महापर्व छठ में छह दिन शेष, बदहाल हैं शहर के घाट

चाईबासा : शहर के छठ घाट और तालाब गंदे पड़े हैं। रोरो नदी कुम्हार टोली छठ घाट से लेकर करणी मंदिर छठ घा

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Nov 2018 07:44 PM (IST) Updated:Mon, 05 Nov 2018 07:44 PM (IST)
महापर्व छठ में छह दिन शेष, बदहाल हैं शहर के घाट
महापर्व छठ में छह दिन शेष, बदहाल हैं शहर के घाट

चाईबासा : शहर के छठ घाट और तालाब गंदे पड़े हैं। रोरो नदी कुम्हार टोली छठ घाट से लेकर करणी मंदिर छठ घाट पर हर तरफ कचरा ही कचरा नजर आ रहा है। नगर पर्षद ने अब तक छठ घाट की सुध नहीं ली है। इनको बेहतर करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने नगर पर्षद को सौंपी है। लेकिन अभी तक इसकी सफाई शुरू नहीं की गई है। इसी की जानकारी लेने के लिए सोमवार को डीसी अरवा राजकमल ने खुद ही घाट पर पहुंच कर सफाई का जायजा लिया। कुम्हार टोली छठ घाट

इस घाट पर हर साल 250 से ज्यादा लोग छठ पूजा करते हैं। घाट पर गंदगी का अंबार है। रास्ते में कंकड़ है। रास्ता चलने लायक नहीं है। गंदगी का अंबार रहने के बाद भी यहां छठ व्रती आते हैं। जेवियर नगर पुल नीचे छठ घाट

इस घाट पर 400 से अधिक लोग छठ पूजा करते हैं। घाट पर हर तरफ कचरा है। नपा ने अब तक इस घाट की सफाई नहीं कराई है। यहां जाने का रास्ता भी ठीक नहीं है। घाट पर घास भी उग आई है। जेवियर नगर छठ घाट

इस घाट पर 300 से ज्यादा लोग छठ पूजा करते हैं। यहां की सफाई का जिम्मा भी नगर परिषद पर है। इस घाट पर सफाई नहीं हुई है। फिर भी अन्य घाटों की तुलना में ये घाट साफ है। हालांकि रास्ते में कंकड़ की भरमार है। छठ व्रतियों को घाट तक जाने में दिक्कत होगी। गांधी टोला दुर्गा मैदान छठ घाट

इस घाट पर हर साल पांच सौ के करीब छठ व्रती भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देते हैं। इस घाट की भी अब तक सफाई नहीं हो पाई है। घाट के आसपास चार पहिया वाहन धोने से गंदगी का अंबार लगा हुआ है। घाट तक जाने का रास्ता ठीक नहीं है। करणी मंदिर छठ घाट

शहर के सबसे बड़ा छठ घाट यहीं पर है। जिसमें पांच सौ से अधिक छठ व्रती सूर्य को अ‌र्घ्य देते हैं। इसकी भी सफाई अब तक नहीं कराई गई है। इस घाट के चारो और भैंस का गोबर व इंसानी मल फैला हुआ है। इस घाट तक पहुंचने में मंदिर के रास्ता का सहारा लेना पड़ता है इस वजह से रास्ता कुछ हद तक ठीक है। जगन्नाथपुर छठ घाट तालाब

जगन्नाथपुर छठ घाट तालाब का हाल पूरी तरह बेहाल है। यहां एक मात्र घाट होने के कारण दो हजार छठ व्रती अनुमंडल प्रशासन को इसकी बनाने की जिम्मेदारी है। लेकिन अभी तक कोई कार्य यहां शुरू नहीं किया गया है। तालाब के चारों ओर कचरे का अंबार लगा हुआ है। छठ व्रतियों को घाट तक पहुंचने का सही रास्ता भी नहीं है।

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