उद्योग विभाग के अधिकारियों ने रेशम उत्पादन बढ़ाने पर किया मंथन, अधिकारियों को दिया टास्क

हस्तकरघा रेशम व हस्तशिल्प निदेशालय के निदेशक उदय प्रताप ने शुक्रवार को खरसावां के अग्र परियोजना केंद्र में कोल्हान प्रक्षेत्र के अधिकारियों के साथ बैठक कर रेशम उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष राज्य में 2694 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन हुआ था..

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Aug 2020 01:43 AM (IST) Updated:Sat, 29 Aug 2020 06:19 AM (IST)
उद्योग विभाग के अधिकारियों ने रेशम उत्पादन बढ़ाने पर किया मंथन, अधिकारियों को दिया टास्क
उद्योग विभाग के अधिकारियों ने रेशम उत्पादन बढ़ाने पर किया मंथन, अधिकारियों को दिया टास्क

संवाद सूत्र, खरसावां : हस्तकरघा, रेशम व हस्तशिल्प निदेशालय के निदेशक उदय प्रताप ने शुक्रवार को खरसावां के अग्र परियोजना केंद्र में कोल्हान प्रक्षेत्र के अधिकारियों के साथ बैठक कर रेशम उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष राज्य में 2694 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष तीन हजार मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है। इसमें कोल्हान व संथाल परगना में समान रुप से 12-12 सौ मीट्रिक टन तसर का उत्पादन होने का लक्ष्य है। रेशम से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए निदेशालय से पत्र तैयार कर विभाग को भेजा गया है। विभाग में योजनाओं की स्वीकृति पर विचार चल रहा है। योजनाओं की स्वीकृति मिलते ही उनका क्रियान्वयन शुरु होगा। रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार कार्य योजना बनाकर क्रियान्वित करेगी। आने वाले एक दो वर्षों में सात हजार मीट्रिक टन रेशम उत्पादन किया जाएगा। भारतीय प्रसाशनिक सेवा के अधिकारी उदय प्रताप ने बताया कि सिल्क के जरिए राज्य को सात सौ करोड़ से अधिक की आमदनी हुई है। आने वाले समय में सिल्क उद्योग को और अधिक बढ़ावा दिया जाएगा। प्री कोकून के साथ-साथ पोस्ट कोकून पर भी कार्य होगा। कोल्हान क्षेत्र में भी तसर कोसा के उत्पादन के साथ-साथ सुत कताई व कपड़ों की बुनाई का कार्य किया जाएगा। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों का रोजगार बढ़ेगा। कोरोना संकट काल में भी रेशम के जरिए बड़ी संख्या में किसानों को रोजगार मिला। तसर डाबा का उदगम स्थल कोल्हान है। तसर डाबा के उदगम स्थल पर इसे ओर अधिक बढ़ावा दिया जाएगा। डाबा रेशम को विश्व पटल पर ख्याति दिलाने के लिए जीआइ टैग की पहल की गई है। राज्य में कुल डेढ़ लाख से अधिक रेशम कृषक रेशम के जरिए रोजगार कर रहे हैं। बैठक में मुख्य रुप से हस्तकरघा, रेशम व हस्तशिल्प निदेशालय के निदेशक उदय प्रताप, डिप्टी डायरेक्टर निरंजन तिर्की, सहायक उद्योग निदेशक (मुख्यालय) अनिल कुमार, सहायक उद्योग निदेशक (कोल्हान) डॉ प्रियदर्शी अशोक, उद्योग विभाग के अवर सचिव मनोज कुमार, अग्र परियोजना पदाधिकारी खरसावां-कुचाई सुनील कुमार शर्मा, पीपीओ चाईबासा कृष्णकांत यादव, पीपीओ हाट गम्हरिया अनुपम कुमार सिन्हा, पीपीओ घाटशिला कृष्णानंद यादव, पीपीओ चक्रधरपुर विनोद कुमार सिन्हा आदि उपस्थित थे।

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