केंद्र का कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट के समान : बादल पत्रलेख

केंद्र का कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट के समान बादल पत्रलेख

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Mar 2021 08:06 PM (IST) Updated:Sun, 21 Mar 2021 08:06 PM (IST)
केंद्र का कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट के समान :  बादल पत्रलेख
केंद्र का कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट के समान : बादल पत्रलेख

जागरण संवाददाता, चाईबासा : केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान चुपचाप लाया गया कृषि कानून किसी भी स्थिति में किसानों के हित में दिखाई नहीं देता है। एक प्रकार से कहा जाए तो यह कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट के समान है। यह बातें चाईबासा में एसोसिएशन मैदान में आयोजित जिला स्तरीय किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य सरकार के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह कानून लागू हो जाने से भविष्य में हमसे सवाल करेंगे कि जब काला कृषि कानून बन रहा था तो आपने आवाज क्यों नहीं उठायी। प्रधानमंत्री जी आपके दरवाजे पर देश के लाखों किसान कृषि कानून के खिलाफ खड़े हुए हैं । आप उनसे बात कर सकते थे लेकिन आप अभी नशे में चूर हैं इसलिए किसानों की बात नहीं मानी जा रही है।

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केंद्र सरकार पर फोड़ा किसानों के 2 लाख रुपये ऋण माफ नहीं कर पाने का ठीकरा

कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान गठबंधन की सरकार ने घोषणा की थी कि किसानों का दो लाख रुपये तक कृषि ऋण माफ किया जाएगा लेकिन हमारी सरकार बनते ही देखा कि राज्य का पूरा खजाना पिछली सरकार ने खाली कर दिया था। उसके बाद एक साल कोरोना महामारी से हम जूझते रहे। केंद्र सरकार से किसानों की सहायता के लिए मांग की तो उन्होंने मुंह फेर लिया। राज्य के 12 सांसद केंद्र सरकार के साथ जुड़े हुए हैं, पिछड़े झारखंड को मदद तो करनी ही चाहिए थी लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है तो प्रधानमंत्री ने किसी प्रकार ध्यान नहीं दिया। जीएसटी का पैसा मांगा तो उस पैसे को भी देने के लिए केंद्र सरकार ने इंकार कर दिया। जीएसटी में तो झारखंड के साथ केंद्र सरकार ने ठगी की है। केंद्र सरकार हमें मदद देती तो हम किसानों के 2 लाख तक ऋण माफ कर सकते थे।

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पीएम फसल बीमा योजना के नाम पर मोदी सरकार ने झारखंड को लूट कर बीमा कंपनियों को दिया लाभ : पत्रलेख

मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर मोदी सरकार ने झारखंड को लूट कर बीमा कंपनियों को लाभ दिया। राज्य के किसानों ने 3 साल में प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना के तहत 493. 49 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में केंद्र सरकार द्वारा गठित बीमा एजेंसी को दिए लेकिन उसके बदले में मात्र 79. 69 करोड़ रुपये ही किसानों को बीमा की राशि मिली। आने वाले समय किसी भी पंचायत , प्रखंड, जिला में सुखाड़ की स्थिति होगी तो उसका आकलन जिला के उपायुक्त करेंगे। उनको हम पैसा देंगे और वह सीधा किसानों के खाते में पैसा जाएगा। झारखंड राज्य की दो तिहाई आबादी कृषि पर निर्भर है इसलिए किसानों को उनका हक देने के लिए राज्य सरकार ने योजना बनाई है। 4 साल में 24 लाख किसान को बिरसा किसान बनाना है। चाईबासा में एक लाख किसान को 4 साल बाद बदलाव का प्रमाण पत्र अपने हाथों से सौंपेंगे।

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