रंग लाई इनकी मेहनत, खेतों में उग आया सोना, घरों में आ गई खुशहाली

Vikas Bharti. विकास भारती ने हजारों महिलाओं को जैम, आचार, केंचुआ खाद, बागवानी एवं जैविक खेती का प्रशिक्षण देकर पलायन पर रोक लगाई है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Mon, 07 Jan 2019 07:31 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jan 2019 07:31 PM (IST)
रंग लाई इनकी मेहनत, खेतों में उग आया सोना, घरों में आ गई खुशहाली
रंग लाई इनकी मेहनत, खेतों में उग आया सोना, घरों में आ गई खुशहाली

रांची, संजय कुमार। यदि व्यक्ति चाह ले तो कोई भी काम असंभव नहीं है। इसे कर दिखाया है विकास भारती नामक स्वयंसेवी संस्था ने। कभी झारखंड के नक्सल प्रभावित गुमला, लातेहार, लोहरदगा आदि पिछड़े इलाकों से गरीबी के कारण बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में परिवार के साथ पलायन कर जाते थे। वे बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में ईट भट्ठों आदि में काम करने के लिए चले जाते थे। लेकिन संस्था के सचिव अशोक भगत ने ठान लिया कि इसे रोकना है।

उन्होंने तय किया कि यदि घर की महिलाएं भी कमाने लगेंगी तो परिवार की स्थिति बदल सकती है। इसलिए महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिलाने का तय किया। इसमें विकास भारती में कार्यरत प्रवीर पात्रा ने सहयोग किया। अब तक बिशुनपुर, घाघरा, लातेहार, सिसई, लोहरदगा एवं रांची आदि इलाकों के 1000 से अधिक महिलाओं को जैम, अचार, जामुन सिरका, जैविक खेती, बागवानी, केंचुआ खाद, सब्जी उत्पादन आदि का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद महिलाओं ने केचुआ खाद का उत्पादन करने के साथ-साथ अपने घर के आसपास की जमीन में फलदार पौधा लगाने का काम किया। खेतों में जैविक विधि से सब्जी का उत्पादन प्रारंभ करने के बाद उस इलाके की तस्वीर बदल गई है। आज उन परिवारों के घरों में खुशहाली छायी हुई है। इलाके से पलायन रुक गया है। इसमें कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक संजय कुमार पांडेय का भी महत्वपूर्ण योगदान है। संजय पांडेय ने कहा कि आज इस इलाके में लोगों के खेतों में हरियाली छायी हुई रहती है।

इसका असर परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी दिख रहा है। बड़ी संख्या में लोग जैम, अचार, जामुन सीरका, आदि का भी उत्पादन कर रहे हैं। राज्य के बाहर के मेलों में भी इस इलाके के लोग अपना स्टॉल लगाए हुए दिख रहे हैं। अब रोजगार की तलाश में लोग दूसरे राज्यों में नहीं जा रहे हैं और बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं।

10 से 15 हजार रुपये कमा रहे हैं प्रतिमाह : संजय पांडेय ने कहा कि विकास भारती ने घोर गरीबी में जी रहे परिवारों की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का तय किया। तय किया गया कि इन्हें उन विषयों में प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें कम जमीन रहने के बावजूद ये कमा सके। सबसे पहले 2005 ई. में गुमला के बिशुनपुर प्रखंड स्थित नेतरहाट की पहाड़ी के नीचे बलातू में प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई।

फिर आसपास के गांवों की निरक्षर एवं कम पढ़ी लिखी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया गया। आज स्थिति ऐसी है कि सब्जी की खेती, केंचुआ खाद एवं फलदार वृक्ष लगाकर 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह ये महिलाएं कमा रही हैं। आज स्थिति ऐसी है कि जिनको दो शाम को ठीक से भोजन भी नहीं मिल पाता था, आज इनके घरों में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं। अभी आम का फल स्वयं तो खाती हैं, शहरों में भी भेज रही हैं। प्रशिक्षण का काम लगातार जारी है।

क्या कहते हैं अशोक भगत : विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत का कहना है कि आरएसएस की प्रेरणा से जब मैं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से चलकर गुमला के घोर नक्सल प्रभावित बिशुनपुर पहुंचा था तो यहां की स्थिति बड़ी भयावह थी। लोगों को ठीक से भोजन नहीं मिल पाता था। गरीबी ऐसी कि शरीर पर ठीक से वस्त्र नहीं था। प्रयास करने से धीरे-धीरे स्थिति बदली और आज उसका असर दिख रहा है। इलाके में खुशहाली दिख रही है। काफी हद तक गरीबी दूर हुई है, स्थिति और बदलेगी।

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