विश्व जल दिवस : सिकुड़ते जा रहे राजधानी के डैम, सूख रहे जलस्रोत

राजधानी की तकरीबन 17 लाख से अधिक की आबादी का गला तर करने वाले रुक्का कांके डैँम का पानी सूख रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 07:30 AM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 07:30 AM (IST)
विश्व जल दिवस : सिकुड़ते जा रहे राजधानी के डैम, सूख रहे जलस्रोत
विश्व जल दिवस : सिकुड़ते जा रहे राजधानी के डैम, सूख रहे जलस्रोत

जासं, रांची : राजधानी की तकरीबन 17 लाख से अधिक की आबादी का गला तर करने वाले रुक्का, कांके और हटिया डैम का आकार दिनोंदिन सिकुड़ रहा है। इन तीनों डैम में गाद जमा होने से इनकी गहराई कम हो ही रही है। कांके डैम के कैचमेंट एरिया का अतिक्रमण तेजी से हो रहा है। यह तब है जब हाल के दिनों में प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाया जा रहा है। अभी गर्मी की शुरुआत हुई है लेकिन इन डैम में जलस्तर तेजी से घट रहा है। अगर पानी के सूखने की यही तेजी बरकरार रही तो राजधानी के एक बड़े हिस्से को पानी पिलाना दुश्वार हो जाएगा। डैम ही नहीं, राजधानी के तालाबों और नदियों का भी यही हाल है। स्वर्णरेखा और हरमू नदी नाला बन गईं है। इसमें पानी का बहाव खत्म हो गया है। शहर के तालाब तो सूख ही चुके हैं। धरती के अंदर का पानी भी सरकता जा रहा है। इससे हैंडपंप भी सूख रहे हैं। ये किसी बड़े खतरे की आहट है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रकृति जो चेताना चाहती है अगर हम नहीं चेते तो आने वाले दिन रांची के लिए बड़े मुश्किल साबित होने वाले हैं। विश्व जल दिवस पर मुजतबा हैदर रिजवी की प्रस्तुति।

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बरसात नहीं हुई तो गंभीर संकट

रुक्का डैम में जितना पानी है उससे मई तक ही मिल सकेगा पानी

क्षमता - 34 फीट

वर्तमान जलस्तर- 19 फीट

30 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति होती है शहर को प्रतिदिन रुक्का डैम से राजधानी की दो तिहाई आबादी का गला तर होता है। इस डैम के जलापूर्ति प्लांट से 30 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति शहर को रोज होती है। यानि डैम से रोज इतना पानी निकाला जा रहा है। डैम के अधिकारियों का कहना है कि डैम में जितना पानी है उससे मई तक राजधानी को पानी मिलेगा। कहा जा रहा है कि इस बीच अगर बरसात नहीं हुई तो हालात कठिन हो सकते हैं। रुक्का डैम में पानी का स्तर काफी घटने से डैम पर आधारित सिकिदरी हाइडल पावर प्रोजेक्ट को पानी मिलना बंद हो गया है। क्योंकि, अधिाकरियों की प्राथमिकता जलापूर्ति को बरकरार रखना है।

गेतलसूद डैम से इन इलाकों को होती है जलापूर्ति

बूटी मोड़, कोकर, व‌र्द्धमान कंपाउंड, दीपाटोली, कांटाटोली, बहू बाजार, सिरम टोली, रेलवे, रेलवे कालोनी, चुटिया, डोरंडा, निवारणपुर, मेन रोड, लालपुर, हिदपीढ़ी, चर्च रोड, मोरहाबादी, बरियातू, रिम्स, रातू रोड, पिस्का मोड़, हरमू रोड, किशोरगंज, मधुकम, पहाड़ी क्षेत्र, अपर बाजार और आसपास का इलाका। रुक्का डैम से पानी के बडे़ उपभोक्ता : विधि विज्ञान प्रयोगशाला होटवार, रांची रेलवे, एमईएस नामकुम, होटवार महिला बटालियन जैप, जैप टू टाटी सिल्वे, डेयरी फार्म, बिरसा मुंडा जेल, माडल हास्पिटल, झारखंड आ‌र्म्ड फोर्सेज नामकुम आदि। पानी कम हुआ तो क्या होगा : इन इलाकों में जलापूर्ति पर पड़ेगा असर।

--------------------- अभी से सूखने लगा हटिया डैम का कंठ, एक महीने में 8 फीट कम हुआ पानी

क्षमता : 38 फीट

जलस्तर : 22 फीट

8.5 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है प्रतिदिन रांची में अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई कि हटिया डैम का पानी सूखने लगा है। डैम की क्षमता 38 फीट है। लेकिन अभी ही जलस्तर 22 फीट पर पहुंच चुका है। डैम में अभी सप्लाई के लिए एक महीने का पर्याप्त पानी है। इसके बाद राशनिग की नौबत आ सकती है। पिछले वर्ष भी हटिया जलागार को पानी की कमी के कारण राशनिग करना पड़ा था। पिछले साल यहां केवल चार फीट पानी बचा था। लोग पैदल डैम को बीच से पार कर रहे थे। पिछले साल 21 सितंबर को हटिया डैम का जलस्तर 28.3 फीट पहुंच पाया था। तब पानी की राशनिग बंद की गई थी।

