वीसी ने कहा, संस्कृत वैज्ञानिक भाषा, मैट्रिक से अनिवार्य हो पढ़ाई

राची विवि के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पाडेय ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ाने की जरूरत है। इसे मैट्रिक से ही अनिवार्य किया जाना चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Jul 2019 05:13 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jul 2019 06:38 AM (IST)
वीसी ने कहा, संस्कृत वैज्ञानिक भाषा, मैट्रिक से अनिवार्य हो पढ़ाई
वीसी ने कहा, संस्कृत वैज्ञानिक भाषा, मैट्रिक से अनिवार्य हो पढ़ाई

जागरण संवाददाता, रांची : राची विवि के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पाडेय ने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। इसलिए इस विषय की पढ़ाई मैट्रिक से ही अनिवार्य कर देना चाहिए। केवल यूजी व पीजी स्तर पर पढ़ाई होने से इस भाषा का विकास व संरक्षण नहीं हो सकता है। वे सोमवार को रांची विवि के पीजी संस्कृत विभाग में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे। इसका विषय भारतीय नाट्यशास्त्र के परिप्रेक्ष्य में भास था। अतिथियों का स्वागत डॉ. मधुलिका वर्मा ने किया। मंगलाचरण गोपाल कृष्ण दुबे ने किया। नाटकों का मंचन संस्कृत में हो

प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार ने कहा कि संस्कृत को जीवित करने के लिए उसमें रचित नाटकों, शास्त्रों का मंचन संस्कृत भाषा में ही होना चाहिए। भारतीय चिंतन प्राचीन काल से ही सुखद रहा है। रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी ने कहा कि संस्कृत भाषा में रिसर्च करने की आवश्यकता है। भास की नाटक अनोखी

विषय प्रवर्तक प्रो गोपाल कृष्ण दास ने कहा कि संस्कृत केवल धनार्जन की भाषा नहीं अपितु एक सक्षम राष्ट्र के निर्माण में मुख्य सहायक है। भास का नाटक भारतीय नाटकों में अनोखी है। इनके नाटकों का प्रभाव विभिन्न नाटकों में भी मिलता है। प्राचीन समय में भास के नाटकों को आधार बनाकर विभिन्न फिल्मों का निर्माण भी किया जा चुका है। 92 प्रतिभागियों ने प्रस्तुत किए रिसर्च पेपर

सेमिनार में प्रतिभागियों द्वारा 92 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए। संचालन डॉ. शैलेश कुमार मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बीके मिश्र ने किया। मौके पर प्रो. राम कुमार पाठक, प्रो. अर्चना दुबे, डॉ सरस्वती मिश्र, डॉ. रामाशीष पाडेय, डॉ. श्रीप्रकाश सिंह समेत अन्य थे। रिसर्च पेपर के लिए प्रथम पुरस्कार परमानंद कुमार को मिला। इसी तरह शिबूनाथ भुईया को द्वितीय तथा डॉ देवलीना दास को तृतीय पुरस्कार दिया गया।

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