मृतक के परिजनों से घंटों वार्ता के बाद 15 हजार का आश्वासन

संवाद सूत्र नोवामुंडी बड़ाजामदा भारत पेट्रोलियम पंप के समीप शुक्रवार को सड़क हादसे में मरी महिला जयंती बारीक की कीमत सिर्फ 15 हजार रुपये है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 Mar 2019 01:07 AM (IST) Updated:Sun, 31 Mar 2019 01:07 AM (IST)
मृतक के परिजनों से घंटों वार्ता के बाद 15 हजार का आश्वासन
मृतक के परिजनों से घंटों वार्ता के बाद 15 हजार का आश्वासन

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : बड़ाजामदा भारत पेट्रोलियम पंप के समीप शुक्रवार को सड़क हादसे में मरी महिला जयंती बारीक की कीमत सिर्फ 15 हजार रुपये है। वह भी केवल आश्वासन मिला है। जी हां ऐसे ही कुछ हुआ है। शुक्रवार को घटना के बाद बड़ाजामदा थाने में ग्रामीण, प्रशासन व वाहन मालिक के बीच हुई त्रिपक्षीय वार्ता में निर्णय लिया गया है। बता दें कि शुक्रवार को पांड्राशाली गांव से गैस चूल्हा लेने पहुंची जयंती बारीक की सड़क दुर्घटना में मौत हुई थी। घटना के बाद शव को चाईबासा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों सौंप दिया गया। परिजन शव का दाह संस्कार भी कर चुके है। दूसरी ओर आस पड़ोस के लोग उनके गरीब परिजनों को कुछ राशि दिलाने के लिए दोपहर से ही थाने में बैठक कर दाह संस्कार के साथ क्रियाकर्म खर्च व मुआवजा की मांग कर रहे थे। वाहन मालिक ने रात 8 बजे तक चली बैठक में केवल 15 हजार रुपये देने पर राजी हुए। वह भी नकद नहीं, कुछ दिनों का समय मांगा है। बताया जाता है कि जिस लाइन ट्रक से हादसा हुई है। वाहन बड़ाजामदा के विकास ट्रांसपोर्ट मालिक हीरालाल प्रजापति उर्फ मटिया फंटूश की है। उनकी लगभग 30 गाड़ियां हैं जो अयस्क की ढुलाई करती है। आठ घंटे बातचीत के बाद भी ट्रांसपोर्टर मुआवजा राशि के रूप में केवल 15 हजार रुपये देने पर राजी हुए है। जयंती बारीक की मृत्यु के बाद घर में पति कातिया बारीक व एक बेटी रहती है। कातिया बारीक फुटबॉल मैदान स्थित दत्ता परिवार के आमबगान में रखवाली करता है। इसके एवज में कुछ मेहनताना मिल जाता है। फिलहाल वह दो सदस्यीय वाले परिवार का भरण पोषण किस तरह से होगा कहना मुश्किल है। लोगों की मानें तो पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वाहन को जब्त करने के बाद चालक लालू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजकर औपचारिकता तो पूरी कर दी गई। थाने में मामले को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई है। परंतु मौत की कीमत सम्मानजनक नहीं मिला। यदि पुलिस चाहती तो निश्चित ही परिजनों को कुछ हद तक घर चलाने के लिए मुआवजा मिल जाता।

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