चाईबासा में 14 वर्ष से बंद पड़ा है राधा गोविद नागेश का घर

झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के 2008 में व्याख्याता नियुक्ति घोटाला मामले में जेपीएससी के तत्कालीन सदस्य राधा गोविंद नागेश जेल जाने के बाद चर्चा में आ गये हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 06:58 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 06:58 AM (IST)
चाईबासा में 14 वर्ष से बंद पड़ा है राधा गोविद नागेश का घर
चाईबासा में 14 वर्ष से बंद पड़ा है राधा गोविद नागेश का घर

जासं, चाईबासा : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के 2008 में व्याख्याता नियुक्ति घोटाला मामले में जेपीएससी के तत्कालीन सदस्य राधा गोविंद नागेश जेल जाने के बाद चर्चा में आ गये हैं। व्याख्याता नियुक्ति घोटाले से प्रभावित हुए अभ्यर्थी राधा गोविद नागेश के जेल जाने से बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। नियुक्त घोटाले से प्रभावित चाईबासा निवासी एक पूर्व अभ्यर्थी ने बताया कि जेपीएससी 2003 में साक्षात्कार के दौरान पूरे झारखंड में वो द्वितीय स्थान पर रहा था। इसके बावजूद उससे 30 लाख रुपये नियुक्ति के लिए राधा गोविद नागेश ने मांगे थे। पैसे नहीं देने के कारण उसकी नियुक्ति नहीं हो पायी। अभ्यर्थी ने बताया कि जेपीएससी के पूर्व सदस्य सह पूर्व एसडी-सीजेएम राधा गोविद नागेश की करोड़ों रुपये की संपत्ति चाईबासा के गांधी टोला में है। यहां राधा गोविद का घर 14 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। राधा गोविदं ने इसे बेचने का कई बार प्रयास भी किया लेकिन जेपीएससी घोटाला में आरोपित बनने के बाद कोई घर को खरीदने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसी कारण से यह घर बंद पड़ा हुआ है। घर के आगे नेमप्लेट में राधा गोविद नागेश का नाम व पद अंकित है। 2001-02 में चाईबासा कोर्ट से ही रिटायर्ड होने के बाद वर्ष 2003-04 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने तीन लोगों को सदस्य बनाया था जिसमें अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य मो. बारीक, सूचना आयोग के पूर्व सदस्य सृष्टिधर महतो व जेपीएससी के पूर्व सदस्य राधा गोविद नागेश शामिल थे। सृष्टिधर व नागेश दोनों व्यक्तियों पर घोटाला की जांच चल रही है। राधा गोविद नागेश ने जेपीएससी में व्याख्याता नियुक्ति में करोड़ों रुपये की हेराफेरी कर अवैध कमाई की। इस दौरान नागेश ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ अन्य लोगों को 2004 में पास कराया था। उसमें सीबीआइ जांच चल रही है। आज भी पैसा देकर पास करने वाले कई लोग सरकारी पद पर काम कर रहे हैं। 2008-09 में इस व्यक्ति ने व्याख्याता नियुक्ति घोटाला में मास कम्यूनिकेशन सीट को एक राजनेता के प्रवक्ता को बेच कर प्रोफेसर बनाया है। जब नागेश को सीबीआइ ने जेपीएससी घोटाला में आरोपी बनाया तो वह भाग कर अमेरिका में अपने चेहरे की सर्जरी करा कर छिप गये। 2021 में हजारों जेपीएससी के अभ्यार्थी आंदोलन कर रहे हैं। सीबीआइ से बचने के लिए नागेश 18 वर्षों तक छिपे रहे लेकिन दबिश के कारण कोर्ट में सरेंडर किया। सही ढंग से पूछताछ करने पर पहला, दूसरा, तीसरा व चौथा जेपीएससी में जितने भी घोटाला हुआ है, सभी उजगार हो जायेगा। पूर्व अभ्यर्थी का कहना है कि राधा गोविद मुख्य अभियुक्त थे जो पैसा लेते थे। उनके द्वारा चयनित बहुत से पदाधिकारी पश्चिम सिंहभूम जिला में भी तैनात हैं। अन्य जिला में भी कार्य कर रहे हैं। नागेश ने अवैध कमाई से ओरमांझी में नर्सिंग होम बनाया है। पांच करोड़ का मकान कोलकाता के शार्टलेक में हैं जो एक बंगलादेशी व्यक्ति से खरीदा है। इनके पास अरबों का संपति है। यहां बता दें कि वर्ष 2013 में सीबीआइ ने नियुक्ति घोटाले की जांच शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में सीबीआइ की जांच तेज हो गई थी। दाखिल चार्जशीट में कॉपी व मार्कशीट में नंबर बढ़ाने के आरोपों की फॉरेंसिक लैब की जांच में ओवरराइटिंग की पुष्टि हुई है। मिलीभगत करते हुए कई अभ्यार्थियों को सफल घोषित करने के लिए कॉपी व मार्कशीट में छेड़छाड़ की गई है। राधा गोविंद नागेश इससे पूर्व भी जेपीएससी नियुक्ति घोटाले के अन्य मामले में जेल जा चुके हैं।

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