खुदीराम बोस की प्रतिमा तोड़ना शहीदों का अपमान: एआइडीएसओ
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एआइडीएसओ)ने चांडिल में प्रतिमा तोड़ने का विरोध किया। प्रतिमा दोबारा स्थापित करने के लिए उपायुक्त से मांग की।
जागरण संवाददाता, सरायकेला: ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एआइडीएसओ) छात्र संगठन की प्रदेश अध्यक्ष आशा रानी के नेतृत्व में चांडिल गोलचक्कर पर शहीद खुदीराम बोस की मूíत तोड़कर हटाने के खिलाफ राज्य स्तरीय प्रतिनिधियों ने विरोध शुरू हो गया है। शनिवार को विरोध प्रदर्शन करते हुए एआइडीएसओ प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त से कहा कि 11 अगस्त को चांडिल गोलचक्कर के पास स्थापित शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा को तोड़कर हटा दिया गया। इसे अभी तक दूसरे स्थान पर स्थापित नहीं किया गया है। ऑर्गेनाईजेशन ने कहा कि कई साल पहले चांडिल गोलचक्कर के पास शहीद खुदीराम बोस स्मारक समिति की ओर से शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा अधिष्ठापित की गई थी। यहां प्रतिवर्ष शहीद खुदीराम बोस का शहादत दिवस मनाया जाता है। पूरे क्षेत्र के लोग खुदीराम बोस गोलचक्कर के नाम से ही जानते हैं। इस वर्ष शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा स्थापित की गई थी जिसे कुछ असामाजिक तत्वों के दबाव में प्रतिमा को तोड़कर हटा दिया गया। यह शहीदों के लिए घोर अपमान है। इस देश में जहां शहीदों को सम्मान दिया जाता है, वहीं प्रतिमा तोड़कर शहीद खुदीराम बोस का अपमान किया गया। एआइडीएसओ के राज्य स्तरीय प्रतिनिधियों ने उपायुक्त से मांग की है कि अविलंब चांडिल गोलचक्कर पर शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा को दोबारा स्थापित किया जाए नहीं तो संगठन की ओर से राज्यव्यापी छात्र आंदोलन किया जाएगा।
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष आशा रानी पाल ने कहा कि शहीद खुदीराम बोस के अपमान को सहन नहीं किया जाएगा। जरूरत पड़े तो चांडिल गोलचक्कर में शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा स्थापित करने के लिए हजारों की संख्या में छात्र नौजवान जेल जाएंगे। उपायुक्त ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि प्रशासन की ओर से कार्रवाई की गई है। जल्द ही प्रतिमा स्थापित करा दी जाएगी। विरोध प्रदर्शन में समर महतो, श्रीमंत बारिक, सोहन महतो, रिकी बंसरीयार, युधिष्ठिर कुमार, श्यामल मांझी, रमेश डेनियल, विशाल बर्मन, विशेश्वर महतो, जीवन यादव समेत रांची, हजारीबाग, बोकारो, सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, पश्चिमी सिंहभूम, धनबाद एवं खूंटी जिला के प्रतिनिधि शामिल थे।