कभी हजारों लोग लगाते थे डुबकी, आज जानवर के नहाने लायक भी नहीं
आजाद भारत से पहले विलुप्त हो चुकी झोरा जाति की देन से अस्तित्व में आया बड़ा तालाब धीरे-धीरे अपना अस्तित्व और पहचान खोता जा रहा है। आज यह बड़ा तालाब मात्र गंदगी और मलमूत्र के लिए क्षेत्र में जाना जाता है।
संवाद सूत्र, जगन्नाथपुर : आजाद भारत से पहले विलुप्त हो चुकी 'झोरा जाति' की देन से अस्तित्व में आया बड़ा तालाब धीरे-धीरे अपना अस्तित्व और पहचान खोता जा रहा है। आज यह बड़ा तालाब मात्र गंदगी और मलमूत्र के लिए क्षेत्र में जाना जाता है। जगन्नाथपुर मेन रोड किनारे विशाल टोला स्थित बड़ा तालाब कभी जगन्नाथपुर की आन-बान व शान हुआ करता था। मगर आज दशा इतनी दयनीय है कि तालाब के जल को पीने से जानवर भी परहेज करते हैं। एक समय सैकड़ों छठव्रती यहां पहुंचते थे पर आज गिनती भर आते हैं। ऐसे में बड़ा तलाब की साफ-सफाई की मांग एक बार फिर प्रशासन के सामने उठी है।
जाने ऐतिहासिक बड़ा तालाब के निर्माण की वजह
ओडिशा के रास्ते 'झोरा जाति' के कुछ लोग 8-10 घोड़ों पर सवार हो कर नमक बेचने जगन्नाथपुर आते थे। इन्ही लोगों ने अपनी पहचान बनाने व सामाजिक सेवा के दृष्टिकोण से बड़ा तालाब का निर्माण यहां कराया था। मजदूरों को मजदूरी के तौर पर नमक दिया गया था। क्योंकि उस जमाने में नमक जल्दी लोगों को देखने को नही मिलता था। बात 1800ई. आसपास की है। तब जगन्नाथपुर में 30 से 50 परिवार हुआ करते थे। इनमें भुईंया समाज के लोग ज्यादा थे। उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत को जब पता चला तो उसने इस तालाब को अपने अधीन कर लिया और बड़ा तलाब का विस्तारीकरण किया। 'झोरा' जाति आज पूरी तरह से विलुप्त हो गई है। 'झोरा' जाति के प्रयास व अंग्रेजों के शासनकाल में बना बड़ा तलाब आज अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। समय के साथ साथ यह सिकुड़ता भी जा रहा है। यह जगन्नाथपुर का सबसे बड़ा व प्राचीन तालाब है। तालाब 4.30 एकड़ क्षेत्रफल में बना हुआ था।