अधिकारी कह रहे, पानी बर्बाद होने से बढ़ जाता है बोझ

हटिया जलागार के अधिकारी बताते हैं कि यहां से 8.5 एमजीडी पानी का आपूर्ति प्रतिदिन की जाती है। मगर लोग घरों में पानी इस्तेमाल करने से ज्यादा पानी को बर्बाद करते हैं। इससे जलागार पर बोझ बढ़ जाता है। अगर पानी का सही से इस्तेमाल हो तो जलागार में से जितना पानी सप्लाई होता है। इससे तीस प्रतिशत कम में पूरे इलाके को पानी की आपूर्ति की जा सकती है। मगर यही हाल रहा तो अप्रैल के महीने में पानी की राशनिग करनी पड़ेगी। इन इलाकों को होती है पानी सप्लाई

हटिया, सिंह मोड़, लटमा, जगरनाथपुर, बिरसा चौक, डोरंडा, शुक्ला कॉलोनी और हिनू इलाका।

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यह दुर्भाग्यपूर्ण है

कांके डैम को निगलती जा रही आबादी

452 एकड़ क्षेत्रफल वाला है कांके डैम

25 एकड़ डैम की जमीन पर लोगों ने बना लिए हैं मकान कांके डैम सिमटता जा रहा है। इसका क्षेत्रफल दिनोंदिन घटता जा रहा है। इसके कैचमेंट एरिया में लोगों ने अतिक्रमण कर मकान बना लिए हैं। तकरीबन 452 एकड़ क्षेत्रफल वाले इस डैम के तकरीबन 25 एकड़ जमीन पर आबादी बस गई है। कांके डैम को अतिक्रमण मुक्त कराने के हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। डैम के आसपास के इलाके का अतिक्रमण तेजी से हो रहा है। डैम के मिसिर गोंदा इलाके में अभी कुछ दिन पहले ही लोगों ने एक बाउंड्री बना कर डैम के बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया है। यहां डैम की तरफ जाने वाले एक नाले को भी बाउंड्री के अंदर कर लिया गया है। कांके में सरोवर इंक्लेव और न्यू लेक एवेन्यू इलाके में डैम का आकार सिकुड़ता जा रहा है।

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इसलिए स्थिति खराब है

भूमाफिया बेच रहे हैं कांके के कैचमेंट एरिया की जमीन

कांके के कैचमेंट एरिया की जमीन को भूमाफिया बेच रहे हैं। लोगों को बेवकूफ बना कर डैम की जमीन उन्हें बेची जा रही है। राजस्व शाखा के अधिकारी और कर्मचारियों की भी माफिया से मिलीभगत किया जा रहा है। यहां मकान बनाने वाले बबलू कुमार बताते हैं कि उनके मकान को प्रशासन ने पिछले महीने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था। जबकि उन्होंने ये जमीन खरीदी थी। जिसने जमीन बेची थी उसने बताया था कि ये जमीन डैम की नहीं है। उन्होंने राजस्व शाखा के कर्मचारियों से भी जानकारी ली थी। उन्होंने भी कहा था कि जमीन डैम की नहीं है। फिर मापी में उनका मकान भी डैम की जमीन में निकल गया।

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नतीजा कुछ नहीं निकला

कई साल से चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान

कांके डैम के आसपास कई साल से अतिक्रमण हटाओ अभियान चल रहा है। मगर, डैम की जमीन को अब तक अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका है। हर साल अतिक्रमण हो रहा है। लोग बताते हैं कि अगर, साल में कांके कैचमेंट एरिया में 150 मकान बनते हैं तो प्रशासन इसमें से 50 मकान तोड़ कर संतुष्ट हो जाता है। इन मकानों को भी लोग बाद में बना लेते हैं।

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प्रदूषण भी कम नहीं

कांके को प्रदूषित कर रहे सात नाले

कांके डैम में राजधानी के सात बड़े नाले गिरते हैं। ये नाले कांके डैम के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। इन नालों के पानी को शोधित करने के बाद डैम में गिराने के लिए यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था। मगर, ये प्लांट भी खराब हो गया है। अब नाले का गंदा पानी सीधे कांके डैम में जा रहा है।

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स्वर्णरेखा और हरमू नदी अब नाममात्र की है नदी

रांची में बहने वाली हरमू और स्वर्णरेखा नदियां नाला बन गईं हैं। दोनों नदियों में अब ठहरा हुआ गंदा पानी ही है। ये पानी बह नहीं रहा है। पानी इस कदर गंदा है कि कोई भी देख कर इसे नदी नहीं कह सकता है। हरमू नदी का जीवन लौटाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, कई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए मगर, हालात नहीं सुधरे।

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सूख रहे हैं राजधानी के तालाब

राजधानी के तालाब भी सूखने लगे हैं। इन पर गर्मी का असर साफ नजर आ रहा है। कडरू तालाब से पानी खत्म है। तली में थोड़ा सा पानी बचा है जो तीन-चार दिन में सूख जाएगा। यही हाल, जगन्नाथपुर तालाब का है। ये तालाब भी दम तोड़ रहा है।

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खत्म हो गया कोकर डिस्टिलरी तालाब

कोकर का डिस्टिलरी तालाब का अस्तित्व अब खत्म हो गया है। पहले ये तालाब राजधानीवासियों के आकर्षण का केंद्र था। धीरे-धीरे तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ता गया और अब इस तालाब को पाट कर पार्क बन गया है।

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खत्म हो गई जमुनिया नदी

कोकर की जमुनिया नदी भी अब तकरीबन खत्म हो गई है। पहले ये नदी तकरीबन 15 फीट चौड़ी थी। इसमें साफ पानी बहता था। मगर अब नदी खत्म हो गई है। अब ये नदी नाला जैसी दिख रही है। अतिक्रमण कर इसे खत्म कर दिया गया है। इसकी चौड़ाई खत्म हो गई और लंबाई भी खत्म हो गई। अब ये नदी नाला जैसी ही नजर आती है।

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