सीएए का विरोध देशहित में नहीं : रामदत्त

पोखरिया स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार (टाउन हॉल) परिसर में मधुसूदन गोपालदेव जी स्मृति न्यास की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर गुरुवार को विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि सीएए का वर्तमान विरोध राजनीतिक है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Jan 2020 08:22 AM (IST) Updated:Fri, 10 Jan 2020 08:22 AM (IST)
सीएए का विरोध देशहित में नहीं : रामदत्त
सीएए का विरोध देशहित में नहीं : रामदत्त

साहिबगंज : पोखरिया स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार (टाउन हॉल) परिसर में मधुसूदन गोपालदेव जी स्मृति न्यास की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर गुरुवार को विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि सीएए का वर्तमान विरोध राजनीतिक है। यह विरोध देशहित में नहीं है। कहा कि यह कानून दलितों शोषितों पीड़ितों को सामूहिक रूप से नागरिकता देने का कानून है। इससे किसी की भी नागरिकता समाप्त नहीं होगी। अपने पूरे विश्व के पीड़ितों को शरण व नागरिकता देने का प्रावधान है। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया तथा कहा कि इससे किसी को भी डरने का कोई कारण नहीं है। सीएए के महत्व एवं आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की धर्म संसद में पांच मिनट के शून्यकाल में जब यह बताया कि मैं उस देश से आया हूं जिसने पूरे विश्व के लाखों करोड़ों प्रताड़ितों और पीड़ितों को शरण दिया है, तभी से वह पूरे सदन व मीडिया में छा गए। उन्होंने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस ने 1942 में अखंड भारत का प्रस्ताव पास किया था। 1943 में देश के अग्रणी नेताओं ने रावी नदी के जल से पूर्ण स्वराज्य का संकल्प लिया था। गांधी जी व नेहरू ने कहा था मेरी लाश पर ही देश का विभाजन होगा परंतु 03 मई 1947 के शिमला बैठक में विभाजन पर सहमति प्रदान कर दी गई। सभी को सबसे अधिक हैरानी तब हुई जब कांग्रेस कार्यसमिति ने भी विभाजन पर मुहर लगा दिया। देश के विभाजन की कीमत पर अंग्रेजी सत्ता का हस्तांतरण होने के पश्चात तत्कालीन पूर्वी व पश्चिमी पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों के कत्लेआम जगजाहिर है। 08 अप्रैल 1950 में इसी विषय पर नेहरू लियाकत समझौता हुआ था जिसमें दोनों देश अपने अपने अल्पसंख्यकों को संरक्षण की बात कही थी। भारत ने समझौते का पालन बढ़ चढ़ कर किया परंतु पाकिस्तान व बांग्लादेश ने उसका पालन नहीं किया। पाकिस्तान में हिदुओं की आबादी तीन प्रतिशत व बांग्लादेश में आठ प्रतिशत से भी कम रह गयी है। 25 नवंबर को महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में 1947 के बाद भी रह गए नागरिकों के प्रति हम सदैव जिम्मेदार रहेंगे। उन्होंने तरुण गोगोई, प्रणव मुखर्जी, इंद्रजीत गुप्त जैसे नेताओं को उद्धरित करते हुए ममता बनर्जी के 2005 के एनआरसी के पक्ष में दिए भाषण को भी उद्धरित किया। इस मौके पर न्यास के सदस्य व विभाग व्यवस्था प्रमुख नितेश कुमार, जिला कार्यवाह सुनील कुमार, जिला प्रचारक बिगेन्द्र कुमार, जिला संपर्क प्रमुख निरंजन कुमार, जिला घोष प्रमुख कृष्णबल्लभ, नगर कार्यवाह अंकित सर्राफ, गौतम पासवान सहित सभी स्वयंसेवकों भूमिका निभाई। कार्यक्रम में उपस्थित एक बांग्लादेशी शरणार्थी गौतम राय ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों पर होने वाले जुल्म व हृदय विदारक परिस्थितियों का वर्णन किया। कहा कि यह म•ाहबी जेहादी जुल्म आज भी बांग्लादेश में चल रहा है। उन्होंने बताया कि वे सपरिवार पूर्वी नारायणपुर में शरण ले रखे हैं। उनके बच्चे मेधावी होने के बावजूद नौकरी या किसी प्रकार के सरकारी लाभ से वंचित हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता टैक्स कंसलटेंट राजीव कुमार ने की। उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत की परंपराओं व मानवीय मूल्यों की रक्षा राष्ट्रीय संकल्प हेतु अति आवश्यक है।

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