हवा का रुख तय करेगा, वोट किधर बहेगा

राजधानी आसपास की सड़कों पर चुनाव का असर साफ-साफ साफ दिखाई देता है। लोगों ने तय कर लिया है कि वोट किसे देना है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 06:28 AM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 06:28 AM (IST)
हवा का रुख तय करेगा, वोट किधर बहेगा
हवा का रुख तय करेगा, वोट किधर बहेगा

राची-रागामाटी पथ से विनोद श्रीवास्तव

राजधानी आसपास की सड़कों पर चुनाव का असर साफ-साफ देखने को मिल रहा है। हालाकि राची लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए छह मई को मतदान होगा, परंतु निर्वाचन कायरें के नाम पर अधिकतर गाड़िया जब्त कर ली गई हैं। इक्की-दुक्की गाड़िया ही सड़कों पर नजर आ रही है। हमें राची-जमशेदपुर मार्ग पर अवस्थित रागामाटी तक की लगभग 76 किलोमीटर दूरी तय करनी है। गुरुवार की सुबह 6.20 बजे से ही काटाटोली पेट्रोल पंप के पास 10-15 यात्रियों के साथ बस के इंतजार में खड़ा हूं। 6.50 बजे जमशेदपुर जाने के लिए वातानुकूलित बस आती है। यहा खड़े यात्रियों में से अधिकतर को बुंडू, तो कुछ को तमाड़, देवरी मंदिर, भुइयाडीह, रागामाटी आदि जाना है, हम यात्रियों को स्थानीय करार देकर उसपर सवार होने से रोक दिया जाता है। सिर्फ जमशेदपुर के यात्रियों को ही उसमें जगह मिलती है। लगभग 20 मिनट बाद दूसरी बस आती है। इसमें चंद सीटें खाली हैं, बहुत ही मशक्कत से कुछ यात्रियों को बैठने की जगह मिलती है। चालक आगाह करता है, एक-दो बसें ही इस मार्ग पर चल रही हैं। फिर देखते ही देखते शेष यात्री भी सवार हो जाते हैं। बस में तिल रखने की भी जगह नहीं है। यात्री अब भी रहे हैं। अंदर जगह नहीं रहने पर लगभग 16-17 लोग बस की छत पर भी सवार हो जाते हैं। ओवरलोडिंग पर प्रतिबंध पुराना है, पर बस बेफिक्र हो आगे बढ़ जाती है। गंतव्य तक पहुंचने में तकरीबन डेढ़ घटे लगेंगे, हम लोकसभा चुनाव को लेकर लोगों का रुझान जानने की कोशिश करते हैं। असिता टोप्पो को सलगाडीह जाना है। मारवाड़ी कॉलेज की छात्रा है। वह पहली बार वोट देगी। अपने मत को लेकर वह ऊहापोह में है। कहती है, अभी कुछ भी तय नहीं है। ऐसे पापा-मम्मी की जो राय होगी, वह फॉलो करेंगी।

मयंक राची के डिबडीह में रहते हैं। सारजमडीह स्थित विद्यालय में पारा शिक्षक हैं। गाड़ियों के जब्त होने से इनके जैसे कई शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। वह दो टूक कहते हैं, चुनाव जरूरी है, पर सरकार को आम जनता का भी ख्याल रखना चाहिए। गाड़िया पकड़ रहे हैं तो आवागमन की वैकल्पिक व्यवस्था भी करनी चाहिए। वोट देने का उनका आधार क्या होगा, वे कहते हैं स्थिर, बोल्ड निर्णय लेने वाली और जनता का दर्द समझने वाली पार्टी के प्रत्याशी को ही वे अपना समर्थन देंगे। शफीक व्यापारी हैं, ग्रामीण बाजार से सब्जिया खरीदकर राची की मंडी में बेचते हैं। उन्हें रडगाव जाना है। गाड़ियों के कम आवागमन से वे भी आहत हैं। कहते हैं धंधा इन दिनों मंदा चल रहा है। राची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में इस बार किसका पलड़ा भारी है, वे गणित बिठाना शुरू कर देते हैं। कहते हैं, नेताओं की आवाजाही पिछले कुछ दिनों से तेज हुई है, हम आजाद बस्ती वाले अभी खुद उन्हें परख रहे हैं, दो-चार दिनों में बस्ती वाले मिल बैठकर निर्णय लेंगे।

रामेश्वर साहू इस चुनावी चर्चा का खुद हिस्सा बन जाते हैं। वे कहते हैं सीटों के बंटवारे को लेकर इस बार जो स्थिति बनी है, वोटों का बिखराव तय है। अब जनता को जो जितना रिझाएगा, उसके खाते में उतना ही मत आएगा। रामाशीष गोराई बुंडू के रहने वाले हैं। उनका लाह का कारोबार है। राजनीति में उनकी बहुत दिलचस्पी नहीं है, परंतु वे वोट जरूर देते हैं। साफ कहते हैं, हवा जिधर की बहेगी, मेरा वोट उधर ही जाएगा।

अखिलेश मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है। ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सकों से साप्ताहिक मुलाकात का उनका शेड्यूल रहता है। वे कहते हैं, विधानसभा चुनाव की बात हो तो थोड़ा सोचना पड़ता है। यहा स्थानीय मुद्दे औऱ प्रत्याशी मतदाताओं को प्रभावित करते हैं। इससे इतर जब बात सासद चुनने की हो तो राष्ट्रीय चेहरा और जनता के प्रति उनका कार्य सामने आता है। वोट देने का आधार भी यही बन जाता है। वे मुस्कुराते हैं, कहते हैं, अब आप खुद ही तय करें, किसे समर्थन देना उचित होगा। आयुष्मान व उज्ज्वला योजना का है अच्छा प्रभाव

7.55 हुए हैं, बस बुंडू पहुंचती है। यहा आधे से अधिक यात्री उतर जाते हैं। हमें अभी लगभग 32 किलोमीटर की दूरी और तय करनी है। 15 मिनट के बाद बस यहा से खुलती है। सुबह का समय है, बुंडू के दशरथ माझी सपरिवार देवरी माता के दर्शन के लिए बस पर सवार होते हैं। चुनाव पर चर्चा जारी है, वह कहते हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, उज्जवला का ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है। इसका प्रभाव चुनाव परिणाम में देखने को मिलेगा। गाड़ी अपनी रफ्तार में है, 8.35 में हम तमाड़ पार करते हुए देवरी मंदिर पहुंचते हैं। रागामाटी पहुंचने में लगभग 20-25 मिनट और लगेंगे। सवारी का चढ़ना-उतरना लगा हुआ है। सोहन स्वर्णकार का परासी में छोटा सा पोल्ट्री फार्म है, वह कहते हैं, परासी, रडगाव, रागामाटी और इसके आसपास के इलाके सब्जी के लिए मशहूर है। इससे इतर सिंचाई का पुख्ता इंतजाम नहीं रहने से परेशानी होती है। खेत तक पानी और बाजार की व्यवस्था हो जाये तो बात बने। 9.05 में हम रागामाटी पहुंचते हैं। यहा से हमें अब राची लौटना है। तकरीबन सवा घटे के इंतजार के बाद हम एक निजी वाहन से राची की ओर लौटते हैं। राची वापसी के तकरीबन पौने दो घटे के सफर में मुझे सिर्फ दो सवारी गाड़ी राची की ओर जाती मिलती है। गाव के हर मोड़ पर कुछ न कुछ यात्री खड़े हैं। कुछ यात्री खचाखच भरी बस में किसी तरह समाते हैं, कुछ हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।

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