कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी डेवलप और एग्जीक्यूट करने से लेकर बिजनेस प्रमोशन कैैंपेन्स तैयार करने तक की जिम्मेदारी इनकी ही होती है।

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

जर्नलिज्म एवं मास कम्युनिकेशन में डिग्री या डिप्लोमा करने वाले या एमबीए डिग्री होल्डर्स इस फील्ड में एंट्री कर सकते हैं।

बेसिक स्किल्स

कॉरपोरेट कम्युनिकेटर के लिए किसी भी डिग्री से ज्यादा जरूरी है उसकी खुद की पर्सनल स्किल्स। इसमें नेटवर्किंग जैसी सॉफ्ट स्किल्स के साथ-साथ इंग्लिश लैंग्वेज पर कमांड होना भी जरूरी है।

ग्रोथ का स्कोप

इंडिया में जिस तरह से कंपनियों का विस्तार हो रहा है, कॉम्पिटिशन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए ब्रांडिंग पर ज्यादा से ज्यादा फोकस किया जाने लगा है। इसके साथ ही, मार्केट में जो एमएनसीज कदम रख रही हैं, उनको इंडिया में बिजनेस बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट कम्युनिकेटर्स की जरूरत होती है। इस लिहाज से इस सेक्टर में ग्रोथ की असीम संभावना है। सैलरी के लिहाज से देखें, तो एक फ्रेशर 20 हजार रुपये से शुरुआत कर सकता है।

टॉप इंस्टीट्यूट्स

-जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, रांची

http://www.xaviercomm.org

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन,

दिल्ली, www.iimc.nic.in/

-सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मास

कम्युनिकेशन, मुंबई

simc.edu/

हर सेक्टर में है डिमांड

यह एक इमर्र्जिंग फील्ड है, जिसमें कई तरह की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निभानी होती हैं। जैसे मीडिया रिलेशन, पब्लिक रिलेशन, क्राइसिस और इंटर्नल कम्युनिकेशन आदि। डिजिटल स्पेस में ग्रोथ के साथ ही कॉरपोरेट कम्युनिकेटर्स की डिमांड बढ़ रही है। आने वाले समय में इसमें और इजाफा होगा। अगर कम्युनिकेशन आपकी स्ट्रेेंथ है और बिजनेस की समझ रखते हैं, तो यह फील्ड आपके लिए है। फाइनेंस और मार्केटिंग प्रोफेशनल्स की तरह इनकी भी हर सेक्टर में मांग है।

मनीषा सचदेवा, हेड (ट्रेनिंग), आइटीएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स

इंटरैक्शन : अंशु सिंह

chat bot
आपका साथी