शिक्षक की मेहनत से बंजर भूमि बनी उपजाऊ

एहतेशाम आलम, सिमडेगा : कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से किसी भी कठिन कार्य को आसान बचाया जा सकता है। इस बात

By Edited By: Publish:Sun, 29 Nov 2015 09:52 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2015 09:52 PM (IST)
शिक्षक की मेहनत से बंजर भूमि बनी उपजाऊ

एहतेशाम आलम, सिमडेगा : कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से किसी भी कठिन कार्य को आसान बचाया जा सकता है। इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं शिक्षक कमलेश्वर मांझी। कमलेश्वर मांझी एक सरकारी विद्यालय के शिक्षक हैं जो बच्चों को बेहतर जीवन के लिए शिक्षा देने के साथ उनके लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभा रहे हैं। अपने शिक्षण कार्य से बचे समय का सदुपयोग खेती करते हैं। उन्होंने बंजर भूमि का उपजाऊ बना दी। फिलहाल छह एकड़ की भूमि में खीरा, कद्दू, फ्रेंचबीन, मटर, मूली और फूलगोभी का बीज बोया है। जिसमें खीरा, फ्रेंचबीन व मूली की फसल तैयार है। वे विद्यार्थियों को भी प्रत्यक्षण विधि से खेती का प्रशिक्षण देते हैं।

केलाघाघ डैम के पास बंजर पड़ी छह एकड़ भूमि में को अब्नेजर सोरेंग और शंकर मांझी से प्रति एकड़ भूमि 2000 रुपये में प्रत्येक वर्ष के दर से लिया है। भूमि लेने की सलाह उन्हें गुमला के बेड़ो में रहने वाले दोस्तों ने दिया था। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त और सहयोगियों के साथ मिलकर इस भूमि की झाडि़यों व पत्थरों को दिन-रात एक कर हटाया और फिर सब्जी की खेती के लिए अक्टूबर से बीज बोने का कार्य शुरू किया। खेती के लिए पानी की आवश्यकता थी, जिसके लिए उन्होंने केलाघाघ डैम से निकली नहर का मदद ली। बीज बोने के लिए उन्होंने बेड़ो से ही कृषकों को बुलाकर उनके सलाह के अनुसार खेती का कार्य शुरू किया। इस दौरान उन्हें लगभग एक लाख रुपये की लागत आई और लगभग दो माह के अंदर ही उनके खेती का मूल्य मिलना शुरू हो गया। खेती कार्य के दौरान कमलेश्वर मांझी को उनके बेड़ो के दोस्त कार्तिक उरांव, अमित उरांव, दिलीप उरांव और सहयोगी बजरंग मांझी, दिलीप मांझी, निरोज मांझी, दीपक सहयोग करते हैं।

कमलेश्वर मांझी विद्यालय में शिक्षण कार्य के अलावा हॉकी में भी रुचि रखते हैं और जिला हॉकी संघ के संयुक्त सचिव पद पर हैं। वहीं वे गोंडवाना छात्रावास भी चलाते हैं। महज कुछ रुपये मासिक दर पर बच्चों को रहने की व्यवस्था देते हैं। साथ ही, छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों को वे शिक्षण कार्य के बाद खेत ले जाकर उन्हें खेती कार्य के तरीकों के बारे में बताते हैं। कमलेश्वर मांझी, उनके दोस्त, सहयोगी व छात्रावास में रहने वाले बच्चों की मेहनत का नतीजा है कि जो भूमि लोगों के लिए बेकार थी आज वही भूमि कई लोगों को रोजगार देने का कार्य कर रही है। इस प्रकार एक शिक्षक सफल किसान बनने के लिए भी लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

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